अभियंताओं को बकाएदारों के कनेक्शन काटने के लिए घर नहीं जाना पड़ेगा। रिमोट का बटन दबाते ही लखनऊ में किसी भी उपभोक्ता की बिजली काटी जा सकेगी। जी हां मध्यांचल मुख्यालय में इसका कंट्रोल रूम बनाया गया है। इससे उपभोक्ता का स्मार्ट मीटर काम करना बंद कर देगा।
अगर उपभोक्ता ने मीटर से छेड़छाड़ की तो कंट्रोल में बैठे सिस्टम में इसके इंडिकेशन आ जाएंगे और उसके खिलाफ सीधे एफआइआर दर्ज हो जाएगी। इस पूरे रोल में स्थानीय अभियंताओं और नेताओं की भूमिका भी खत्म हो जाएगी। क्योंकि पैसा जमा करे बिना स्मार्ट मीटर को अपडेट नहीं किया जा सकेगा। संबंधित अभियंता गलत फीडिंग करते हैं तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
राजधानी में 31 दिसंबर 2019 तक 3.65 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें नब्बे हजार का लक्ष्य पूरा भी कर लिया गया है। बिजली महकमे का उद्देश्य है कि हर घर को स्मार्ट मीटर से लैस किया जाए। इससे एक एक उपभोक्ता की मॉनीटरिंग हो सकेगी और राजस्व का ग्राफ वर्ष 2020 तक बढऩा तय माना जा रहा है। यही नहीं राजधानी का प्रत्येक उपभोक्ता किस समय कितनी बिजली खर्च कर रहा है, किस माह उसके यहां बिजली की खपत ज्यादा होती है और किस वक्त कम खपत। इसका पूरा ब्योरा स्मार्ट मीटर का कंट्रोल बताएगा।
खासबात यह होगी कि लखनऊ को पीक सीजन में कितने किलोवॉट लोड की आवश्यकता है। इसका पता उपकेंद्र व डिवीजन स्तर पर पता चल सकेगा। इससे हर मुहल्लों में लोड के हिसाब से अधिक क्षमता के ट्रांसफार्मर लग सकेंगे। मध्यांचल के एमडी संजय गोयल ने बताया कि मध्यांचल में फिलहाल कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसकी मॉनीटरिंग हो रही है और बकाएदारों को कनेक्शन यहीं से काटे जाएंगे। भविष्य में सर्किल या डिवीजन स्तर पर कंट्रोल रूम बनाने पर सोचा जा सकता है।
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