अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद



अंकित सिंह "खड्गधारी "


अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद
अभी हाल ही में आयी एक वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय जब कोरोना से प्रभावित चीन कई वस्तुओं का निर्यात करने में सक्षम नहीं है, तब भारत वैश्विक निर्यात बाजार में इलेक्ट्रिक आइटम, वाहन, ऑर्गेनिक रसायन, वस्त्रोद्योग एवं चमड़ा जैसे क्षेत्रों में चीन का विकल्प बन सकता है। कोरोना भले ही सभी के लिए बहुत खतरनाक है लेकिन इस वायरस के चलते जो विकल्प बन पाने का मौका भारत को मिल सकता है शायद उसे भुनाने का सही समय यही है
और यही समय भी है जब हम अपनी मंद गति से चल रही अर्थव्यवस्था को तीव्रता प्रदान कर सकते है कोरोना  के कारण चीन से जिन देशों को निर्यात घट गए हैं, वहां भारत नए निर्यात-मौकों को भुना सकता है। दो, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बन गया है और अमेरिका में निर्यात बढ़ने की संभावनाएं बढ़ी हैं, और कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी होने, मेक इन इंडिया को प्राथमिकता देने तथा गुणवत्तापूर्ण उत्पादन व सस्ते श्रम के कारण उन देशों में भी भारतीय निर्यात बढ़ने की संभावनाएं हैं, जहां अब तक निर्यात नगण्य हैं।चीन में कोरोना वायरस का असर वहां के उद्योग-कारोबार तथा निर्यात पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। वहां बड़ी संख्या में कारखाने बंद हैं या कम क्षमता से चल रहे हैं। वहां कोयले की खपत 75 फीसदी घट गई है। कई बड़ी कंपनियों ने चीन में अपना कारोबार बंद कर दिया है तथा पिछले दो महीने में उसके निर्यात में करीब 17 फीसदी गिरावट आ गई है। ऐसे में, भारत के लिए संभावनाएं बनी हैं। ऐसे ही, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध के कारण भारत के लिए जो मौके बढ़ रहे थे, कोरोना के कारण वे अब मजबूत संभावनाओं में बदल गए हैं।हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा प्रकाशित शोध पत्र ‘इंडियन एक्सपोर्ट द नेक्स्ट ट्रैजेक्टरी मैपिंग प्रोडक्ट्स ऐंड डेस्टिनेशंस’ में ऐसी 37 प्रमुख वस्तुओं को चिह्नित किया गया है, जिनमें भारत से निर्यात बढ़ाने की क्षमता बहुत अधिक है। इनमें महिलाओं के परिधान, दवाएं, फर्नीचर, साइकिल, हाइड्रोकार्बन जैसी वस्तुएं हैं।सरकार को और अधिक निर्यात बढ़ाने के लिए निर्यातकों को सस्ती दरों पर और समय पर कर्ज दिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। सरकार द्वारा अन्य देशों की गैर शुल्कीय बाधाएं, मुद्रा का उतार-चढ़ाव, सीमा शुल्क अधिकारियों से निपटने में मुश्किल और सेवा कर जैसे निर्यात को प्रभावित करने वाले कई मुद्दों से निपटने की रणनीति जरूरी है। साथ ही कुछ समय के लिए ऐसी छूट के प्रावधान होने चाहिए जो ज्यादा से ज्यादा निर्यातकों को आकर्षित करे क्यूंकि सब से ज्यादा जो पूरे विश्व में चीन के प्रोडक्ट सप्लाई होते रहे है उनकी आकर्षक कीमते ही इसका प्रमुख कारन रही है और भारत तो खुद ही ज्यादातर इस्तेमाल की वस्तुए चीन से ही लेता रहा और यहाँ के बाजारों में चीनी सामान की रंगत आसानी से देखने को मिलजाती है ऐसे में यह एक मौका जरूर की स्वयं भारत चीन के सामने का एक नया विकल्प बनकर आगे आये लेकिन इस रास्ते की सुगमता सरकारी नीतियों पर ही पूरी तरह से निर्भर करती है और उसी से अर्थव्यवस्था  में तेजी की उम्मीद भी की जा सकती है
अंकित सिंह "खड्गधारी "


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