अजय द्विवेदी
है आज फिजाएं रंगीली
हो रही हवा भी मतवाली
रग रग में रंग है रास रहा
आई होली खुशियों बाली।
मन मन पक्षी सा चहक उठा।
नव खुसबू से तन महक उठा।
तन बसन रंगे है रंगो से।
तन निर्जर हुए उमंगों से।
अव कली कुसुम सी कल्पित हो
इठलाती हो गौरवशाली।
आई होली खुशियों बाली।
तन मन जन जन का पुलकित है।
छवि प्रकृति करे आकर्षित है।
जग रंग से हुआ अलंकृत है।
यह छटा पुरातन संस्कृति है।
अब दिनकर भी रंग खेल रहा
पूरब में छाई है लाली।
आई होली खुशियों बाली।
एकता गीत कलनाद मनोहर
सस्यस्यामला के आंचल में।
विघ्न]कष्ट]क्षल] दंभ द्वेष]
सब भूल गए है पल दो पल में।
खता मेंट कर] पुनः भेंट कर
सुलह प्रेम की दे ताली।
आई होली खुशियों बाली।
विश्व संस्कृति ज्ञान कला की]
यहीं खान है सदा रही।
विश्व दुलारे आर्यवर्त की]
यही सदा संपदा रही।
यही विविधता लिए एकता]
अद्भुत और सोभासाली।
आई होली खुशियों बाली।
आई होली खुशियों बाली।
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