महिला दिवस और महिलाये 



अंकित सिंह "खड्गधारी "


महिला दिवस और महिलाये 

हमने जब से आधुनिक समाज की नीव रक्खी तभी से यह विषय चर्चा में आया कि , पुराने ज़माने के नियम अब पुराने हो चुके है और आधुनिक समाज में ज्यादा से ज्यादा समाज व परिवार की तरक्की के लिए जरुरी है जीवन के दोनों पहलु (स्त्री व पुरुष ) ही कंधे से कन्धा मिलकर साथ चले समाज में दोनों को सामान अधिकार मिले 

और इसी मुहीम को आगे बढ़ाते हुए ,हमारे भारतीय समाज व स्वयं महिलाओं ने भी ऐसे कीर्तिमान स्थापित  किये जिनसे पूरी तरह यह एक बार नहीं कई बार ऐसा साबित हो चुका है कि महिलाये किसी भी मामले में महिलाओं से कम नहीं है , बल्कि कुछ मामलो में तो वे पुरषो भी आगे गयी है और सफलता के नए आंकड़ों को भी छुआ है 

अभी हाल में गुजरे महिला दिवस पर प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट अलग-अलग क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को सौंपकर जो पहल की वह इसलिए अनूठी है कि उससे देश-दुनिया केवल इन महिलाओं के प्रेरक कार्यों से ही परिचित नहीं हुई, बल्कि अन्य लाखों-करोड़ों महिलाओं को कुछ ऐसा ही करने की प्रेरणा मिली। प्रधानमंत्री ने जिन महिलाओं को अपने सोशल मीडिया अकाउंट सौंपे वे आम महिलाएं हैं, लेकिन उनकी उपलब्धियां यह बताने वाली हैं कि किस तरह महिलाएं अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे कार्य कर सकती हैं जो उनके साथ-साथ अन्य लोगों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।नि:संदेह प्रधानमंत्री की यह पहल प्रतीकात्मक है और दिन विशेष तक सीमित है, लेकिन यह कहीं न कहीं इस आवश्यकता को रेखांकित करती है कि महिलाओं के प्रति दृष्किोण बदलने की जरूरत है। इस जरूरत की पूर्ति महिला दिवस अथवा अन्य किसी विशेष अवसर पर ही नहीं, बल्कि हर समय होनी चाहिए। इससे ही महिलाओं को आगे बढ़ने, अपनी क्षमता का पूरी तरह इस्तेमाल करने और साथ ही समाज और देश के लिए कुछ बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी। आज यदि किसी चीज की सबसे अधिक आवश्यकता है तो वह इसी की है कि पुरुष प्रधान समाज महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदले।

और महिलाओ को वो सम्मान मिले जिसकी वे अधिकार है , क्यूंकि आज भी बड़े से बड़े ओहदे पर ही महिला क्यों न चली जाए लेकिन कहीं न कहीं उसे सामाजिक तानो या फिर भेदभाव का शिकार होना ही पड़ता है और इन सब बातो के जिम्मेदार सरकारी तंत्र या फिर कोई भी विशेष सरकार नहीं है अपितु हम समाज के लोग ही है जो बार बार महिला को अग्निपरीक्षा देने के लिए विवश करने में कोई कसर नहीं छोड़ते 

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