विपरीत परिस्थितयों में राहत की खबर


विपरीत परिस्थितयों में राहत की खबर 
कोरोना  वायरस जैसा आज हम सभी बहुत अच्छे से जानते है की यह महामारी आज लगभग पूरे विश्व में पहुँच चुकी है और मौजूदा समय भारत भी इस से जूझ रहा स्थिति और ज्यादा ख़राब ना हो इसी के चलते केंद्र सरकार ने समय रहते ही पूरे देश में लॉकडाउन कर रखा है ,जैसा की पहले ही देश के कई हिस्सों में आंशिक लॉकडाउन की स्थिति पहले से ही थी लेकिन जब प्रधानमंत्री ने देखा कि आंशिक  बंदी के नतीजे भी आंशिक ही आ रहे तो उन्होंने फिर इसे पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू करने जैसा कठोर फैसले लिया
और जब लॉकडाउन होता है तो बहुत सारी चीजे रूकती है , उसमे सिर्फ शहर और गाँव ही नहीं अपितु ज़िन्दगी भी लॉकडाउन हो ही जाती है और इसका सब से ज्यादा असर पड़ता जनसाधारण की आमदनी पर क्यूंकि ये एक कड़वी सच्चाई है कि सरकार कितने भी प्रयास क्यों न कर ले लेकिन प्राइवेट कर्मचारियों व अन्य ऐसे रोजगार जो रोजमर्रे पर आधारित होते है उनकी आर्थिक स्थिती चरमरा जाती  ही है ,लिहाजा उन्हें बंदी में रहने का तो मन पूरा रहता है लेकिन वे अपने घरो में रहकर भी अपने आने वाले दिनों को लेकर भयभीत रहते है ,अपने आने वाली किस्ते कैसे भरेंगे ,अगले महीने का राशन या फिर अन्य किसी तरह कि उधारी ,इन सब कि चिंता उन्हें दिन रात सुकून नहीं देती है 
लेकिन अभी हाल ही में सरकार कि तरफ से जो कदम उठे वे कहीं न कहीं आम आदमी को सुकून देने वाले है जिसमे पहला है ,केंद्र सरकार की ओर से एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा  तथा दूसरा  रिजर्व बैंक द्वारा जहां ब्याज दरों के सस्ते होने का मार्ग प्रशस्त हुआ वहीं दूसरी ओर नौकरी पेशा वर्ग को अपने कर्ज की मासिक किस्तें प्रदान करने में राहत मिलेगी।
इन दो खबरों से आम आदमी में रहत कि लहार जरूर होगीरिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों से अर्थव्यवस्था में 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकदी बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। चूंकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से उपजे खतरे ने आर्थिक गतिविधियां करीब-करीब ठप कर दी हैं इसलिए रिजर्व बैंक की मुद्रा नीति समिति ने एक ओर जहां अपनी समीक्षा बैठक समय से पहले की वहीं दूसरी ओर आर्थिक वृद्धि दर एवं मुद्रास्फीति के बारे में अनुमान लगाने से बचा गया। ऐसा करके बिल्कुल सही किया गया, क्योंकि आज के दिन कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या हालात बनेंगे?वास्तव में फिलहाल कोई भी इसका ठीक-ठीक अनुमान नहीं लगा सकता कि कोरोना वायरस का संक्रमण देश और दुनिया में क्या हालात पैदा करेगा और उसके चलते अर्थव्यवस्था पर कितना और क्या असर पड़ेगा? बावजूद इसके तथ्य यह भी है कि देश ही नहीं दुनिया में कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव का अपनी-अपनी तरह से आकलन किया जा रहा है। कुछ आकलन इस पर केंद्रित हैं कि किन देशों की कितनी आबादी इस खतरनाक वायरस की चपेट में आएगी तो कुछ यह रेखांकित कर रहे हैं कि दुनिया की अर्थव्यवस्था का कितना बुरा हाल होगा? इस तरह के जो भी आकलन हो रहे हैं उनकी अनदेखी तो नहीं की जा सकती, लेकिन उन पर आंख मूंदकर भरोसा करने और उनके ही हिसाब से रणनीति बनाने का भी काम नहीं किया जा सकता। फिलहाल हमें जरुरत इस बात कि है कि हर तरह के हालात का सामना करने के लिए तैयार रहा जाए और परिस्थितियों के हिसाब से फैसले लिए जाएं। इस पर हैरानी नहीं कि विगत दिवस वित्त मंत्री की ओर से राहत पैकेज की जो घोषणा की गई उसे कुछ लोग अपर्याप्त बता रहे हैं। हो सकता है कि ऐसे लोग रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों को लेकर भी भिन्न राय व्यक्त करें। इस भिन्न राय का महत्व हो सकता है, लेकिन कोई भी सरकार हो वह अपनी सामर्थ्य भर ही कदम उठा सकती है। 
बात यदि वर्तमान समय की करे तो फिलहाल सरकार सही दिशा में आगे बढ़ती नज़र आ रही है और उसके प्रयास भी जनसाधारण के जीवन पर अनुकूल असर डालते देखे जा सकते है 


 


 


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