लापरवाही की हद 


 



अंकित सिंह "खड्गधारी "


लापरवाही की हद 
पूरी दुनिया जहाँ एक तरफ सोशल डिस्टेंसिंग के मायने समझा रही है कि कोरोना महामारी से बचने का मात्रा यही एक उपाय है ,बेवजह बाहर न निकले ,अनजान लोगो से दुरी बनाये रखे ,बेवजह चीजे को न छुए
और ऐसे माहौल में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात के एक केंद्र में तमाम लोग एकत्रित थे। इनमें देश के साथ विदेश से आए लोग भी शामिल थे। इनमें से करीब दो दर्जन के बारे में संदेह है कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। खतरा इसलिए बढ़ गया है कि एक तो यहां से अपने राज्य तेलंगाना लौटे छह लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है और दूसरे, यह पता चल रहा कि इस केंद्र में देश के विभिन्न राज्यों से आए लोग अपने-अपने घरों को लौट चुके हैं। अब इन सबके साथ इनके संपर्क में आए लोगों की भी तलाश करनी पड़ रही है।
अब ऐसे हालात में ऐसी खबर तो बेहद खतरनाक है ये ऐसी खबर है जिसने सरकार से लेकर प्रशासन तक सभी को सकते में लाकर खड़ा कर दिया है सभी चौंक गए है कि आखिर समाज का कोई वर्ग इतनी बड़ी गैरज़िम्मेदारन हरकत कैसे कर सकता है ,और ऐसा भी नहीं कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि कैसे पूरा विश्व ही कोरोना महामारी से जूझ रहा है और भारत में खुद ही इतनी सख्ती चल रही है आये दिन नए नए मामलो से पूरा देश सहमा हुआ है और ऐसे दिल्ली का ये काण्ड बेहद खतरनाक है और पूरी तरह से यह मामला क्राइम विभाग  में जाना चाहिए  क्यूंकि ये गलती नहीं अपितु गुनाह है और इसकी सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए 
 तब्लीगी जमात के आयोजकों ने न तो सरकारी अपील की परवाह की और न ही पुलिस के नोटिस ,उन्होंने ये भी नहीं सोचा कि जमात में देशी ,विदेशी सभी जगह के लोग है और और ये बात तो आज के समय में भारत का बच्चा बच्चा तक जानता है कि यदि कोई विदेश से बाहर आता है तो उसे चौदह दिनों के लिए एकांत दिया जाता है और साथ ही उसे डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए लेकिन जमात के आयोजक एकदम बेफिक्र रहे और अपने मंसूबो को अंजाम देते रहे और अब जब ये मामला चर्चा का विषय बन गया तब आयोजक इस दलील के सहारे खुद को निर्दोष बता रहे हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन के बाद तमाम लोग उनके यहां फंस गए और पुलिस ने उन्हें निकालने के अनुरोध की अनदेखी की, लेकिन सवाल यह है कि जब लॉकडाउन के काफी पहले ही दिल्ली सरकार ने दो सौ से अधिक लोगों के जमावड़े पर रोक लगा दी थी तब फिर इस धार्मिक स्थल में लोगों का आना-जाना क्यों लगा रहा? यह अनुत्तरित प्रश्न आयोजकों की लापरवाही की ही पोल खोल रहा है।फिलहाल आयोजक इस दलील के सहारे खुद को बचाने की कोशिश कर   रहे हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन के बाद तमाम लोग उनके यहां फंस गए और पुलिस ने उन्हें निकालने के अनुरोध की अनदेखी की, लेकिन सवाल यह है कि जब लॉकडाउन के काफी पहले ही दिल्ली सरकार ने दो सौ से अधिक लोगों के जमावड़े पर रोक लगा दी थी तब फिर इस धार्मिक स्थल में लोगों का आना-जाना क्यों लगा रहा? यह अनुत्तरित प्रश्न आयोजकों की लापरवाही की ही पोल खोल रहा है।फिलहाल आज के समय में इस से देश के सामने कितना बड़ा खतरा खड़ा हो गया है इसका फिलहाल सटीक अनुमान लगाना भी मुश्किल है फिलहाल प्रशासन को चाहिए कि इस मामले की तह तक जाए और किसी भी सूरत में ऐसे लापरवाह लोग बचने चाहिए जिन्होंने ऐसी भयानक महामारी में भी अपनी जिम्मेदारियों से किनारा किया  


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