हमारी नयी आदते 


अंकित सिंह खड्गधारी 


हमारी नयी आदते 
कोविड-19 ने जितनी ज्यादा सुर्खिया बटोरी है शायद उतनी किसी भी महामारी ने अभी तक नहीं बटोरी है ,भारत ही नहीं अपितु सारा विश्व ही इसके साये में समता हुआ नज़र आता है इस लोग मर रहे है लोग घरो में रहने को मजबूर है जिस से उनके रोजगार भी खत्म होने के कागार पर है इन तमाम परेशानियों के बावजूद, कोविड-19 के घने अंधियारे में उम्मीद की किरण मौजूद है। यह संकट दरअसल विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन यानी नवाचार को बढ़ावा दे सकता है, और बिल्कुल नए तरीके से सोचने वाला समाज गढ़ सकता है।जैसे कई नई बाते हमने अभी ही देख ली है वर्क फ्रॉम होम ,ऑनलाइन शॉपिंग ,अपने काम से काम ,बेवजह यहाँ वहां न जाना ,किसी के फंदे में टांग न अड़ाना और अब इतने दिन लॉक डाउन के भी गुजर चुके है तो लगभग हर आदमी इन बातो को खुद में शामिल कर लेना चाहता है क्यूंकि वह जानता है कि इस फैलती बीमारी का कोई और उपाय अभी तक तो संभव नहीं हो सका है भारत में पिछले एक दशक में इटरनेट और स्मार्टफोन ने बाजार को सब से ज्यादा प्रभावित किया है। लो टच ऑर कॉन्टैक्टलेस’ यानी ‘कम-स्पर्श या संपर्क-विहीन’ सेवा पहुंचाना अब अर्थव्यवस्था का नया मानक बनता जा रहा है। इसका मतलब है कि अब हर लेन-देन में उन स्थितियों से बचा जाएगा, जहां स्पर्श की गुंजाइश होती है। मसलन, किसी किराना स्टोर में जाने की बजाय लोग ऑनलाइन खरीदारी करना पसंद करेंगे। डॉक्टर भी मरीज को क्लिनिक में बुलाने से बेहतर ऑनलाइन देखना चाहेंगे। आने-जाने से तौबा करके लोग ऑनलाइन ही भेंट-मुलाकात करेंगे। इसीलिए, ‘लो टच’ को केंद्र में रखकर कई तरह के नए इनोवेशन हो सकते हैं। ये लंबे समय तक सामाजिक बदलाव के कारक भी बनेंगे। जैसे, ‘पोस्टमैट्स’ और ‘इंस्टाकार्ट’ जैसे स्टार्टअप कूरियर ब्यॉय और ग्राहक के बीच संपर्क कम करने के लिए ‘कॉन्टैक्टलेस’ डिलीवरी कर रहे हैं।जहाँ पहले लोग ऑनलाइन आर्डर देने में हिचकिचाते थे वही अब यही सब से सुरक्षित तरीका ही बचा है शॉपिंग करने के लिए ,कपडे से लेकर गाड़ी तक आज सब कुछ ऑनलाइन ख़रीदजा सकता है इसके लिए आपको सार्वजानिक स्थानों की दुकानों  पर भीड़ का हिस्सा बनाने की कोई जरुरत नहीं है 
वर्किंग फ्रॉम होम’ यानी घर से काम अब सामान्य बात हो गई है, क्योंकि यह व्यवस्था आर्थिक रूप से किफायती है व कामकाज के लिहाज से लचीली भी। चूंकि अचल संपत्ति की कीमतें आसमान छू रही हैं, इसलिए आजकल बडे़ शहरों में ऑफिस रखना महंगा सौदा साबित हो रहा है। इसके अलावा, फर्नीचर, पार्किंग, साज-सज्जा, परिवहन आदि पर भी कंपनियों को बहुत खर्च करना पड़ता है। लिहाजा, अपने कर्मियों को घर से काम करने की अनुमति देकर कंपनियां इस तरह के खर्च कम कर सकती हैं। महानगरों या बड़े शहरों में एक ही स्थान पर आपसी तालमेल करके दो-तीन कंपनियों को चलाने का चलन लोकप्रिय होने ही लगा है। चूंकि इस व्यवस्था में कम संख्या में लोग आना-जाना करेंगे, इसलिए प्रदूषण भी कम होगा, सार्वजनिक परिवहन पर भार घटेगा और ईंधन जैसे बहुमूल्य राष्ट्रीय संसाधन की बचत होगी।विश्वविद्यालयों को सूचना प्रौद्योगिकी के लिहाज से तैयार करने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कई तरह के कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार ने भी देश में ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए ‘ई-विद्या’ कार्यक्रम की घोषणा की है। इसमें अब सबसे बड़ी चुनौती स्कूलों और कॉलेजों में परीक्षा आयोजित करने की है, क्योंकि हमारे यहां परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या काफी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में ही हर साल लाखों परीक्षार्थी बैठते हैं। लिहाजा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में ‘एग्जाम-सेवा’ की शुरुआत की जा सकती है, जिसका मकसद परीक्षाओं का बोझ कम करने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन को हकीकत बनाना हो। टीसीएस द्वारा संचालित ‘पासपोर्ट सेवा’ देश में एक सफल डिजिटल पहल है ही। कोरोना-काल के बाद भी यह प्रयास उपयोगी साबित हो सकता है।और आप ये भी देखें जब परीक्षा की रूपरेखा भी पूरी तरह ऑनलाइन हो जायेगी तो कितना अच्छा हो जाएगा कही से भी पर्चे लीक जैसी समस्याएं नहीं आएँगी 
आप यदि पूरे लॉक डाउन के दौरान अपनी गतिविधियों पर गौर से निगाह डालेंगे तो आप देखेंगे कि हम कितने बदल गए है हमने अपने तरीके कितने ज्यादा बदल डाले है और जैसे हालता है कोरोना संक्रमण के चलते है उस हिसाब से तो शसयद हम इन आदतों को काफी लम्बा ले जायेंगे ,और इन बदली आदतों के परिणाम स्वरुप समाज में कुछ परिवर्तन भी होंगे कुछ अच्छे तो कुछ बुरे ,जैसे हमने ऊपर की बातो  में अच्छी बाते ही कही लेकिन समाज का सब से ज्यादा गरीब तबका इन आदतों से प्रभावित होगा क्यूंकि अब खुले बाजार में और रोड साइड अपने व्यापारों को फैलाये लोगों का जीवन इन सब बातो से खासा प्रभावित होगा 
लेकिन अब समय ऐसे लोगो के भी विचार विपक्ष करने का ,जो अपनी काम आज के समय के हिसाब से अभी तक नहीं कर सके गई उन्हें भी अब कुछ बेहतर प्लान करना होगा जिस से इस कोरोना संक्रमण से भी बच सके और कुछ नई बात सीख कर खुद के जीवन व्यापन को भी सरल बना सके तभी हम कुछ और आगे बढ़ सकते है 


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