संभाजी महाराज की जयंती के अवसर पर जानिये उनके बारे कुछ रोचक तथ्य
१४ मई २०२०
वीर शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज का 14 मई, सन 1657 ई में इनका जन्म हुआ।वे अपने पिता की ही भाँती एक महावीर थे उन्होंने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया था। संभा जी बचपन से ही राजनीति के ज्ञाता रहे और कई अवसरों पर उन्होंने खुद को साबित भी किया संभा जी की पत्नी का नाम येसूबाई था। इनके जन्म के कुछ समय पश्चात इनकी माता सईबाई का देहांत हो गया। इसके बाद इनका लालन-पालन दादी ने किया। कालांतर में इन्होंने मराठी और संस्कृत सहित कई अन्य भाषाओं में प्रवीणता हासिल की।
साहित्य के प्रति भी इनका रुझान था। इन्होंने कई साहित्यिक रचनाएं कीं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने पिता के सम्मान में संस्कृत भाषा में बुधाचरित्र की रचना की।
सन 1665 में मुगलों और मराठों के बीच पुरन्दर की संधि हुई। इसके बाद 3 अप्रैल 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई। उस समय संभा जी राजा बने और उन्होंने अपने पिता के सहयोगियों को पद से बर्खास्त कर नए मंत्रिमंडल का गठन किया। इन्होंने कवि कलश को अपना सलाहकार नियुक्त किया, जो कि मथुरा के रहने वाले थे। इन्हें मराठी भाषा का जरा भी ज्ञान नहीं था। इसे शिवाजी के सहयोगियों ने अपमान मान संभा जी के खिलाफ आंतरिक विद्रोह का बिगुल फूंक दी। इसी विद्रोह के चलते संभाजी मुगलों से लड़ाई में हारे। इसके बाद उन्हें बंदी बना लिया गया और गंभीर मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं, लेकिन महादेव के भक्त संभाजी ने मरते दम तक हार नहीं मानी और 11 मार्च, 1689 को उन्हें वीरगति प्राप्त हुई।
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