योग एक वरदान 


योग एक वरदान 


एक समय था जब योग सिर्फ एक साधना भर थी जो ज्यादातर महाज्ञानियों द्वारा की जाती है जिस से स्वयं के मन पर विजय पाते थे और खुद को एकाग्र रखने में कामयाब होते थे वह योग ही था जिसके द्वारा न जाने कितने ही लोगो ने बड़ी बड़ी सिद्धियों को भी प्राप्त किया 
लेकिन जान साधारण की समझ में तब इसका व्यापक प्रचार संस्धानों के अभाव के चलते नहीं हो सका होगा ,जिस से पूरे विश्व में इसे अपनाया जा सके ,लेकिन बात यदि पुरातन भारत की हो तो योग लगभग हर्र ऋषि आश्रम में सिखाया ही जाता रहा है समस्त सृष्टि और संस्कार में योग समाहित है। योग विकारों से मुक्ति का मार्ग है। योग हमारा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक ज्ञान है। योग की सार्थकता को दुनिया के कई धर्मों ने स्वीकार किया है। योग सिर्फ व्यायाम का नाम नहीं है बल्कि मन, मस्तिष्क, शारीरिक और विकारों को नियंत्रित करने का माध्यम भी है।एक तरफ जहाँ योग शरीर के लिए सब से बढ़िया व्ययाम है वही यह मन के व्यायाम के लिए तो राम बाण के सामान अचूक है क्यूंकि आप अखाड़े में भी मेहनत कर के शरीर को स्वास्थ्य रख सकते है लेकिन मन की शांति के लिए हमे योग के अलावा दूसरा कोई मार्ग नज़र नहीं आता है आधुनिक भारत की बात करे तो योग हर घर तक नहीं पहुंचा था ,शायद ज्यादातर लोग इस बारे में अनजान भी थे लेकिन इसी कड़ी में जब बाबा राम देव जुड़े तो लोग योग को जानने को उत्सुक हुए उन्होंने योग को अपनाया और अपनी बीमारियों को दूर करने के प्रयास करने लगे 
बाबा रामदेव एक तरह से योग के ब्रांड अम्बेस्डर रहे है क्यूंकि ये वही थे जिन्होंने घर घर योग को पहुँचाया और उसके बाद भारत सरकार प्रयासों के बाद सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु समस्त विश्व में योग दिवस (२१ जून को )मानना शुरू हो गया यह निश्चितरूप से भारत को गौरवान्वित करने वाला है यह एक भेंट है समस्त विश्व को भारत की ओर से ,कि कैसे हम खुद को स्वास्थ्य रख सकते है अपने मन को शांत ररख सकते है पूरी दुनिया आज योग और प्राणायाम की तरफ बढ़ रही है। योग भारत के लिए आने वाले दिनों में बड़ा बाजार साबित हो सकता है। विश्व के लगभग 200 से अधिक देश भारत की इस गौरवशाली वैदिक परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं। योग को अब वैश्विक मान्यता मिल गई है। कोरोना संक्रमण काल में भी योग हमारे लिए संजीवनी साबित हो रहा है। हम योग को अपना कर इस महामारी में भी अपने स्वस्थ रख सकते हैं। भारत में योग की परंपरा 5000 हजार साल पुरानी है। 11 दिसम्बर 2014 को इसका प्रस्ताव दिया था। अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के 177 देशों ने भारत के पक्ष में वोट किया था, जिसके बाद भारत दुनिया का विश्वगुरु बन गया।संयुक्त राष्ट्र संघ ने 90 दिनों के भीतर पीएम मोदी के प्रस्ताव को मंजूर किया। हम योग के 21 आसनों को अपनाकर अपनी जिंदगी को सुखी, शांत और निरोगी बनाकर खुशहाल जीवन जी सकते हैं। जब हम तन और मन से स्वस्थ रहेंगे तो राष्ट्र निर्माण और उसके विकास में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।आधुनिक युग की व्यस्त दिनचर्या में योग हमारे लिए अमृत है। अपनी जिंदगी को खुशहाल और डिप्रेशन मुक्त बनाने के लिए योग हमें खुला आकाश देता है। हम धर्म, जाति, भाषा, संप्रदाय के साथ बंधकर स्वयं के साथ देश का अहित करेंगे। योगशास्त्र का इतिहास गौरवशाली उपलब्धि से अटा पड़ा है। हमारे यहां लययोग, राजयोग का भी वर्णन है। योगशास्त्र का इतिहास गौरवशाली उपलब्धि से अटा पड़ा है। हमारे यहां लययोग, राजयोग का भी वर्णन है। चित्त की निरुद्ध अवस्था लययोग में आती है। राजयोग सभी योगों से श्रेष्ठ बताया गया है। महर्षि पतंजलि की योग परंपरा भारत में अधिक संमृद्धशाली है। योगगुरु बाबा रामदेव आज पतंजलि योग व्यवस्था के संवाहक बने है। दुनिया भर में योग का महत्व स्थापित करने में पतंजलि योग संस्थान ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है।आज के समय वह योग ही जिसके द्वारा हम खुद को स्वस्थ्य रख सकते है क्यूंकि रोग के बाद इलाज़ तो बहुत है लेकिन उस रोग को होने से रोकने वाली क्रिया एक मात्रा योग ही है इसीलिए हमे गर्व से इसे धारण करना चाहिए और सिर्फ नाम भर के लिए ही विश्व योग दिवस के रूप में नहीं मानना चाहिए अपितु प्रकृति के इस वरदान  को हम सभी को अपने जीवन में धारण करना चाहिए 


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