बीती अपने आप पर

 

बीती अपने आप पर
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बैठ न सौरभ हार के, रखना इतना ध्यान !
चलने से राहें खुले, हो मंजिल का भान !!
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सुख में क्या है ढूंढ़ता, तू अपनी पहचान !
संघर्षों में जो पले, बनते वही महान !!
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संबंध स्वार्थ से जुड़े, कब देते बलिदान !
वक्त पड़े पर टूटते, शोक न कर नादान !!
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आंधी या बरसात हो, सहते एक समान !
जीवन पथ पर वो सदा, रचते नए विधान !!
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भूल गए हम साधना, भूल गए है राम !
मंदिर मस्जिद फेर में, उलझे आठों याम !!
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रहे सदा तू एक सा, करना मत ये ख्याल !
धन-तन सभी बिखेर दे,आया एक बवाल !!
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औरों की जब बात हो, करते लाख बवाल !
बीती अपने आप पर, भूले सभी सवाल !!
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✍ प्रियंका सौरभ 
रिसर्च स्कॉलर, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
उब्बा भवन, शाहपुर रोड, सामने कुम्हार धर्मशाला,
आर्य नगर, हिसार (हरियाणा)-125003

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