एनईएचएचडीसी और इट्सी ने उत्तर पूर्व के छोटे और पारंपरिक कारीगरों की सहायता करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

 नई दिल्ली (पीआईबी)

अद्वितीय और रचनात्मक वस्तुओं के लिए वैश्विक बाजार इट्सी ने उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम (एनईएचएचडीसी) के साथ भागीदारी की है। इसके लिए छोटे विक्रेताओं, बुनकरों व कारीगरों को बाजार पहुंच और उनको सक्षम बनाने में सहायता प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया है।

इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत इट्सी, एनईएचएचडीसी के साथ मिलकर विशेष रूप से उत्तर पूर्व के कारीगरों के लिए सक्षमता कार्यक्रमों को विकसित करेगी। इसके अलावा ऑनलाइन बिक्री व उद्यमिता पर मॉड्यूल और उनके उत्पादों की व्यापक बाजार तक पहुंच के अवसर पैदा करना शामिल हैं।

इट्सी का उद्देश्य भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र में कारीगरों, कलाकारों व छोटे उद्यमियों को ऑनलाइन कारोबार शुरू करने और प्रबंधित करने के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों व संसाधनों से युक्त करना है। इट्सी इन विक्रेताओं को डिजिटल सक्षमता सेवाएं प्रदान करेगी। साथ ही उन्हें इट्सी से परिचित कराने व बाजार में अपने उत्पादों की बिक्री के तरीकों पर प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करेगी।

इस अवसर पर एनईएचएचडीसी के प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) राजीव कुमार सिंह ने कहा, “उत्तर पूर्व क्षेत्र के स्वदेशी शिल्प को बढ़ावा देने और शिल्पकारों के लिए आर्थिक अवसर उत्पन्न करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु (फोकस) है। इस क्षेत्र में 21 लाख से अधिक बुनकर और 14.5 लाख कारीगर हैं, लेकिन बाजार के साथ जुड़ाव का सही तरीका मौजूद नहीं है। इट्सी के साथ यह जुड़ाव हमारे कारीगरों के लिए एक गेमचेंजर (बड़ा बदलाव लाने वाला) हो सकता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे अपनी शर्तों पर उद्यमिता का पता लगाने तथा घरेलू व वैश्विक, दोनों खरीदारों तक पहुंचने में सक्षम हों।”

वहीं, इट्सी के पब्लिक पॉलिसी और एडवोकेसी के उपाध्यक्ष रॉस ला जुनेसे ने कहा, "पूरे विश्व में इट्सी की सोच 'कीप कॉमर्स ह्यूमन' है और हम छोटे विक्रेताओं तथा उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए अपने व्यापार व मंच की ताकत का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं- यह जानते हुए कि ऐसा करके हम बदले में समुदायों को सशक्त और बेहतर बनाते हैं। 'मेड इन इंडिया' उत्पादों को वैश्विक प्रशंसा मिली है और हम उत्तर पूर्व के सभी राज्यों के कारीगरों व शिल्पकारों को 55 लाख विक्रेताओं के हमारे समुदाय का हिस्सा बनाने तथा हमारे मंच का उपयोग पूरे विश्व के दर्शकों व खरीदारों के सामने अपनी कला की जटिलता, सुंदरता और गुणवत्ता प्रदर्शित करने में सक्षम बनाना चाहते हैं।”

यह साझेदारी ईटीसी मंच पर लाखों खरीदारों के लिए क्षेत्र के स्वदेशी उत्पादों (कपड़ा, बेंत व बांस उत्पादों, सहायक उपकरण और कई अन्य श्रेणियां) को ऑनलाइन उपलब्ध कराने में सहायता करेगी। उत्तर पूर्व के सभी आठ राज्यों यानी अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के कारीगरों को ईटीसी पर जगह दी जाएगी। उन्हें इस कार्यक्रम के तहत एक निश्चित धनराशि का निःशुल्क विज्ञापन क्रेडिट प्राप्त होगा।

इट्सी के बारे में:

इट्सी इंक की स्थापना 2005 में हुई थी और इसका मुख्यालय न्यूयार्क के ब्रुकलिन में है। यह दो तरफा ऑनलाइन मार्केटप्लेस संचालित करती है, जो पूरे विश्व के लाखों उत्साही और रचनात्मक खरीदारों व विक्रेताओं को आपस में जोड़ता है। ये मार्केटप्लेस "कीप कॉमर्स ह्यूमन" के मिशन को साझा करते हैं और समुदायों को मजबूत करने व लोगों को सशक्त बनाने के लिए व्यापार तथा तकनीक की शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। Etsy.com इसका प्राथमिक बाजार है और यह अद्वितीय व रचनात्मक वस्तुओं के लिए वैश्विक गंतव्य है। इट्सी पर खरीदार रचनात्मक उद्यमियों की तैयार तथा क्यूरेट की गई वस्तुओं से प्रेरित और आनंदित होने के लिए आते हैं। विक्रेताओं के लिए इट्सी कई प्रकार के उपकरण और सेवाएं प्रदान करती है, जो प्रमुख व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

इट्सी इंक के "हाउस ऑफ ब्रांड्स" पोर्टफोलियो में फैशन रीसेल मार्केटप्लेस- डीपॉप, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट मार्केटप्लेस- रिवर्ब और ब्राजील स्थित हैंडमेड गुड्स मार्केटप्लेस इलो7 भी शामिल हैं। हर एक इट्सी इंक मार्केटप्लेस स्वतंत्र रूप से संचालित होती है। वहीं, यह उत्पाद, विपणन, तकनीक और ग्राहक सहायता में साझा विशेषज्ञता से लाभान्वित होती है।

एनईएचएचडीसी के बारे में:

1977 में गठित उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम (एनईएचएचडीसी) एक ऐसा संगठन है, जो शिल्पकारों को संभावित बाजारों व उपभोक्ताओं से जोड़कर उत्तर पूर्वी क्षेत्र के स्वदेशी शिल्प को विकसित करने और बढ़ावा देने का प्रयास करता है। इसके अलावा उपभोक्ताओं के लिए सांस्कृतिक मूल्य जोड़ते हुए कलाकारों के लिए आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अवसर उत्पन्न करता है। यह निगम भारत सरकार के उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) के प्रशासनिक नियंत्रण में है। यह उत्तर पूर्व के सभी आठ राज्यों यानी अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के उत्पादों की एक श्रृंखला प्रदान करता है।

यह संगठन पूरे क्षेत्र के कारीगरों और बुनकरों से हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों को खरीदता है और शिलांग, गुवाहाटी, कोलकाता, नई दिल्ली व बेंगलुरू में स्थित "पूर्वश्री" एम्पोरिया की अपनी श्रृंखला तथा चेन्नई में एक बिक्री संवर्धन कार्यालय के जरिए इनकी खुदरा बिक्री करता है। इसके अलावा यह प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों के जरिए विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उत्पादों को बढ़ावा देता है। यह निगम कारीगरों और बुनकरों के कौशल व ज्ञान के उन्नयन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा सेमिनार भी आयोजित करता है।

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