कश्मीर से पलायन

demo pic- thanks with google search engiene

बीते दिनों फिर से लगातार कश्मीर चर्चा में है और  इस बार ये चर्चा का बाज़ार किसी धरना प्रदर्शन या फिर किसी धारा को हटाने या जोड़ने को लेकर नहीं है बल्कि चर्चाओं की ये गर्मी अपनी जान को बचाने को लेकर है और ये बहुत ही दुखद बात है देश के शुभचिंतक जो स्वयं को सेकुलर होने का पूरा दावा करते है वे केवल एक वर्ग विशेष के लिए ही आवाज़ उठाना जानते है आज जिस तरह बीते दो हफ्तों में कश्मीरी हिन्दुओ की टारगेट किलिंग हो रही है उस से साफ़ पता चल रहा है कुछ भी सरकार के नियंत्रण में नहीं है काश्मीर में हिन्दुओं की सुरक्षा पर आज भी प्रश्न पहले जैसा ही है और इन्ही अब खतरों के बीच कुछ ऐसी खबरे बाज़ार में आ चुकी है एक बार फिर से हिन्दू कश्मीर से पलायन कर रहा है क्यूंकि वहां रहना अब उसके लिए खतरे से खाली नहीं रहा है और जिम्मेदार सिर्फ मीटिंग ही व्यस्त नज़र आते है आखिर कश्मीर में क्या बदला है धरा 370 हटाने के बाद भी आखिर क्यों वहां की वयस्था दुरुश्त नहीं रह सकती पूरे देश में हिन्दू बहुसंख्यक है और इसके बाद भी अपने ही देश में उसे पालयन जैसी समस्याओं  क्यों गुजरना पड़ रहा है इसका जवाब देश गृह मंत्री को देना चाहिए  कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के साथ गैर कश्मीरियों को चुन-चुनकर निशाना बनाए जाने के खौफनाक सिलसिले को थामने के लिए जो तमाम कदम उठाए जा रहे हैं, उनकी सार्थकता तभी है, जब वे आतंकियों पर लगाम लगाने के साथ घाटी के अल्पसंख्यकों को सुरक्षित होने की अनुभूति कराएंगे। यह ठीक है कि घाटी में कार्यरत कश्मीरी हिंदुओं को तत्काल प्रभाव से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना शुरू कर दिया गया है, लेकिन आखिर इसकी क्या गारंटी कि ऐसे स्थान उनके लिए वास्तव में सुरक्षित साबित होंगे? यह प्रश्न इसलिए, क्योंकि पिछले कुछ समय से आतंकी कहीं भी किसी को भी निशाना बनाने में समर्थ दिख रहे हैं।हाल के दिनों में आतंकियों ने तहसील, स्कूल, बैंक आदि में घुसकर हिंदुओं-सिखों को निशाना बनाया है। इसी कारण उनमें खौफ पैदा हुआ है और वे पलायन करने की तैयारी कर रहे हैं। कश्मीरी हिंदू किस तरह खौफजदा हैं, यह इससे समझा जा सकता है कि घाटी में कार्यरत जम्मू के कर्मचारी गृह जिलों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं। मौजूदा माहौल में इस मांग को अनुचित नहीं कहा जा सकता, लेकिन यदि घाटी में कार्यरत कश्मीरी हिंदू जम्मू स्थानांतरित कर दिए जाते हैं, तो इससे आतंकियों के दुस्साहस को ही बल मिलेगा। स्पष्ट है कि कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षा के ठोस उपाय करने के साथ यह भी आवश्यक है कि आतंकियों के खुले-छिपे समर्थकों पर भी सख्ती बरती जाए। क्यूंकि यदि एक बार फिर से पूरा देश ऐसे ही कश्मीरी हिन्दुओं का तमाशा देखता रहेगा तो निसंदेह एक बार फिर से  कश्मीर में वही कत्ले आम देखने को मिलेगा जिसे आज भी भुलाने की कोशिश हम करते आ रहे है 


अंकित सिंह "खड्गधारी "

Post a Comment

Previous Post Next Post

प्रेस विज्ञप्ति व विज्ञापन के लिये ,हमें ईमेल करे editordharasakshi@gmail.com