जानिये बालासन कैसे किया जाता है, और क्या है इसके फायदे



बालासन सभी आयु वर्ग के लिए एक आसान योगासन है और इसे वो लोग आसानी से कर सकते हैं जिन्होंने योग करने की शुरुआत की है। बालासन अक्सर योगा सीखने वाले लोगों के लिए पहला आसन/पोज़ होता है। यह बहुत ही आसान लेकिन बेहद प्रभावशाली आसन है जो शरीर को लचीला बनाने और पाचन को बेहतर करने में मदद करता है।

 


 बालासन दो शब्दों से मिलकर बना है, बाल और आसन जिसमें बाल का अर्थ है बच्चा और आसन का अर्थ है एक मुद्रा। इस आसन में शरीर एक भ्रूण की स्थिति में होता है और इसे आराम करने वाला आसान  माना जाता है। बालासन तनाव और थकान को कम करने, कूल्हों, जांघों और एंकल्स को स्ट्रेच करने में मदद करता है।
इस आसन का अभ्यास अक्सर योग सेशन के दौरान कठिन पोज के बीच एक रिलैक्स करने के लिए किया जाता है। आइए योग गुरु अक्षर से जानते हैं कि बालासन कैसे किया जाता है, इसके अभ्यास से क्या फायदे होते हैं और इसे करते वक्त क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए-
बालासन क्या है?
बालासन कम कठिनाई का या बेसिक लेवल का आसन है। इसे विन्यास योग की शैली का आसन माना जाता है। बालासन का अभ्यास 1 से 3 मिनट तक किया जाना चाहिए। जिस तरह गर्भवती महिला के पेट में एक बच्चा होता है, इस आसन में आपको इसी अवस्था में आना होता है। इसलिए ही इसे बालासन कहा जाता है यानी कि बच्चे की मुद्रा।
बालासन करने का सही तरीका
    फर्श पर घुटने टेके और दोनों पैरों के अंगूठों के नजदीक लाएं।
    अपनी एड़ी पर बैठें और आप अपने घुटनों को कूल्हों की चौडाई जितना फैला सकते है।
     यह गर्भावस्था के दौरान विशेष रूप से आरामदायक आसन है।
    इस स्थिति में गहरी सांस लें।
    अब आप सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें, और अपने धड़ को अपनी जांघों के बीच रखें।
    अपनी बाहों को आगे की तरफ बढाएं।
    धीरे धीरे जितना आगे हाथों को ले जा सकते हैं, ले जाएं और यहां अपने कन्धों को फर्श पर आराम दें।
    जैसा कि यह रिलैक्सेशन पोज़ है, आप इस स्थिति में 30 सेकंड या कुछ मिनट के लिए बने रह सकते हैं।
    आसन से बाहर आने के लिए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाएं।
बालासन के फायदे
    यह सीने, पीठ और कंधों के तनाव को दूर करता है।
    चक्कर आना या थकान जैसी स्थितियों के लिए अत्यधिक फायदेमंद  है।
    तनाव और चिंता को कम करता है।
    शरीर के आंतरिक अंगों को मसाज कर उन्हें सक्रिय और लचीला बनाता है।
    बालासन स्पाइन को लम्बा करने में मदद करता है।
    यह पीठ के निचले हिस्से और गर्दन के दर्द से राहत देता है।
    यह टखनों, कूल्हों और जांघों को स्ट्रेच करता है।
    यह पूरे शरीर में रक्त के सही प्रवाह को बढ़ावा देता है।
    घुटने, मांसपेशियों और घुटने के आसपास के क्षेत्र में स्ट्रेच पैदा करता है।
    यह आपके सांस लेने के तरीके में सुधार करता है और शरीर और दिमाग दोनों को शांत करता है।
 ये सावधानियां जरूर रक्खे
हालांकि बालासन सभी के लिए एक सुरक्षित आसन है लेकिन कुछ परिस्थितियों में इस आसन का अभ्यास करते समय आपको निम्न सावधानी बरतनी चाहिए-

    जब संतुलन बनने लगे तो आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
    शीर्षासन के बाद बालासन जरूर करना चाहिए।
    इस आसन को करते समय अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक बल ना लगाएं।
    गर्भावस्था में बालासन का अभ्यास शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
    अगर आपको डायरिया है या आप घुटनों में चोट से पीड़ित हैं, आपने हाल ही में घुटने या पेट की सर्जरी कराई है तो बालासन का अभ्यास बिल्कुल न करें।
बालासन के पहले कौन से योगासन करें

बालासन के अभ्यास से पहले आप वीरभद्रासन का अभ्यास कर सकते हैं। यह आसन कोई भी कठिन योग मुद्राओं के बीच में या बाद में किया जा सकता है जिससे आपके शरीर को रिलैक्स करने और मसल्स को आराम करने में मदद मिलेगी।

योग आपके शरीर और मन के विकास करने के लिए जाना जाता है। इसके अभ्यास से आपको अनेक शारीरिक और मानसिक लाभ मिलते है। यह आवश्यक है कि आप योगासन किसी ट्रेनर के मार्गदर्शन में ही करें। आपको कोई शारीरिक दुविधा है तो योगासन करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क कर लें।



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