श्री श्री राधारमण बिहारी (इस्कॉन) मंदिर द्वारा गांधी
भवन हरदोई में दिनांक 8/07/2022 शुक्रवार को एक दिवसीय श्रीमद् भगवद्गीता
सेमिनार ( आध्यात्मिक आनंद ) का आयोजन श्रीमती विनीता सिंह( जिला
कार्यकर्ता प्रभारी भाजपा,महिला मोर्चा हरदोई) द्वारा किया गया। जिसमें
क्रमशः 2 दिन बृहस्पतिवार एवं शुक्रवार को इस्कॉन के भक्तों द्वारा हरदोई
शहर में नगर संकीर्तन निकाला गया, सत्संग एवं प्रवचन में श्रीमान
अपरिमेय श्यामदास जी* ने बताया कि अधिकतर संसार में हम अपनी पहचान अपने
नाम,ख्याति अपने शरीर से करते हैं लेकिन वास्तव में हम भगवान के अंश हैं।
हम
जीवात्मा हैं और हम जितना भी सुख लेना चाह रहे हैं शरीर के स्तर पर लेना
चाह रहे हैं,शरीर से मिलने वाला सुख क्षणिक है स्थाई सुख नहीं है,स्थाई सुख
ऐसा सुख है जो निरंतर बढ़ता जाए उसे आनंद कहते हैं।आनंद को प्राप्त करने
के लिए हमें जीवन को गंभीरता से लेना पड़ेगा फिर निश्चित रूप से हम
आध्यात्मिक आनंद को ले सकते हैं और आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए के
लिए आध्यात्मिक ज्ञान का होना अति आवश्यक है।बिना आध्यात्मिक ज्ञान के कोई
भी व्यक्ति आध्यात्मिक जीवन को सही तरीके से नहीं अपना सकता। सामान्य तौर
पर देखा जाता है कि संसार में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो आध्यात्मिक जीवन को
अपनाने में वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान को गंभीरता से नहीं लेते और कोई भी
ज्ञान तक फलीभूत नहीं होता जब तक वह क्रमबद्ध तरीके से न लिया जाए। हम
संसार में भौतिक ज्ञान को भी देख सकते हैं कि कोई भी ज्ञान हमें क्रमबद्ध
तरीके से न दिया जाए तो वह ज्ञान हमारे जीवन में प्रभाव नहीं डालता है।अतः
वह ज्ञान हमारे हृदय में उतर नहीं पाता।इसी प्रकार से आध्यात्मिक जीवन को
क्रमबद्ध तरीके से लेना चाहिए, और सभी हरदोई वासियों से भगवत गीता यथारूप
का स्वाध्याय एवं हरे कृष्ण महामंत्र प्रतिदिन करने को कहा l
कार्यक्रम
में शहर की मशहूर हस्तियों,अनुज महेंद्र ( काशीनाथ सोमनाथ सर्राफ हरदोई ),
उमेश अग्रवाल ( पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका परिषद हरदोई ), प्रेमा वती पी
के वर्मा ( अध्यक्ष जिला पंचायत हरदोई), डॉक्टर गोपाल अवस्थी अपनी
उपस्थिति दर्ज कराई,और अंत मे सभी भक्तों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया
प्रवम् गर्मियों को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रकार के जूस की व्यवस्था की
गई जिसका हरदोई नगर के भक्तों नें भरपूर आनंद उठाया।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। ।
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