नईदिल्ली (वार्ता) कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की विशेष जांच टीम
(एस आई टी) जांच की मांग करने वाली ‘रूट्स इन कश्मीर’ की क्यूरेटिव याचिका
पर उच्चतम न्यायालय 22 नवंबर को सुनवाई करेगा। पुनर्विचार याचिका को शीर्ष
अदालत ने 2017 में 27 साल की देरी से दाखिल किए जाने के आधार पर खारिज कर
दिया गया था।
क्यूरेटिव याचिका किसी मामले में भारतीय न्यायिक प्रक्रियाओं में अंतिम
कानूनी उपाय है। रूट्स इन कश्मीर, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के मुद्दे
सहित कई मुद्दों के लिए लड़ने के लिए कश्मीरी पंडित युवाओं द्वारा शुरू की
गई एक पहल है।
याचिका में कहा गया है कि अगर 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों को 35
साल बाद फिर से खोला जा सकता है, तो कश्मीर पंडितों के नरसंहार के मामलों
को क्यों नहीं खोला जा सकता है। ‘‘मानवता के खिलाफ अपराधों में कोई सीमा
अवधि लागू नहीं है,” आरआईके याचिका में कहा गया है और इन नरसंहार मामलों की
एसआईटी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम
कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल और एस अब्दुल
नज़ीर भी शामिल हैं।
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