#इफ्फीवुड, 23 नवंबर 2022
'शब्द नए होने ही चाहिए
अर्थ नया होना ही चाहिए
और जब आप कविता पढ़ते हों,
तो, स्वाद नया होना ही चाहिए'
तमिल फिल्म 'लिटिल विंग्स' के निर्देशक नवीन कुमार मुथैया ने प्रसिद्ध तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की इन्हीं प्रसिद्ध पंक्तियों का उल्लेख कर इस फिल्म को प्रस्तुत करने की अपनी सहज इच्छा के बारे में भावप्रणता से बताया। उन्होंने बताया कि उनकी फिल्म एक ऐसे विषय से संबंधित है, जिसके बारे में बार-बार बताए जाने के बावजूद समाज में उसकी खतरनाक और अपरिहार्य उपस्थिति के कारण उसकी प्रासंगिकता बरकरार है।"जब आप एक ऐसी कहानी बताना या एक अवधारणा प्रस्तुत करना चाहते हैं, जिसे हजार बार बताया गया है, तो आपको उसे अनोखे तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए।" यह बात नवीन कुमार ने गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में पीआईबी द्वारा आयोजित 'टेबल टॉक्स' सत्र में फिल्म और मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए कही।
नवीन कुमार मुथैया ने कहा, “मेरी फिल्म पितृसत्ता की सामाजिक बुराई से संबंधित है, जिसकी जड़ें समाज में बहुत गहरी हैं। मैं इसे एक अलग तरीके से बताना चाहता था।” उन्होंने कहा कि हालांकि उनकी फिल्म एक पुरुष के नजरिए से अपनी बात रखती है, लेकिन यह हर उस महिला का प्रतिनिधित्व करती है,जो खामोशी, लेकिन कर्तव्यनिष्ठा से पितृसत्ता का दंश झेल रही है।
इस तरह की फिल्म बनाने की प्रेरणा के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए नवीन कुमार ने कहा कि सात साल पहले उन्होंने तमिल लेखक गंधर्वन द्वारा रचित एक विवाहित जोड़े के बारे में एक छोटी सी कहानी पढ़ी थी। उन्होंने कहा कि हालांकि वह उस कहानी को भूल गए, लेकिन उस कहानी की घटनाएं और विषय उनके जीवन और उनके परिवेश में विभिन्न रूपों में उनके सामने आते रहे। उन्होंने बताया कि कैसे अपने चारों ओर ऐसे ही जोड़ों को देखकर उनकी इस तरह के विषय पर आगे बढ़ने की इच्छा जागृत हुई।
'लिटिल विंग्स' गांव के एक जोड़े की कहानी है, जो सामाजिक रीति-रिवाजों से बंधे होने के कारण अभावग्रस्त जीवन बिता रहे हैं। फिल्म के क्रिएटिव डायरेक्टर राजेश ने कहा "पितृसत्ता और भूख मिलकर इस फिल्म की टोन सेट करते हैं। फिल्म का नायक लकवाग्रस्त है और उसकी कर्तव्यपरायण पत्नी उसकी देखभाल करती है, लेकिन वह पितृसत्ता द्वारा उसे सौंपे गए ताज को त्यागने के लिए तैयार नहीं है।"
फिल्म में, शादी के कड़वाहट भरे रिश्ते में उलझी एक बूढ़ी महिला है, जिसकी तकलीफ उस समय चरम पर पहुंच जाती है, जब उसका पति उसके पालतू मुर्गे को खाने पर आमादा हो जाता है। महिलाएं अक्सर अपनी भावनाओं और समाज में प्रचलित विश्वासों की जंग हार जाती है, इसी ओर संकेत करते हुए नवीनकुमार कहते हैं, “ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ रस्में होती हैं, जहां जब कोई व्यक्ति भूख से मर जाता है, तो एक जानवर की बलि देकर उसे मृतक के साथ दफन किया जाता है। मेरी नायिका को पितृसत्तात्मक समाज में रहने के कारण प्रथा का पालन करने के लिए हृदयविदारक रूप से अपना संकल्प छोड़ना पड़ता है।”
फिल्म में नायक की भूमिका निभाने वाले अभिनेता कालिदास सी ने सिनेमैटोग्राफर सरवणा मारुथु के साथ सत्र में भाग लिया। फिल्म में नायिका की भूमिका मणिमेघलाई ने निभाई है।
इस भूमिका के लिए अभिनेता कालिदास सी का चयन कैसे किया गया, इस पर प्रकाश डालते हुए नवीनकुमार ने कहा कि पुरुष चरित्र उनके पिता और उनके आसपास के वातावरण से प्रेरित है। उन्होंने कहा, "हमें एक ऐसे अभिनेता की तलाश थी, जो इस भूमिका में फिट हो सके और हम कालीदास के संपर्क में आए, जो एक नुक्कड़ नाटक समूह का हिस्सा है जो जमीनी स्तर पर गहरी छाप छोड़ रहा है।"
'लिटिल विंग्स' को इंडियन पैनोरमा की गैर-फीचर फिल्म श्रेणी के तहत प्रदर्शित किया गया।
नवीनकुमार मुथैया स्व-शिक्षित महत्वाकांक्षी पटकथा लेखक और फिल्मकार हैं। लिटिल विंग्स, का निर्माण कॉमरेड टॉकीज के तहत दिलानी रबींद्रन और राजुमुरुगन ने और सह-निर्माण वीएफपी द्वारा किया गया है, निर्देशक के रूप में यह उनकी पहली लघु फिल्म है।
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