53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मर्सिडीज ब्रायस मॉर्गन की ‘फिक्सेशन’ को मिड फेस्ट फिल्म के रूप में अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर का अवसर दिया गया है। निर्देशक के तौर पर मर्सिडीज ब्रायस मॉर्गन की यह पहली फिल्म है। फिल्म एक वास्तविक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर है, जो समाज की वास्तविकताओं और इसकी दमनकारी शक्ति संरचनाओं को उजागर करती है, जिससे दुर्व्यवहार करने वाले सशक्त होते हैं तथा दुर्व्यवहार सहने वालों को ही जवाब देने के लिए बाध्य होना पड़ता है। फिल्म महोत्सव के दौरान पीआईबी द्वारा आयोजित आईएफएफआई 'टेबल टॉक्स' में मीडिया और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए ‘फिक्सेशन’ की निर्देशक मर्सिडीज ब्रायस मॉर्गन ने कहा कि उनकी फिल्म सिगमंड फ्रायड और उनके प्रसिद्ध रोगी, डोरा के केस स्टडी से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि एक अतियथार्थवादी फिल्म होने के नाते, फिक्सेशन ने यूरोपीय और कोरियाई फिल्मों से भी प्रेरणा ली है, क्योंकि अमेरिकी फिल्मों में बहुत अधिक अतियथार्थवाद नहीं होता है।फिल्म की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताते हुए, निर्देशक ने कहा कि यह कहानी उनके लिए और कई अन्य महिलाओं के लिए बहुत ही व्यक्तिगत है, जिन्हें वे जानती हैं। उन्होंने कहा, “मैं एक बहुत छोटे शहर में पली-बढ़ी हूँ, जहाँ लोग अलग-थलग पड़ी जगहों पर रहते हैं और आप केवल सीमित लोगों को जानते हैं। जब कोई कहता है कि यह सच है, तो हम यह भी नहीं जान पाते हैं कि यह सच है या झूठ। आप वास्तविकता की इस स्थिति में फंस जाते हैं। हमें उन बातों पर संदेह होता है, जिन्हें हम निश्चित तौर पर नहीं जानते हैं और हम खुद से और अपने आसपास के लोगों से सवाल करने लगते हैं। एक फिल्म निर्माता के रूप में, मैं अपने दर्शकों को इस तरह के वास्तविक अनुभव से रूबरू कराना चाहती हूं।
मनोवैज्ञानिक फिल्मों के प्रति अपने प्यार को उजागर करते हुए, मर्सिडीज ब्रायस मॉर्गन ने कहा कि वह दर्शकों को पूरे समय अनुमान लगाते रहने देना और उन्हें पात्रों के साथ रहने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस फिल्म में हर किरदार अलग तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।
इस बातचीत में शामिल होते हुए इस फिल्म के मुख्य निर्माता मैक्स टॉपप्लिन ने कहा कि फिक्सेशन एक प्रायोगिक फिल्म और व्यावसायिक तौर पर हॉलीवुड की एक बेहद सफल फिल्म का एक सुन्दर मिश्रण है। “यह अपने विषय वस्तु की दृष्टि से एक प्रयोगात्मक फिल्म हो सकती है। लेकिन साथ ही इसमें बाजार आधारित एक सफल व्यावसायिक फिल्म के सभी तत्व भी मौजूद हैं। इसमें बहुत अधिक उत्साह, दृश्यात्मक व श्रव्यात्मक उत्तेजना और शानदार अभिनय है, जिसे कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है।
हालांकि मैक्स टॉपप्लिन ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि स्वतंत्र फिल्म निर्माण बेहद कठिन है, लेकिन वह इसे लेकर बहुत निराशावादी नहीं हैं। इस अर्थ में, सच्चाई के करीब होने पर थोड़ी अजीब और लीक से हटकर विषय वाली फिल्मों को भी दर्शक मिल सकते हैं। उन्होंने कहा, “लेकिन स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं को यह पता लगाना होगा कि पैसा कैसे जुटाना है और उन्हें अन्य लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनकी फिल्म बनाने लायक है।”
बातचीत में इस फिल्म की निर्माता कैटरीना कुडलिक और माया हेबल ने भी हिस्सा लिया।
सारांश
एक असामान्य हत्या के मुकदमे में सजा सुनाए जाने से पहले एक युवा महिला के मानसिक रोग की जांच की जाती है। लेकिन जैसे-जैसे जांच अधिक व्यक्तिगत और भयावह होती जाती हैं,
वह अपने डॉक्टरों के असली इरादों पर सवाल उठाने लगती है। मैडी हसोन ने एक
युवती डोरा का किरदार निभाया है, जो एक अपरंपरागत संस्था के लिए प्रतिबद्ध
है वह एक अपराध करती है जिसे वह याद नहीं रख सकती। लगातार नशे की लत और
कठोर मनोरोग मूल्यांकन के अधीन, डोरा को उसके गूढ़ बंधक बनाने वालों द्वारा
एक कठोर सच्चाई का सामना करने के लिए कहा जाता है। लेकिन क्या उन पर भरोसा
किया जा सकता है?
निर्देशक के बारे में
मर्सिडीज ब्रायस मॉर्गन एक
पुरस्कार विजेता लैटिन निर्देशक हैं। मर्सिडीज की डेब्यू फीचर फिल्म
'फिक्सेशन' का प्रीमियर टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ। एएमसी के
शूडर के साथ उनकी दूसरी फीचर फिल्म 'स्पून फुल ऑफ शुगर' का प्रीमियर
अमेरिका के टेक्सास में फैंटास्टिक फेस्ट में हुआ। मर्सिडीज ने एमजीएम,
फेसबुक वॉच, स्नैपचैट, न्यू फॉर्म, ईको और प्रोजेक्ट ग्रीनलाइट/एडेप्टिव जैसे स्टूडियो के लिए एपिसोडिक सीरीज का निर्देशन किया है।
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