केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने नई दिल्ली में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘इंडियाः दी मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ का विमोचन किया। इस अवसर पर आईसीएचआर के अध्यक्ष प्रो. रघुवेन्द्र तंवर और आईसीएचआर के सदस्य सचिव प्रो. उमेश अशोक कदम भी उपस्थित थे। इस पुस्तक में दिखाया गया है कि सभ्यता के उदय के समय से ही भारत लोकतांत्रिक लोकाचार से ओतप्रोत रहा है।
इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि लोकतंत्र का उद्गम भारत में चौथी शताब्दी में ही हो गया था। तंजौर के शिलालेख इस बात के जीते-जागते प्रमाण हैं। कलिंग और लिच्छवी कालखंड के दौरान सामाजिक व्यवस्था के जो प्रमाण मिलते हैं, उनसे भी भारत के लोकतांत्रिक डीएनए का पता चलता है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उस व्याख्यान का उल्लेख किया, जो उन्होंने 76वीं संयुक्त राष्ट्र आम सभा में दिया था। उसमें उन्होंने कहा था कि भारत न केवल सबसे पुराना लोकतंत्र है, बल्कि वह लोकतंत्र का जनक भी है।श्री प्रधान ने कहा कि जो समाज अपनी सभ्यतामूलक शक्ति पर गर्व नहीं करता, वह न तो कुछ बड़ा सोच सकता है और न कुछ बड़ा प्राप्त कर सकता है। उन्होंने आईसीएचआर और उन विद्वानों की प्रशंसा की, जिन्होंने पश्चिम के विमर्श को चुनौती देने के लिये भारतीय लोकतंत्र के मूल तथा आदर्शों के बारे में प्रमाण सहित आख्यान प्रस्तुत किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पुस्तक‘इंडियाः दी मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ भारत की लोकतांत्रिक धरोहर पर स्वस्थ्य चर्चा को प्रोत्साहित करेगी तथा हमारे शाश्वत लोकतांत्रिक मल्यों पर गर्व करने के लिये अगली पीढ़ी को प्रेरणा देगी।
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