दिल्ली-एनसीआर में पुलिस थानों में सीसीटीवी प्रणाली का बुरा हाल

 


दिल्ली-एनसीआर में पुलिस थानों में सीसीटीवी प्रणाली का बुरा हाल

चंडीगढ़ (वार्ता) दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पुलिस थानों में सीसीटीवी प्रणाली का बुरा हाल है।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आज यहां जारी एक प्रेस बयान के अनुसार आयोग प्रमुख न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पुलिस थानों में सीसीटवी कैमरे लगाने के निर्देशों का पूरी तरह से पालन न करने पर चिंता जताई है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ रिकॉर्डिंग के 18 महीने के स्टोेरेज की क्षमता के साथ हर पुलिस थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने हैं। न्यायाधीश मिश्रा ने कहा कि पुलिस कार्य में पारदर्शिता कानून एवं व्यवस्था प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आयोग इस संदर्भ में आवश्यकता पड़ने पर पुलिस अधिकारियों व विशेषज्ञों के साथ मिलकर एसओपी बनाने के लिए तैयार है। बैठक कुछ समय पहले तिहाड़ जेल में एक विचाराधीन कैदी की आत्महत्या की घटना के बाद दिल्ली, हरियाणा के गुरुग्राम, झज्जर और सोनीपत जिलों और उत्तर प्रदेश के गौैतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद जिलों के 32 पुलिस थानों में निरीक्षण के बाद आयोजित की गई थी।निरीक्षण में पता चला कि उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के 19 पुलिस थानों में दो से चार सीसीटीवी कैमरे ही लगे हैं। दिल्ली में 13 पुलिस थानों की जांच की गई जिनमें 10 कैमरे डीवीआर और नाईट विजन डीवीआर के साथ लगे हैं। पुलिस मुख्यालयों की तरफ से लगाये गये कई सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे। हालांकि कुछ पुलिस थानों में सीएसआर के तहत कंपनियों की तरफ से दान दिये गये कैमरे काम कर रहे हैं। कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सीसीटीवी सिस्टम के कार्य के बारे में पता नहीं है। सीसीटीवी कैमरे सही स्थानों पर नहीं लगाये गये। पुलिस थानों में सीसीटीवी निगरानी की समर्पित व्यवस्था नहीं है। कई थाना प्रभारियों ने केवल एक कांस्टेंबल को सीसीटीवी सिस्टम को देखने के लिए रख छोड़ा है और वह भी पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं हैं। सीसीटीवी कैमरों की डाटा स्टोरेज 15-75 दिनों के लिए ही है वह भी बिना ऑडियो के। किसी भी थाना प्रभारी को जिला स्तरीय निगरानी समिति, समय समय पर सीसीटीवी व इसके उपकरणों के रखरखाव व बजटीय प्रावधान की जानकारी नहीं है। पुलिस थाना स्तर पर सीसीटीवी कैमरों के रखरखाव के लिए बजटीय प्रावधान नहीं है। कोई थाना प्रभारी मानवाधिकार उल्लंघन की जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज की समय-समय पर समीक्षा नहीं करता।
इस तरह पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की बुनियादी जरूरत अनुत्पादक है।

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