वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने नई दिल्ली में ‘भविष्य के लिए तैयार भारत के बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ रणनीतिक जुड़ाव की सुविधा’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया

नईदिल्ली (पीआईबी)वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने नई दिल्ली में 'भविष्य के लिए तैयार भारत के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के साथ रणनीतिक जुड़ाव की सुविधा' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। अधिकतम परिवर्तनकारी प्रभाव के लिए एमडीबी के साथ भारत की भागीदारी को कैसे सशक्त किया जाए, इस पर विचार करते हुए विकसित भारत 2047 के विजन के प्रति विभिन्न हितधारकों की प्रतिबद्धता पर फिर से जोर देने के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया था। सेमिनार में भारत सरकार, सभी राज्य सरकारों, भारत में कार्यरत सभी एमडीबी और प्रमुख निजी क्षेत्र के भागीदारों से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव श्री अजय सेठ ने अपने मुख्य भाषण से चर्चा की दिशा तय की, जिसमें 'भविष्य के लिए तैयार भारत' का दृष्टिकोण साझा किया गया - एक ऐसा भारत जो सशक्त, समावेशी हो और जो प्रत्येक भारतीय को उनकी संभावनाओं तक पहुंचने में वास्तव में सक्षम बनाए। श्री सेठ ने एक बेहतर, बड़ी और साहसी प्रणाली की दिशा में एमडीबी के परिवर्तन के महत्व पर प्रकाश डाला, जिसे 2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत जी20 समुदाय द्वारा समर्थन दिया गया था। यह एमडीबी को तेजी से जटिल होती दुनिया में भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को जटिल और विविध मांगों का प्रभावी ढंग से जवाब देने में सक्षम करेगा।

अन्य मुख्य वक्ता थे - सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के सचिव श्री अनुराग जैन, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह और नीति आयोग के सीईओ श्री बी.वी.आर. सुब्रमण्यम।

मुख्य वक्ताओं ने क्षेत्रीय विकास प्राथमिकताओं को और आगे बढ़ाने और एमडीबी और अन्य हितधारकों के लिए तैयारियों के वर्तमान स्तर और कमियों को विस्तार से बताने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया।

अपने मुख्य भाषण में नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष श्री के.वी. कामथ ने भारत में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विशेष संस्थानों के परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डाला।

सेमिनार को तीन अलग-अलग सत्रों में आयोजित किया गया, ताकि प्रतिभागियों को भविष्य के लिए तैयार भारत के विजन को प्राप्त करने में मदद करने के लिए एक कार्रवाई योग्य रोडमैप तैयार करते हुए विभिन्न हितधारकों की विशेषज्ञता से एक साथ सीखने की अनुमति मिल सके।

इससे पहले, आर्थिक कार्य विभाग की अपर सचिव सुश्री मनीषा सिन्हा ने एक प्रस्तुति के माध्यम से हितधारकों की भागीदारी के लिए रोडमैप के बारे में विस्तार से बताया। इस प्रस्तुति ने भारत में बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ईएपी) की ताकत, अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला और वित्त प्लस और बजट प्लस तत्वों, वित्तपोषण और लाभ उठाने में नवाचारों, निजी क्षेत्र के साथ अधिक जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित करके वैश्विक कार्य प्रणालियों के हस्तांतरण और तालमेल बनाने पर ध्यान दिलाते हुए एमडीबी से भारत की अपेक्षाओं को स्पष्ट किया।

सत्रों में एमडीबी के साथ रणनीतिक जुड़ाव को सुविधाजनक बनाने, विकास वित्तपोषण के सहयोगात्मक मॉडल की खोज और परिवर्तनकारी विकास के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने पर केंद्रित चर्चा शामिल थी। एमडीबी, केंद्रीय लाइन मंत्रालयों, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के पैनलिस्टों के साथ चर्चा ने भागीदारों के बीच ज्ञान-साझाकरण और क्रॉस-लर्निंग की सुविधा प्रदान की और भविष्य के रणनीतिक जुड़ाव और परिवर्तनकारी प्रभाव के लिए एक मार्ग तैयार करने में मदद की। चर्चा मुख्य रूप से एमडीबी की आगामी परियोजनाओं में प्रमुख वित्त-प्लस और बजट-प्लस तत्वों, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने, विकास में सहयोग के लिए सहक्रियात्मक और एकीकृत प्लेटफार्मों को अपनाने, नए युग की प्रौद्योगिकियों द्वारा पेश किए गए अवसरों और चुनौतियों और भारत की विकासात्मक प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए ऐसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सुविधा प्रदान करने में एमडीबी के योगदान की भूमिका पर केंद्रित थी।

अंतिम सत्र ने निवेश और खरीद के अवसरों सहित अधिक जुड़ाव के क्षेत्रों का पता लगाने के लिए एमडीबी और भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच व्यावसायिक बातचीत की सुविधा प्रदान की।

सेमिनार के दौरान, फोकस के मुख्य बिंदुओं में एमडीबी की परिचालन प्रक्रियाओं में तेजी लाने और निजी पूंजी का अधिक लाभ उठाने के लिए ऋण वृद्धि और जोखिम प्रबंधन के क्षेत्रों में इसकी भूमिका बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता शामिल थी। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का महत्व और 'सार्वजनिक वस्तुओं' के विचार पर विशेष रूप से उभरती और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों तक पहुंच सुनिश्चित करने में अंतरराष्ट्रीय विमर्श शामिल हैं। प्रतिभागियों और वक्ताओं ने अमृत काल में भारत की भविष्य के लिए तैयार राष्ट्र की यात्रा को सुविधाजनक बनाने वाले एमडीबी के साथ रणनीतिक जुड़ाव के लिए आशावाद और उम्मीद व्यक्त की।

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