नईदिल्ली (पीआईबी)निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (आईईपीएफए) ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए आज नई दिल्ली में नेशनल कौंसिल ऑफ ऐप्लायड इकोनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान (आईएमआई) के सहयोग से ‘‘डिजिटल युग में एक प्रभावी निवेशक शिक्षा एवं संरक्षा व्यवस्था के माध्यम से विकसित भारत के लिए महिलाओं में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा‘‘ देने पर एक कार्यशाला आयोजित की।
अपने मुख्य संबोधन के दौरान, आईईपीएफए की सीईओ तथा कंपनी कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती अनिता अकेला ने आज के डिजिटल विश्व में महिलाओं के लिए वित्तीय साक्षरता के गहन महत्व पर जोर दिया और व्यक्तिगत वित्त के प्रबंधन में लक्ष्मी, एथेना, पनेलोप और हेरा जैसी प्रमुख हस्तियों तथा बुद्धिमत्ता, लचीलापन, संप्रभुता और समृद्धि के बीच समानताएं बताईं। श्रीमती अकेला ने महिलाओं को आधुनिक वित के लिए खुद को ज्ञान एवं कौशल से सुसज्जित करने, अपनी वित्तीय शक्ति को पहचानने तथा साइबर खतरों के विरुद्ध सर्तकता के साथ डिजिटल परिदृश्य का मार्ग ढूंढने की आवश्यकता पर जोर दिया।
श्रीमती अकेला ने रेखांकित किया कि डिजिटल साक्षरता केवल संख्या संबंधी समझ से आगे का ज्ञान है। यह एक सुरक्षित वित्तीय भविष्य के लिए एक सूचित निर्णय लेने में अधिकारसंपन्न बनाने को लेकर है।
एनसीएईआर में आईईपीएफ चेयर प्रोफेसर डॉ. सी एस मोहापात्रा ने कुशलता से कार्यशाला का संचालन किया, चर्चाओं को कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि की ओर निर्देशित किया तथा सुनिश्चित किया कि चर्चा सहभागियों के लिए सुरुचिपूर्ण और लाभप्रद हों। विख्यात वक्ताओं में मिंट की एसोसिएट एडीटर सुश्री अपराजिता शर्मा, वरिष्ठ फाइनेंशियल जर्नलिस्ट सुश्री सोनिया सिंह, चीफ मेंटर तथा स्वाधार फिनएक्सेस की सीओओ सुश्री अमृता मोंगा कपूर तथा वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के साइबर सुरक्षा (वित्तीय क्षेत्र) निदेशक श्री प्रभु नारायण शामिल थे।
महिलाओं को सशक्त बनाने में वित्तीय शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका और सामाजिक उन्नति के उत्प्रेरक के रूप में इसके महत्व को पहचानते हुए, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर रणनीतिक रूप से निर्धारित इस कार्यशाला का उद्देश्य डिजिटल युग के लिए वित्तीय साक्षरता और विशेषकर साइबर सुरक्षा में चुनौतियाँ को संबोधित करना और अनुकूलित करना है तथा इसके अवसरों और चुनौतियाँ दोनों पर ध्यान केंद्रित करना है। इस कार्यशाला का आयोजन वित्तीय विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और हितधारकों के माध्यम से भारत में महिला वित्तीय साक्षरता स्तर को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, ताकि बगैर दावा किए गए शेयरों, डिबेंचर और अन्य परिसंपत्तियों का दावा करने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा को बढ़ावा दिया जा सके और भारत की निवेशक शिक्षा और सुरक्षा ढांचे पर फिर से विचार किया जा सके। यह दृष्टिकोण व्यक्तिगत, घरेलू और व्यापक सामाजिक कल्याण के लिए महिलाओं की वित्तीय साक्षरता बढ़ाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।
कार्यशाला एक संवादमूलक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ संपन्न हुई, जिसके बाद आईएमआई में एसोसिएट प्रोफेसर प्रो. अंकिता टंडन ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। प्रोफेसर अंकिता टंडन ने कहा कि कार्यशाला सभी सामाजिक क्षेत्रों में समावेशी आर्थिक विकास और वित्तीय समृद्धि को प्रोत्साहित करने के व्यापक उद्देश्य के अनुरूप, भारत में महिलाओं के बीच वित्तीय साक्षरता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है।
आईईपीएफए के बारे में
निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (आईईपीएफए) की स्थापना 7 सितंबर, 2016 को भारत सरकार के कंपनी कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में और अन्य बातों के अलावा, निवेशकों को परिपक्व जमा/डिबेंचरशेयरों, बगैर दावा किए गए लाभांश के रिफंड के लिए निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि के प्रबंधन के लिए की गई थी।
एनसीएईआर के बारे में
एनसीएईआर भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्वतंत्र आर्थिक थिंक टैंक है, जिसकी स्थापना सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के लिए नीति विकल्पों को सूचित करने के लिए 1956 में की गई थी। यह दुनिया भर के कुछ स्वतंत्र थिंक टैंकों में से एक है जो विशेष रूप से बड़े पैमाने पर घरेलू सर्वेक्षणों के लिए गहन डेटा संग्रह क्षमताओं के साथ कठोर आर्थिक विश्लेषण और नीति आउटरीच को जोड़ता है। एनसीएईआर का नेतृत्व इसके महानिदेशक डॉ. पूनम गुप्ता द्वारा किया जाता है, जो संस्था की पहली महिला प्रमुख हैं, जिन्होंने 1 जुलाई 2021 को पदभार ग्रहण किया, और यह एक स्वतंत्र शासी निकाय द्वारा शासित है, जिसके अध्यक्ष वर्तमान में श्री नंदन एम. नीलेकणि हैं।
आईएमआई के बारे में
1981 में स्थापित, आईएमआई नई दिल्ली भारत का पहला कॉर्पोरेट प्रायोजित बिजनेस स्कूल है। इसका गठन आईएमडी लॉज़ेन (तब इसे आईएमआई कहा जाता था) के सहयोग से किया गया था, इसने जल्द ही अपने लिए एक जगह बना ली और अनुसंधान और ज्ञान के लिए एक संपन्न केंद्र बन गया। आज, यह महत्वाकांक्षी प्रबंधकों के लिए एक स्थापित ज्ञान भंडार और प्रशिक्षण स्थल है।
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