केन्‍द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ने आयुर्वेद के लिए भविष्य की योजना बनाने की एक पहल "प्रगति-2024" की शुरुआत की

 केन्‍द्रीय आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्तशासी निकाय, केन्‍द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) ने आज "प्रगति-2024" (फार्मा रिसर्च इन आयुरज्ञान एंड टेक्नो इनोवेशन) की शुरुआत की। यह आयुर्वेद के क्षेत्र में सहयोगपूर्ण अनुसंधान के लिए बेहद उपयोगी अवसर प्रदान करता है। आज की बैठक का उद्देश्य अनुसंधान के अवसरों का पता लगाना और सीसीआरएएस और आयुर्वेद दवा उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।

इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने में उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। यह टिप्‍पणी करते हुए कि नए चिकित्सकों और स्टार्टअप की आमद विकास के जबरदस्त अवसर प्रस्तुत करती है, उन्होंने इस क्षेत्र के विस्तार और आगे बढ़ने के लिए उद्योगों की विशाल क्षमता पर प्रकाश डाला।

प्रगति-2024 में अपने संबोधन के दौरान, सीसीआरएएस के महानिदेशक, प्रोफेसर रबीनारायण आचार्य ने भारत और दुनिया भर में आयुष उत्पादों, विशेष रूप से आयुर्वेद की बढ़ती गति पर प्रकाश डाला। “सीसीआरएएस का उद्देश्य प्रत्येक हितधारक तक पहुंचना है और इसलिए हमने छात्रवृत्ति देना शुरू किया है ताकि छात्र अनुसंधान के महत्व को समझें। हमने अनुसंधान और छात्रवृत्ति के माध्यम से शिक्षकों, छात्रों तक पहुंचने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं।

आयुष मंत्रालय के सलाहकार (आयु.) डॉ. कौस्तुभ उपाध्याय ने प्रगति-2024 में एक व्यावहारिक भाषण दिया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि "अनुसंधान और उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि उनके संयुक्त प्रयासों से अंततः समाज को लाभ मिलेगा।" अनुसंधान आधारित, उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक उत्पादों को विकसित करने के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आयुष उत्पादों की गुणवत्ता मूल रूप से गहन अनुसंधान में निहित है। कार्यक्रम के दौरान सीसीआरएएस का नवीनतम समाचार पत्र और 2024-25 के कार्यक्रमों का सीसीआरएएस कैलेंडर भी जारी किया गया।

सीसीआरएएस के उप महानिदेशक, डॉ. एन. श्रीकांत ने सीसीआरएएस और उद्योग के बीच सहयोग के लिए प्रगति-2024 द्वारा प्रस्तुत अनोखे कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मंच आयुर्वेद और हर्बल उद्योग की विशाल क्षमता को प्रदर्शित करते हुए अनुसंधान और सहयोग के लिए एक अमूल्य अवसर प्रदान करता है। उन्‍होंने इस क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी का भी उल्लेख किया।

इस कार्यक्रम में 37 फार्मा कंपनियों के सीईओ/एमडी/निदेशक और अनुसंधान इकाइयों के प्रमुखों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती कविता गर्ग और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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