अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) के 112वें सत्र में भारतीय त्रिपक्षीय प्रतिनिधिमंडल


श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकार के प्रतिनिधियों वाला भारतीय त्रिपक्षीय प्रतिनिधिमंडल अंतरर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) के चल रहे 112वें सत्र में भाग ले रहा है। पहले सप्ताह में भारत ने इस अवसर का उपयोग भारत सरकार के श्रम सुधारों, सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों और अन्य नई पहलों को उजागर करने के लिए किया। वैश्विक कौशल अंतर मानचित्रण, श्रमिकों का अंतर्राष्ट्रीय प्रवास, काम का भविष्य आदि जैसे प्रमुख  क्षेत्रों पर द्विपक्षीय बैठकें आयोजित की गईं। भारत ने विभिन्न एजेंडा मदों पर पूर्ण सत्र और आईएलसी की अन्य समितियों में हस्तक्षेप किया।

सचिव (श्रम एवं रोजगार) सुश्री सुमिता डावरा के नेतृत्व में भारतीय त्रिपक्षीय प्रतिनिधिमंडल ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) के 112वें सत्र में भाग लिया।

प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख, सुश्री सुमिता डावरा, सचिव (एल एंड ई) ने "नवीनीकृत सामाजिक अनुबंध की ओर (टुवर्ड्स अ रिन्यूड सोशल कांटेक्ट)" विषय पर पूर्ण सत्र के दौरान अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) को संबोधित किया और श्रम सुधारों को लागू करने, सभी को, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, महिला श्रम बल की भागीदारी को बढ़ावा देने और नए रोजगार के अवसरों की पहचान करने और उन्हें बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास करना सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाने की दिशा में भारत सरकार की प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला।

श्रम एवं रोजगार (एल एंड ई) सचिव ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के साथ आगे के सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए महानिदेशक (डीजी), आईएलओ, श्री गिल्बर्ट एफ. होंगबो और उप महानिदेशक (डीडीजी), आईएलओ, सुश्री सेलेस्टे ड्रेक के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। वैश्विक कौशल अंतर मानचित्रण के केन्द्रित (फोकस) क्षेत्र, जिसमें कौशल और योग्यता के आधार पर व्यवसायों के अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण पर आईएलओ और ओईसीडी द्वारा व्यवहार्यता अध्ययन, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, हरित नौकरियों सहित काम का भविष्य, कुशल श्रमिकों का व्यवस्थित अंतर्राष्ट्रीय प्रवास, रोजगार सृजन के अवसर शामिल हैं, पर भी पर चर्चा की गई। भविष्य में कामकाज में उभरती प्रौद्योगिकियों और डिजिटलीकरण को देखते हुए भारत आईएलओ के साथ अपने काम को सुदृढ़  करना जारी रखेगा।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल सामाजिक न्याय, देखभाल अर्थव्यवस्था, जैविक खतरों, मौलिक सिद्धांतों और काम पर अधिकारों जैसे प्रमुख मुद्दों पर आईएलसी की समितियों में चल रहे विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। 'डिसेंट वर्क एंड केयर इकोनॉमी' पर सत्र के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में एक बड़ी युवा जनसंख्या है और इस जनसंख्या की औसत आयु लगभग 29 वर्ष है और जैसे-जैसे युवा श्रम बाजार में प्रवेश करेंगे, तब विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए देखभाल की मांग, के  बहुत  बढ़ने की सम्भावना  है। क्योंकि आने वाले समय में भारत में बुजुर्गों की संख्या भी अत्यधिक  बढ़ने की प्रत्याशा  है।

देखभाल क्षेत्र के महत्व को पहचानते हुए, महिलाओं की दैनिक देखभाल का बोझ कम करने, मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था देखभाल सहित स्वास्थ्य देखभाल, कौशल कार्यक्रम और देखभाल-कार्य में पहल, सामाजिक सुरक्षा लाभ आदि जो प्रकृति में अत्यधिक श्रम-गहन है, के परिप्रेक्ष्य में  भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई)' के अंतर्गत स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच के रूप में देखभाल क्षेत्र में सरकार की पहल पर प्रकाश डाला। देखभाल क्षेत्र के  महत्व और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ावा देने की इसकी क्षमता भी पर प्रकाश डाला गया I

'कार्यस्थल पर मौलिक सिद्धांत और अधिकार (फंडामेंटल प्रिंसिपल्स एंड राईट एट वर्क)' सत्र में चर्चा के दौरान, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कार्यस्थल पर भेदभाव को खत्म करने, सभी प्रकार के जबरन या अनिवार्य श्रम, बाल श्रम का प्रभावी उन्मूलन, सभी श्रमिकों के लिए पर्याप्त सुरक्षा और स्वास्थ्य संरक्षण, उन्नत सामाजिक सुरक्षा कवरेज आदि कार्यस्थल पर मौलिक सिद्धांतों और अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अग्रणी श्रम सुधारों और सरकार की पहल पर प्रकाश डाला गया। अपने नागरिकों की सामाजिक भलाई सुनिश्चित करने और उन्हें विविध माध्यमों से आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता निशुल्क आवास, खाद्य सुरक्षा, सब्सिडी वाली रसोई गैस, 'जन धन योजना' के माध्यम से नकद हस्तांतरण, कृषि फसल बीमा योजना आदि जैसे सामाजिक सुरक्षा उपायों का भी उल्लेख किया गया।

प्रतिनिधिमंडल ने 2023-27 की अवधि के लिए आईएलओ और उसके घटकों द्वारा चौथे डिसेंट वर्क कंट्री प्रोग्राम (डीडब्ल्यूसीपी) की शुरुआत पर भी प्रकाश डाला, जिसने मौलिक सिद्धांतों को बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ देश में कार्यान्वयन के लिए कार्य प्राथमिकताओं, काम पर अधिकार, लैंगिक समावेशी रोजगार सृजन के लिए श्रम बाजार सूचना प्रणाली को मजबूत करना, टिकाऊ और लचीला कौशल और आजीवन सीखने की प्रणाली, सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा प्राप्त करने के लिए समावेशी ढांचे का विकास और उसके परिणामों के एक सेट की पहचान भी की।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और जिनेवा में भारतीय स्थायी मिशन (पीएमआई) ने 4 जून, 2024 के दिन अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन से इतर एक अन्य  कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के सामने अनौपचारिक श्रमिकों की सभी जरूरतों के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में 'ई-श्रम' पोर्टल की सफलता का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में 112वें आईएलसी के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों और आईएलओ सदस्य देशों के स्थायी प्रतिनिधियों और अन्य प्रतिनिधियों के अलावा श्रमिकों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधियों वाले त्रिपक्षीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने भाग लिया।

ई-श्रम पोर्टल को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों तक उनकी पहुंच के लिए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का डेटाबेस बनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में प्रदर्शित किया गया था। पोर्टल का 'नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस)' पोर्टल के साथ लिंक, नौकरी-मिलान और अन्य रोजगार संबंधी सेवाएं प्रदान करना; कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करने वाले कौशल-भारत (स्किल-इंडिया) पोर्टल; सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के राष्ट्रीय पोर्टल और ऐसे अन्य पोर्टलों पर भी प्रकाश डाला गया, ताकि देश में युवाओं, नौकरी चाहने वालों और श्रमिकों को एक ही स्थान पर समाधान  (वन-स्टॉप सलूशन) प्रदान किया जा सके। अच्छी उपस्थिति वाले इस कार्यक्रम ने भारत सरकार की पहल पर महत्वपूर्ण रुचि पैदा की।

सचिव श्रम और रोजगार (एल एंड ई) ने 5 जून, 2024 को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ)  में आयोजित एशिया और प्रशांत समूह (एएसपीएजी) की मंत्रिस्तरीय बैठक को भी संबोधित किया और आईएलओ में क्षेत्र के विशाल कार्यबल के हितों का प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और समावेशी विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने की दिशा में एएसपीएजी को निरंतर समर्थन देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। भारत ने यह स्वीकार करते हुए कि एएसपीएजी अपने सदस्य राज्यों को विचारों, सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन समाधानों के आदान-प्रदान के लिए एक मूल्यवान मंच प्रदान करता है, न्यायसंगत, टिकाऊ और समावेशी कार्य के भविष्य को आकार देने के लिए एएसपीएजी सदस्य राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया।

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