भारत के सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली, (एनजीएमए) ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सहयोग से "छत्रपति शिवाजी महाराज: महान राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ का उत्सव" विषयक प्रदर्शनी का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया।
आयोजित समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री गोविंद मोहन की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी छत्रपति शिवाजी महाराज की चिरकालीन विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित करती है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी देश के सबसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक महापुरुषों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उनके कालखंड से दर्शकों को परिचित कराती है।
संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन ने कहा कि नौसैन्य शक्ति की महत्ता के बारे में शिवाजी महाराज की गहरी समझ से उनके अद्वितीय नेतृत्व, दूरदर्शी प्रशासनिक रणनीतियों और हमारे राष्ट्र की संप्रभुता के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता का परिचय मिलता है। एक महान नेतृत्वकर्ता, प्रशासक और दूरदृष्टा के रूप में, शिवाजी महाराज की चिरकालीन विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है, और यह प्रदर्शनी हमारे समृद्ध ऐतिहासिक ताने-बाने में उनके उल्लेखनीय योगदान के प्रति एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है। संस्कृति सचिव ने उन प्रतिभाशाली कलाकारों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने अपने असाधारण कौशल और समर्पण के साथ इस संग्रह को जीवंत बना दिया है। उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में इस अमूल्य संग्रह को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज की समृद्ध विरासत के बारे में भावी पीढ़ियों को प्रेरित और शिक्षित करता रहे।
श्री दीपक गोरे के विशिष्ट संग्रह से तैयार की गई इस प्रदर्शनी में ऐतिहासिक महत्व से भरपूर विशाल कैनवस प्रदर्शित किए गए हैं, जिनमें 115 उत्कृष्ट कृतियों का एक अद्भुत संग्रह प्रस्तुत किया गया है। प्रसिद्ध पिता-पुत्र कलाकार जोड़ी, श्री श्रीकांत चौगुले और श्री गौतम चौगुले के साथ मिलकर श्री गोरे ने इसे जीवंत बनाने के प्रयास शुरू किए थे। प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्म विभूषण से अलंकृत श्री बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे के सहयोग से हर विवरण को पूरी तन्मयता से प्रस्तुत किया गया है। इस प्रयास के परिणामस्वरूप शिवाजी महाराज के जीवन और विरासत का आकर्षक चित्रण संभव हुआ है।
प्रदर्शनी का आरंभ एक महत्वपूर्ण दृश्य से होता है: एक युवा शिवाजी अपने पिता शाहजी से भगवा ध्वज प्राप्त करते हैं, जो एक सपने के जन्म का प्रतीक है - एक स्वतंत्र मराठा राज्य, स्वराज्य। फिर आगंतुकों को प्रमुख सैन्य और नौसैनिक घटनाओं को शामिल करते हुए एक कथात्मक यात्रा पर ले जाया जाता है, जिसमें रायगढ़ के किले को अपने गढ़ के रूप में चुनने में शिवाजी की रणनीतिक प्रतिभा पर प्रकाश डाला जाता है।एनजीएमए के महानिदेशक डॉ. संजीव किशोर गौतम ने इस उल्लेखनीय प्रदर्शनी को सफल बनाने में शामिल सभी लोगों के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया और छत्रपति शिवाजी महाराज के महान राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रदर्शनी के महत्व पर बल दिया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, आईजीएनसीए, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित यह प्रदर्शनी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और इसके सबसे महान नायकों में से एक की स्थायी विरासत का प्रमाण है।इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ मनाने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, एनजीएमए के सहयोग से भारत के महान सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित 115 चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है। ये चित्र श्री दीपक गोरे के संग्रह से हैं, जिन्होंने प्रसिद्ध इतिहासकार और छत्रपति शिवाजी के इतिहास के विशेषज्ञ पद्म विभूषण बाबासाहेब पुरंदरे के मार्गदर्शन में इस विषय पर गहन शोध और व्यापक फील्ड वर्क के बाद कलाकारों श्रीकांत चौगुले और गौतम चौगुले से इन चित्रों को बनवाया है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर, जिन्होंने 4 दिसंबर 2023 को नौसेना दिवस पर राजकोट किले में इन चित्रों को देखा था, जहां श्री दीपक गोरे ने इन चित्रों को राष्ट्रीय हित के लिए उपहार स्वरूप देने की इच्छा व्यक्त की थी तथा संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन की इच्छा के अनुसार, आईजीएनसीए को श्री दीपक गोरे से ये चित्र 6 जून 2024 को प्राप्त होंगे। यह प्रदर्शनी देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत होगी। यह प्रदर्शनी 21 जून 2024 तक जनता के लिए खुली रहेगी।
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