एनएलसी इंडिया ने सतत हरित पहल पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी कॉर्पोरेट योजना 2030 और विजन 2047 का पुनर्वैधीकरण किया

 केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी के मार्गदर्शन में भारत ने भविष्य में स्थायी रूप से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी-26 में ली गयी शपथ के अनुसार भारत, अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ कम कार्बन उत्सर्जन के मार्ग पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्र का लक्ष्य, 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। एक अग्रणी और जिम्मेदार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम के रूप में अपनी पहचान बना चुके एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) ने ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता की दोहरी मांग को पूरा करने के लिए 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता में तीन गुना वृद्धि की योजना बनाई है। एनएलसीआईएल का लक्ष्य है अपनी कुल नियोजित क्षमता का 50 प्रतिशत  नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) से प्राप्त करना, जिससे इसकी आरई क्षमता 1.43 गीगावाट से बढ़कर 10.11 गीगावाट हो जाएगी।

इस योजना में भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग देने और 2070 तक 'नेट जीरो' उत्सर्जन प्राप्त करने के व्यापक उद्देश्य में योगदान के लिए नवीकरणीय पोर्टफोलियो में (लगभग) 50,000 करोड़ रूपये का निवेश शामिल है। लक्ष्य में यह बढोत्तरी सरकार की उस "पंचामृत" पहल के अनुरूप है जिसकी घोषणा सीओपी-26 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन कार्रवाई के प्रति भारत के योगदान और प्रतिबद्धता के रूप में की गयी थी।

अक्षय ऊर्जा उत्पादन पर विशेष ध्यान देने के लिए एनआईजीईएल (एनएलसी इंडिया ग्रीन एनर्जी लिमिटेड) की स्थापना की गयी थी ये एनएलसीआईएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और कंपनी के अक्षय ऊर्जा पोर्टफोलियो के उद्देश्यों को पूरा के लिए नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार है। वर्तमान में, दो गीगावाट की अक्षय ऊर्जा ईकाइयां काम कर रहीं हैं, एनआईजीईएल का लक्ष्य प्रतिस्पर्धी बोली में भाग लेकर और हरित ऊर्जा क्षेत्र में उभरते अवसरों की पहचान कर अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करना है। इस विस्तार से भारत की पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी तथा ऊर्जा उत्पादन में विविधता का विस्तार होने के साथ ही कोयले के आयात में भी कमी आयेगी। इसके अतिरिक्त, यह पूरे देश में चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

एनएलसीआईएल ने अपने ऊर्जा उत्पादन पोर्टफोलियो में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी को 2030 तक 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 2047 तक 77 प्रतिशत करने की परिकल्पना की है और इससे कंपनी को 2070 तक नेट जीरो हासिल करने में मदद मिलेगी। 2030 के बाद भी ऊर्जा परिदृश्य में बहुत से बदलाव होने के बावजूद, एनएलसीआईएल का पूर्वानुमान है कि थर्मल पावर क्षमता में कोई नई वृद्धि नहीं होगी। इसके स्थान पर इस क्षेत्र में मौजूदा थर्मल पावर स्टेशनों से उत्सर्जन को कम करने में नवाचार पर बल दिया जायेगा।

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