भारत में कौशल विकास को बढ़ावा देकर युवाओं को सशक्त बनाना


भारत, देश की युवा आबादी को प्रशिक्षित कर न केवल स्वरोज़गार को बढ़ावा दे सकता हैं बल्कि उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप  आवश्यक कार्यबल तैयार कर सकता है । भारत की 65 %  आबादी 35 वर्ष से कम उम्र वाले युवाओं की हैं। देश में बहुत से लोगों के पास आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल का अभाव है।  भारत सरकार आर्थिक विकास और नवाचार के क्षेत्र में विकास के लिए  कौशल और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। यह दस्तावेज़ ऐसे प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डालता है।

कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट इस क्षेत्र में चुनौतियों को रेखांकित करती है, जिसमें देश के भीतर कौशल और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

कौशल, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र का लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से हाल ही में स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म का आरंभ भारत में "कौशल अर्जित करने में आसानी" की दिशा में एक और कदम है। सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से कौशल विकास करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि ने 'कौशल भारत' पर जोर दिया है। कौशल विकास में सर्वव्यापी प्रगति हर दो साल में आयोजित होने वाली विश्व कौशल प्रतियोगिताओं में भारत की मज़बूत होती स्थिति से स्पष्ट होती है।

ग्राफ़: विश्व कौशल में भारत का स्थान

यह कौशल विकास को बढ़ावा देने और भारत की बढ़ती युवा आबादी के बीच रोजगार के अंतर को समाप्त करने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी योजनाओं और प्रयासों पर चर्चा करने के लिए मंच तैयार करता है।

 

बजट 2024 में रोजगार और कौशल पर ध्यान

 

केंद्रीय बजट 2024-25 के तहत, उल्लेखनीय आकर्षण राज्य सरकारों और उद्योग के सहयोग से प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नई केंद्र प्रायोजित योजना की घोषणा की गयी । इस योजना का लक्ष्य पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना और 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को अपग्रेड करना है।

इसके अतिरिक्त, सरकार समर्थित गारंटी के साथ ₹7.5 लाख तक के ऋण की सुविधा के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना को संशोधित करने की घोषणा की गई, जिससे सालाना 25,000 विद्यार्थियों को लाभ होगा। मौजूदा योजनाओं के लिए अयोग्य लोगों के लिए, घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए ₹10 लाख तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें ई-वाउचर प्रत्येक वर्ष 1 लाख विद्यार्थियों के लिए 3 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज छूट की प्रस्तुत करेंगे।

यह संशोधित मॉडल कौशल ऋण योजना 25 जुलाई, 2024 को माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई), श्री जयंत चौधरी ने शुरू की।

कौशल विकास के लिए सरकारी पहल

राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति (एनपीएसडीई)

 

इस नीति का मकसद, गति, दक्षता, और स्थिरता के साथ कौशल लक्ष्यों को हासिल करना है. इस नीति के तहत उद्यमिता को बढ़ावा देकर नवाचार को बढ़ावा दिया जाता है। समानता को प्राथमिकता देते हुए, यह हाशिए पर रहने वाले समूहों को लक्षित करती है और महिलाओं के लिए कौशल विकास और उद्यमिता पर जोर देती है।

उद्यमशीलता के क्षेत्र में, यह नीति संभावित उद्यमियों को शिक्षित करती है, मार्गदर्शन की सुविधा देती है, नवाचार को बढ़ावा देती है, व्यापार करने में आसानी बढ़ाती है और सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देती है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के संयोजन में भारत में शिक्षा-रोज़गार अंतर को पाटने की जबरदस्त क्षमता रखती है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

वर्ष 2015 में शुरु की गयी  पीएमकेवीवाई भारत के कौशल विकास परिदृश्य में एक आधारशिला के रूप में उभरी है। इस योजना के अंतर्गत 1.42 करोड़ लोगों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें 1.13 करोड़ को इसके अल्पकालिक प्रशिक्षण (एसटीटी), विशेष परियोजनाओं (एसपी) और पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) घटकों में प्रशिक्षित किया गया है।

देश भर में 1,000 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों को कौशल भारत केंद्रों के रूप में एकीकृत किया गया है, जिससे कौशल विकास के अवसरों तक पहुंच बढ़ गई है। पीएमकेवीवाई ने आठ प्रमुख क्षेत्रों में 119 आधुनिक और भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए कौशल पाठ्यक्रमों को शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  पीएमकेवीवाई की उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक लैंगिक समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करना है। इस योजना के तहत प्रशिक्षित महिलाओं का अनुपात सराहनीय रूप से बढ़ गया है, जो वित्त वर्ष 2016 में 42.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 52.3 प्रतिशत हो गया है।

 

 

पीएमकेवीवाई के तहत प्रगति

शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस)

शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) पूरे भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण में अहम भूमिका निभाती है, जिसे 14,955 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से सुविधा प्रदान की जाती है। आईटीआई और राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) के भीतर दीर्घकालिक कौशल कार्यक्रमों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो वित्त वर्ष 2016 में 9.8 % से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 13.3 % हो गई है।

शिल्पकार प्रशिक्षण योजना ने इसके लिए एक नया ग्रेडिंग तंत्र लागू किया है, जिसे डेटा-संचालित ग्रेडिंग पद्धति (डीडीजीएम) के रूप में जाना जाता है, जो एनसीवीटी एमआईएस पोर्टल पर उपलब्ध मापदंडों/सूचना का उपयोग करता है। सत्र 2023-24 से शुरू किए गए, डीडीजीएम का लक्ष्य मूल्यांकन प्रक्रियाओं को मानकीकृत करना है।

जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस)

जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) गैर/नव साक्षरों और अल्प शिक्षा स्तर वाले व्यक्तियों को कौशल प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 तक, जेएसएस  के अंतर्गत 26.36 लाख लोगों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है, जिनमें से 24.94 लाख  को सर्टिफिकेट मिला है।  जेएसएस ने क्षमता निर्माण के लिए भी आवश्यक कदम उठाये हैं , जिसमें प्रयोगशालाओं को आधुनिक उपकरणों से लैस करके 30 मॉडल जेएसएस की स्थापना और 150 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देना शामिल है।

जेएसएस ने प्रबंधन क्षमताओं और संचार कौशल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने कर्मचारियों के पेशेवर विकास को प्राथमिकता दी है। इन प्रयासों का उद्देश्य शिक्षार्थियों की बढ़ती जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए सुविधाओं का आधुनिकीकरण करना और प्रशिक्षण पद्धतियों में सुधार करना है। विशेष रूप से, जेएसएस ने लैंगिक समानता के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है, जिसमें 82 प्रतिशत महिलाएं प्रशिक्षार्थी शामिल हैं।

राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस)

राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) का उद्देश्य पूरे भारत में शिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देना है। इसकी स्थापना के बाद से, कुल 32.38 लाख प्रशिक्षुओं को विभिन्न क्षेत्रों में लगाया गया है। एनएपीएस पोर्टल में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें पंजीकृत प्रतिष्ठानों की संख्या मार्च 2017 में 17,608 से बढ़कर मार्च 2024 तक 2.21 लाख हो गई है, जो व्यापक उद्योग भागीदारी और समर्थन को उजागर करती है।

महिलाओं की भागीदारी 2016-17 में 7.74% से बढ़कर 2023-24 में 20.77 % हो गई है। इसके अलावा, यह योजना एनएपीएस-2 के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) तंत्र का उपयोग करती है, जिससे प्रशिक्षुओं के वजीफे का 25 % (₹1,500 तक) सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित होता है । मार्च 2024 तक, 22.46 लाख लेन-देन के माध्यम से कुल ₹320.88 करोड़ वितरित किए गए हैं   भारत  सरकार के इन प्रयासों से प्रशिक्षुओं को समय पर वित्तीय सहायता सुनिश्चित हुई और अधिकाधिक प्रतिष्ठानों को इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

उद्यमिता प्रशिक्षण

भारत में उद्यमिता प्रशिक्षण को राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसबीयूडी) और भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई) जैसे संस्थानों द्वारा काफी बढ़ावा दिया गया है। वित्त वर्ष 2019 से 2024 तक, एनआईईएसबीयूडी ने 3.21 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया है। इसी तरह, आईआईई गुवाहाटी ने इसी अवधि के दौरान 1.43 लाख व्यक्तियों को प्रशिक्षण और हैंडहोल्डिंग सेवाएं प्रदान की हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के उद्यमियों को फायदा हुआ है।

स्किल इंडिया डिजिटल हब प्लेटफार्म

अगस्त 2023 में लॉन्च किया गया स्किल इंडिया डिजिटल हब प्लेटफॉर्म, एआई/एमएल प्रौद्योगिकी के माध्यम से कौशल, ऋण और रोजगार तक पहुंच की सुविधा प्रदान करने वाले अभिसरण मंच का प्रतिनिधित्व करता है। यह पहल 690 ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और 1650 क्यूपी-आधारित ई-पुस्तकों के साथ कौशल योजनाओं की विस्तृत श्रृंखला को एकीकृत करती है, जो व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए आवश्यक शैक्षिक संसाधनों तक पहुंच को बढ़ाती है। इसके अलावा, यह प्लेटफ़ॉर्म विभिन्न सरकारी प्रयासों  और सेवाओं जैसे ईश्रम/ईपीएफओ/एनसीएस, उद्यम, डिजीलॉकर, गतिशक्ति, उमंग, एग्रीस्टैक, पीएलआई योजनाएं और ओडीओपी आदि को सहजता से शामिल करता है। स्किल इंडिया डिजिटल हब के अंतर्गत  60 लाख से अधिक शिक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया और 8.4 लाख ऐप डाउनलोड किए।

 

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के नेतृत्व वाले प्रयासों से परे, भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में लक्षित कौशल प्रयास शुरू किए हैं। जल जीवन मिशन के तहत, एमएसडीई बहु-कौशल पाठ्यक्रम के लिए समग्र मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसी तरह, पीएम विश्वकर्मा पहल आधुनिक टूलकिट को शामिल करते हुए, विश्वकर्माओं के लिए बुनियादी और उन्नत कौशल प्रशिक्षण दोनों पर केंद्रित है। ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर  स्किलिंग, अपस्किलिंग और री-स्किलिंग के लिए 50 नई अल्पकालिक योग्यताओं के विकास पर केंद्रित है। इसके अलावा, पीएम-जनमन विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के बीच उद्यमिता और कौशल विकास का नेतृत्व करता है, जिसमें एनआईईएसबीयूडी और आईआईई क्षमता निर्माण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं । मार्च 2024 तक, इन प्रयासों से 5,096 लाभार्थियों को लाभ मिल चुका है साल 2025-26 तक यह आंकड़ा 44,608 तक पहुंचने की योजना है। इसके अतिरिक्त, सेना, नौसेना और वायुसेना के साथ समझौता ज्ञापनों के माध्यम से अग्निवीरों के लिए विशेष कौशल प्रावधान योग्यता और अनुभवात्मक शिक्षा के आधार पर कौशल प्रमाणन सुनिश्चित करते हैं  सेना में सेवा के बाद विभिन्न उद्योगों में रोजगार के अवसरों की सुविधा मिलती है।

 

नवीनतम उपलब्धियाँ

जुलाई, 2024 के दौरान इस मंत्रालय की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ/पहल इस प्रकार हैं:

1. कौशल ऋण योजना: कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री जयंत चौधरी ने उन्नत स्तर के कौशल पाठ्यक्रमों तक आसान पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से 25 जुलाई, 2024 को संशोधित मॉडल कौशल ऋण योजना शुरू की, जो संभावित रूप से कई योग्य विद्यार्थियों, उम्मीदवारों के लिए भविष्योन्मुखी और मांग वाले उद्योग कौशल हासिल करने में महत्वपूर्ण वित्तीय बाधा उत्पन्न करती है। नई मॉडल कौशल ऋण योजना के तहत, अधिकतम ऋण राशि 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7.5 लाख रुपये कर दी गई है।

2. विश्व युवा कौशल दिवस   : माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), एमएसडीई, श्री जयंत चौधरी ने विश्व युवा कौशल दिवस मनाने के लिए खुले मंच, "कौशल संवाद" में भाग लिया, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। यह दिन कौशल भारत मिशन के 10वें वर्ष के उत्सव के रूप में भी मनाया गया।

3. प्रशिक्षुता प्रशिक्षण स्थिति : जारी वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान लगे प्रशिक्षुओं की संख्या 31 जुलाई 2024 तक 2,77,036 है। 31 जुलाई 2024 तक प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं की कुल संख्या 7.46 लाख है। 31 जुलाई 2024 तक प्रशिक्षुओं को संलग्न/नियुक्त करने वाले प्रतिष्ठानों की कुल संख्या 47,311 है।

4. डीबीटी स्थिति: डीबीटी के माध्यम से भाग लेने वाले प्रशिक्षुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है और जुलाई 2023 (1,72,537) से जुलाई 2024 (5,49,812) तक वृद्धि हुई है। अवधि (अप्रैल से जुलाई) के दौरान, 122.36 करोड़ रुपये के वजीफे की भारत सरकार की हिस्सेदारी डीबीटी के माध्यम से प्रशिक्षुओं को वितरित की गई है।

वैश्विक मानकों पर स्किलिंग इंडिया

वैश्विक मानकों पर कौशल प्रदान करने में भारत के प्रयास स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (एसआईआईसी) जैसे रणनीतिक प्रयासों और गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट (जी2जी) समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के माध्यम से सुगम भागीदारी के जरिए परिलक्षित होते हैं। वित्त वर्ष 2024 के अंतरिम बजट में घोषित 30 एसआईआईसी की स्थापना, भारत के वैश्विक कौशल फूटप्रिंट को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। वाराणसी और एसडीआई भुवनेश्वर में वर्तमान में परिचालन केंद्र इस पहल की शुरुआती सफलता का उदाहरण हैं, पहले चरण में सात और केंद्रों की योजना को अंतिम रूप दिया गया है।

इसके अतिरिक्त, भारत ने सूचना आदान-प्रदान, मानक निर्धारण, योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता आदि में सहयोग के लिए ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कतर, यूएई और यूके सहित प्रमुख देशों के साथ समझौता किया है। ऐसी साझेदारी न केवल अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को बढ़ाती है बल्कि विदेशों में भारतीय योग्यताओं की मान्यता को भी बढ़ावा देती है

इसके अलावा, पारदर्शी तरीके से कुशल भारतीयों को अंतर्राष्ट्रीय   के लिए 2021 में एनएसडीसी इंटरनेशनल लिमिटेड की स्थापना, सूचना प्रौद्योगिकी, निर्माण और आतिथ्य जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान देने के साथ कौशल भारत अंतरराष्ट्रीय मिशन को संचालित करती है। इन प्रयासों में 20 एनएसडीसी-संबद्ध प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से क्षमता निर्माण और 12 केंद्रों पर भाषा प्रशिक्षण शामिल है यहाँ से प्रशिक्षित 26,000 से अधिक उम्मीदवार कई देशों में अपनी सेवाएं दे रहें हैं।

कौशल विकास के लिए उद्योग जगत के साथ साझेदारी

किसी भी बड़े पैमाने के कौशल विकास कार्यक्रम के लिए उद्योग कनेक्शन महत्वपूर्ण है, जो समकालीन प्रासंगिकता और रोजगार क्षमता को सक्षम बनाता है। साथ ही उद्योग जगत में  नए कुशल कार्यबल की मांग का पता लगाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, स्किल इंडिया मिशन कौशल विकास, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद (एनएसडीसी) द्वारा संचालित साझेदारी के  जरिये उद्योगों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करता है। मार्च 2024 तक (प्रारंभिक तिथि जोड़ी जाएगी), एनएसडीसी द्वारा 131 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिसमें 62 कॉर्पोरेट संगठनों ने 42 आकांक्षी जिलों सहित देश भर में 3.10 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया है।

वर्ष 2021 में आरंभ स्किल इम्पैक्ट बॉन्ड कौशल विकास, नौकरी प्लेसमेंट और रिटेंशन के लिए निजी क्षेत्र के फंड और विशेषज्ञता को आकर्षित करने के लिए अभिनव और परिणाम-आधारित वित्त तंत्र - विकास प्रभाव बॉन्ड99 मॉडल का लाभ उठाता है। एनएसडीसी और उसके गठबंधन सहयोगियों की इस पहल का लक्ष्य चार वर्षों में चयनित और निगरानी वाले एनएसडीसी-संबद्ध प्रशिक्षण भागीदारों के माध्यम से 50,000 युवाओं को प्रशिक्षित करना है, जिसमें यह सुनिश्चित करना है कि कम से कम 60  % महिलाएं हों। नवंबर 2021 और मार्च 2024 के बीच, 29,365 उम्मीदवारों को पांच समूहों में नामांकित किया गया है 23,464  उम्मीदवारों को प्रमाणित किया गया है, 19,209 को नौकरी पर रखा गया है और 13,853 ने नौकरी बनाए रखने की सूचना दी है। कार्यक्रम में अब तक 74 % महिलाओं के नामांकन की सूचना है।

इसके अलावा, प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) ने विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्योग की तैयारी को बढ़ाने के लिए अपने उद्योग भागीदारी ढांचे के तहत कई प्रभावशाली सहयोग शुरू किए हैं। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड, एनएमडीसी छत्तीसगढ़ और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर प्राइवेट लिमिटेड जैसे प्रमुख उद्योग भागीदारों के साथ लचीली एमओयू योजना के माध्यम से मार्च 2019 से लगभग 9,600 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया है। दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली (डीएसटी) ने 2022 सत्र के दौरान 978 आईटीआई के 37,865 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रत्यक्ष कार्यस्थल अनुभव प्रदान किया। आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, सिस्को, एडोब और अमेज़ॅन वेब सर्विसेज सहित तकनीकी दिग्गजों के साथ सहयोग ने नवंबर 2019 और मार्च 2024 के बीच उद्योग 4.0 के लिए 21.5 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को तैयार किया है।

इसके अतिरिक्त, एनएसटीआई ने इसरो, ओएनजीसी, भारतीय रेलवे, नेवल शिप रिपेयर यार्ड, नेवल शिप डॉकयार्ड और बीएचईएल के साथ कौशल पहल की है, जो वित्त वर्ष 24 में लगभग 1,400 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। डीजीटी ने डसॉल्ट, पिडिलाइट, जगुआर, स्कोडा, एचएएल और सीमेंस जैसे साझेदारों के साथ एनएसटीआई/आईटीआई के बुनियादी ढांचे को उन्नत करना जारी रखा है, जिससे सभी क्षेत्रों में उद्योग-प्रासंगिक कौशल विकास सुनिश्चित हो सके।

सार

निष्कर्षतः जबकि भारत अपने कौशल अंतर के साथ महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है, सरकार की सक्रिय पहल ने इस अंतर को पाटने की दिशा में ठोस प्रगति प्रदर्शित की है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, शिल्पकार प्रशिक्षण योजना और राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना जैसे कार्यक्रमों ने सामूहिक रूप से लाखों लोगों को प्रशिक्षित किया है, समावेशिता को बढ़ावा दिया है और पारंपरिक रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाया है।

स्किल इंडिया डिजिटल हब का शुभारंभ और स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कौशल वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी और वैश्विक साझेदारी का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ये प्रयास न केवल उद्योगों में मौजूदा प्रतिभा की कमी को दूर करते हैं बल्कि तेजी से विकसित हो रही वैश्विक अर्थव्यवस्था की मांगों के लिए भारत के युवाओं को तैयार भी करते हैं। आगे बढ़ते हुए, सरकार, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच निरंतर निवेश और सहयोग यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा कि प्रत्येक युवा भारतीय की गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास के अवसरों तक पहुंच हो, जिससे भारतीय आबादी  की कौशल क्षमताओं का पूर्ण लाभ उठाया जा सके।

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