एसडीजी के स्थानीयकरण पर तीन दिन के राष्ट्रीय कार्यशाला में रणनीतियों पर चर्चा की गई तथा सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायतों के माध्यम से ग्राम पंचायतों में एसडीजी को हासिल करने के लिए विस्तृत चर्चा की गई


ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के स्थानीयकरण पर पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित तीन दिन के राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन थीम 7 - ‘सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायत’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर एसडीजी को हासिल करने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोणों पर व्यापक चर्चा की गई।

भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव श्री अमित यादव ने राष्ट्रीय कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया। उन्होंने विषयगत क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर (एलएसडीजी) कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए अभिसरण दृष्टिकोण और ‘संपूर्ण-सरकार’ और ‘संपूर्ण-समाज’ की रणनीति पर बल दिया।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता सचिव श्री अमित यादव ने अपने संबोधन में व्यापक सामाजिक सुरक्षा हासिल करने में समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के समीक्षात्मक महत्व के बारे में बताय। उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर पर सामाजिक न्याय से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के अभिसरण की आवश्यकता और ग्रामीण समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।

श्री अमित यादव ने नशा मुक्त भारत अभियान में पंचायतों की सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया और समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ग्राम सभाओं को सक्रिय करने की आवश्यकता पर बल दिया।

बिहार के पटना में कार्यशाला के दूसरे दिन देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर सतत विकास लक्ष्य हासिल करने की रणनीतियों पर वयापक विचार-विमर्श किया गया। दिन के उद्घाटन सत्र में बिहार में सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में चल रहे कार्यों, योजनाओं और अभिनव पहलों पर ध्यान केंद्रित किया गया। बिहार सरकार के पंचायती राज निदेशक श्री आनंद शर्मा ने सामाजिक न्याय और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायतों से संबंधित पंचायती राज योजनाओं पर एक गहन प्रस्तुति दी। इसके बाद बिहार सरकार के आईसीडीएस निदेशक श्री कौशल किशोर ने बाल संरक्षण उपायों के बारे में बताया। इसके बाद यूनिसेफ के प्रतिनिधि श्री अभय कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक न्याय और सुरक्षा हासिल करने में बाल-सुलभ पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया।

बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के संयुक्त निदेशक श्री डेविड कुमार चतुर्वेदी ने हर घर जल जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल (गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र) निश्चय योजना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रस्तुति दी। उन्होंने उल्लेखनीय प्रगति के बारे बताया कि योजना के सफल कार्यान्वयन के कारण बिहार में हर घर जल वाले ग्रामीण परिवारों का प्रतिशत 2014 में मात्र 2 प्रतिशत से बढ़कर आज 99 प्रतिशत हो गया है।

बिहार सरकार के बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसाइटी (जीविका) की अतिरिक्त सीईओ श्रीमती अभिलाषा कुमारी शर्मा ने स्वयं सहायता समूह मॉडल के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर एक प्रस्तुति दी। बिहार के पटना में चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के चेयर प्रोफेसर प्रोफेसर एस. पी. सिंह ने ‘ग्राम कचहरी: ग्राम पंचायत स्तर पर न्याय’ विषय पर अपने विचार साझा किए। सुबह के सत्र का समापन बिहार के पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मिहिर कुमार सिंह के समापन भाषण के साथ हुआ।

समस्या समाधान के एक नए दृष्टिकोण में विभिन्न राज्यों के पंचायत प्रतिनिधियों को सात समूहों में संगठित किया गया। इन समूहों को सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायत बनाने के लिए सहयोगात्मक चर्चाओं के माध्यम से सटीक रणनीति विकसित करने का काम सौंपा गया। उन्हें चुनौतियों की पहचान करने, समाधान प्रस्तावित करने और इस विषय से संबंधित कार्य योजनाएँ तैयार करने का भी काम सौंपा गया। दूसरे दिन सभी समूहों ने अपने सुझाव और रणनीतियां प्रस्तुत कीं, जिससे विचारों का समृद्ध आदान-प्रदान हुआ।

तीन दिन के राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन, प्रतिभागियों को सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और सुरक्षित पंचायतों की परिकल्पना को साकार करने के लिए रणनीतियों को सीखने, भूलने और फिर से सीखने के लिए एक मंच प्रदान किया। दिन की कार्यवाही ग्रामीण समाज के सभी वर्गों के लिए सामाजिक न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चाओं से चिह्नित थी। सावधानीपूर्वक बनाएं गए सत्र में, उनकी संवादात्मक प्रकृति की विशेषता और प्रमुख हितधारकों के एक पैनल की विशेषता, प्रतिभागियों को अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से परस्पर सीखने में शामिल होने के लिए एक बढ़िया मंच प्रदान करते हैं।

पटना कार्यशाला में 900 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पंचायती राज संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधि, केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों तथा राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी साथ ही एनआईआरडी और पीआर, एसआईआरडी और पीआर, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे। प्रमुख हितधारकों का यह विविध संयोजन राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए एक बहुमुखी और व्यापक दृष्टिकोण में योगदान करने का वादा करता है। कार्यशाला के अंतिम दिन देश भर से प्रतिभागी बिहार की उन ग्राम पंचायतों का दौरा करेंगे, जिन्होंने “सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायत” विषय पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

कार्यक्रम में बिहार के पंचायत राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मिहिर कुमार सिंह, पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विकास आनंद, पंचायती राज मंत्रालय के निदेशक श्री विपुल उज्ज्वल और बिहार के पंचायती राज विभाग के निदेशक श्री आनंद शर्मा सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

पृष्ठभूमि:

पंचायती राज मंत्रालय, बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग के साथ मिलकर विषयगत दृष्टिकोणों के माध्यम से ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के स्थानीयकरण पर तीन दिन के राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। थीम 7- ‘सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत’ पर केंद्रित कार्यशाला 10 सितंबर, 2024 को शुरू हुई और 12 सितंबर, 2024 को समाप्त होगी।

Post a Comment

Previous Post Next Post

प्रेस विज्ञप्ति व विज्ञापन के लिये ,हमें ईमेल करे editordharasakshi@gmail.com