आज का इतिहास 07 अक्टूबर


 

  • मुग़ल सेना ने 1586 को कश्मीर में प्रवेश किया।
  • बंगाल में 1737 को 20 हजार छोटे जहाज के समुद्र में 40 फुट नीचे डूबने से तीन लाख लोगों की मौत।
  • विलेम द्वितीय नीदरलैंड का राजा 1840 में बना।
  • अमेरिका में कोर्नोल विश्वविद्यालय 1868 को खुला। इसमें 412 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ था जो उस समय की सबसे बड़ी संख्या थी।
  • गांधीजी की ‘नवजीवन’ पत्रिका 1919 में प्रकाशित।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक व्यापक सैन्य कार्रवाई में 1940 को रोमानिया जर्मनी के नियंत्रण में चला गया।
  • अमेरिका और ब्रिटिश सरकार ने 1942 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की घोषणा की।
  • पूर्वी जर्मनी, डेमोक्रेटिक सरकार के अस्तित्व में आने के साथ एक अलग देश 1949 को बना।
  • चीन में 1950 को कम्युनिस्ट शासन की स्थापना के एक वर्ष बाद इस देश की सेना ने तिब्बत पर आक्रमण कर के उसे अपने नियंत्रण में कर लिया।
  • मदर टेरेसा ने 1950 को कोलकाता में मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी की स्थापना की थी।
  • चंडीगढ़ 1952 में पंजाब की राजधानी बनी।
  • सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान लूनर-3 द्वारा चंद्रमा के छिपे हिस्से की तस्वीर 1959 को ली गई।
  • सोवियत संघ ने 1977 में चौथे संविधान को अंगीकार किया।
  • भारत में त्वरित कार्यवाइ बल का गठन 1992 में किया गया था। इसका गठन विशेष रूप से सांप्रदायिक दंगों से सहानुभूति पूर्वक और विशेषज्ञतापूर्वक निबटने के लिए हुआ था। प्रकृतिक आपदाओं से निबटने में भी यह बल नागरिक प्रशासन की मदद करता है।
  • रैपिड एक्शन फोर्स की स्थापना 1992 में की गई।
  • सूर्य बहादुर थापा द्वारा 1997 में नेपाल के नये प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण, भारत और रूस सुरक्षा सहयोग 2010 तक बढ़ाने के लिए सहमत।
  • डब्ल्यूडब्ल्यूएफ – इंडिया ने पहला राजीव गांधी वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार 2000 में हासिल किया।
  • जापान में मानव क्लोनिंग दंडनीय अपराध 2000 में घोषित किया।
  • आतंकवाद के ख़िलाफ़ अमेरिका का ऑपरेशन ‘एड्योरिंग फ़्रीडम’ 2001 को शुरू हुआ।
  • पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ़ ने कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ अभियान जारी रखने की घोषणा 2003 को की।
  • जर्मनी ने सुरक्षा परिषद में 2004 को भारत की दावेदारी का समर्थन किया।
  • फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास 2008 को चार दिन की राजकीया यात्रा पर भारत पहुँचे।
  • लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जानसन सरलीफ और शांति व महिला अधिकार कार्यकर्ता लीमेह जीबोई तथा यमन की तवाकुल करमान को शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा 2011 में की गई।

 

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