ट्राई ने 'प्रसारण क्षेत्र में उभरते रुझान और प्रौद्योगिकी' पर संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें आईएमसी-2024 के साथ-साथ इमर्सिव टेक्नोलॉजीज, डी2एम और 5जी प्रसारण और डिजिटल रेडियो प्रौद्योगिकी पर सत्र आयोजित किए गए

इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC-2024) के अवसर पर आज प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 'प्रसारण क्षेत्र में उभरते रुझान और प्रौद्योगिकी' पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में प्रसारण उद्योग के भीतर उभरती प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी क्षमता और व्यावहारिक अनुप्रयोगों की खोज की गई, जिसमें इमर्सिव प्रौद्योगिकियों, D2M और 5G प्रसारण और डिजिटल रेडियो पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रसारण उद्योग, प्रौद्योगिकी दिग्गजों, उपकरण निर्माताओं और सरकार के प्रमुख हितधारकों सहित 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी  चर्चाओं में भाग लेने और डिजिटल युग में प्रसारण के भविष्य का पता लगाने के लिए एकत्र हुए।संगोष्ठी को एक के बाद एक तीन  सत्रों में आयोजित गया , जो प्रसारण परिदृश्य को आकार देने वाले महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इन सत्रों की अध्यक्षता उद्योग के प्रतिष्ठित नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने की है, जिनमें टाटा प्ले लिमिटेड के प्रौद्योगिकी प्रमुख श्री विशाल आर्य, दूरसंचार विभाग के डीडीजी श्री अशोक कुमार और दूरसंचार विभाग के डीडीजी श्री सैयद तौसीफ अब्बास शामिल हैं। इन सत्रों में प्रसारण क्षेत्र, उपकरण और नेटवर्क निर्माताओं के विशेषज्ञों सहित प्रसिद्ध संगठनों के विशेषज्ञ वक्ताओं ने भाग लिया।पहले सत्र का शीर्षक था ' ब्रॉडकास्टिंग परिदृश्य में इमर्सिव टेक्नोलॉजीज का उपयोग ', जिसमें इस बात पर गहन चर्चा की गई कि संवर्धित वास्तविकता (एआर), आभासी वास्तविकता (वीआर) और मिश्रित वास्तविकता (एमआर) जैसी तकनीकें प्रसारण में सामग्री निर्माण और उपभोग में किस तरह क्रांति ला सकती हैं। प्रौद्योगिकी नवोन्मेषकों के साथ-साथ प्रसारण क्षेत्र के विशेषज्ञों ने उपयोग के मामले प्रस्तुत किए, ताकि यह उजागर किया जा सके कि कैसे इमर्सिव तकनीकें दर्शकों की सहभागिता को बढ़ा सकती हैं, बेहतर अनुभव प्रदान कर सकती हैं और मीडिया सामग्री वितरण के भविष्य को नया आकार दे सकती हैं।दूसरे सत्र, ' डी2एम और 5जी प्रसारण: अवसर और चुनौतियां ' में एटीएससी 3.0 और 5जी प्रसारण (3जीपीपी मानक पर आधारित) जैसी दो प्रमुख तकनीकी मानकों पर चर्चा की गई  जो मोबाइल हैंडसेट पर सामग्री के निर्बाध प्रत्यक्ष रिसेप्शन की सुविधा प्रदान करते हैं, उपयोगकर्ताओं की मीडिया तक पहुंच और उपभोग के तरीके को संभावित रूप से बदल सकते हैं। इन सत्रों में किए जा रहे परीक्षणों और बुनियादी ढांचे, स्पेक्ट्रम, एंड डिवाइस इकोसिस्टम आदि की आवश्यकता जैसी चुनौतियों पर भी चर्चा की गई।अंतिम सत्र, ' डिजिटल रेडियो प्रौद्योगिकी: भारत में तैनाती की रणनीतियां ' में  भारतीय बाजार के लिए डिजिटल रेडियो लाने की रणनीतियों पर चर्चा की गई की । विशेषज्ञों ने डिजिटल रेडियो के लाभों पर चर्चा की, जिसमें बेहतर ध्वनि गुणवत्ता, स्पेक्ट्रम दक्षता और मल्टीमीडिया सेवाएं प्रदान करने की क्षमता शामिल है। विशेषज्ञों ने मौजूदा एनालॉग नेटवर्क के संचालन के लिए चुनौतियों और समाधानों के साथ डिजिटल प्रसारण  के सहज प्रसारण पर भी चर्चा की।इन चर्चाओं से भारत में प्रसारण क्षेत्र के लिए भविष्य की नीतियों को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जिससे एक समावेशी और अभिनव प्रसारण पारिस्थितिकी तंत्र का विकास सुनिश्चित होगा। सत्र के विवरण के बारे में किसी भी विस्तृत जानकारी के लिए, श्री दीपक शर्मा, सलाहकार (बी एंड सीएस), ट्राई, से advbcs-2@trai.gov.in पर संपर्क किया जा सकता है ।

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