यूपी में 52 हजार राज्यकर्मियों का लटकेगा वेतन

लखनऊ। सरकार के कड़े निर्देशों के बावजूद उत्तर प्रदेश के लगभग 52 हजार राज्यकर्मियों ने अब तक अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। यह स्थिति तब है जब सरकार ने इसके लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए थे। मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति का विवरण देने की अनिवार्यता के बावजूद, सोमवार को भी इन कर्मियों ने आवश्यक जानकारी नहीं दी, जिसके परिणामस्वरूप सितंबर माह का वेतन रोका जा सकता है।सरकार के नियमों के अनुसार, ऐसे सभी राज्यकर्मियों को तब तक वेतन नहीं मिलेगा, जब तक वे अपनी संपत्ति का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर जमा नहीं कर देते। इस नियम के तहत, उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के अनुसार प्रदेश के सभी श्रेणियों के 8,36,571 राज्यकर्मियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का वार्षिक ब्योरा देना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को अब पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी प्रकार की अनियमितता पर नजर रखी जा सके।गौरतलब है कि नियमानुसार पिछले वर्ष 2023 की संपत्ति का ब्योरा इस वर्ष 31 जनवरी तक जमा कर देना था, लेकिन अब तक काफी संख्या में कर्मचारी इस आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। सरकार और कार्मिक विभाग के लगातार आदेशों और सूचनाओं के बाद भी, कई कर्मचारियों ने अब तक अपनी संपत्ति का विवरण नहीं दिया है। विभाग द्वारा कई बार चेतावनी दी जा चुकी है कि अगर संपत्ति का विवरण समय पर नहीं दिया गया, तो संबंधित कर्मचारियों को वेतन निलंबित कर दिया जाएगा।इस मामले में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि संपत्ति का ब्योरा देने से सरकार की वित्तीय स्थिति और भ्रष्टाचार के मामलों पर नजर रखी जा सकेगी। इसके अलावा, यह कदम सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि सरकार और जनता के बीच विश्वास बना रहे।कार्मिक विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि जिन कर्मियों ने अब तक अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है, उन्हें तत्काल इसकी सूचना दी जाए। इसके साथ ही, विभाग द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि संपत्ति का ब्योरा समय पर पोर्टल पर अपलोड किया जाए, ताकि भविष्य में किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता से बचा जा सके।सरकार द्वारा इस सख्ती के बावजूद, कर्मचारियों द्वारा संपत्ति का ब्योरा न देना एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। अब देखना यह है कि इन आदेशों का पालन कब तक होता है और राज्यकर्मी अपनी जिम्मेदारियों को कब पूरा करते हैं।

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