नईदिल्ली (पीआईबी)केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज पांच नई वर्गीकृत शास्त्रीय भाषाओं - प्राकृत, पाली, मराठी, बांग्ला और असमिया के विद्वानों के साथ बातचीत की। इस अवसर पर श्री चामू कृष्ण शास्त्री, अध्यक्ष, भारतीय भाषा समिति; श्री एम. जगदीश कुमार,अध्यक्ष यूजीसी; शिक्षाविद, विद्वान और मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित हुए। विद्वानों ने इन सुंदर भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया और अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इन भाषाओं को बढ़ावा देने और समृद्ध करने में अपना समर्थन देने की बात की।
इस अवसर पर, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार एनईपी 2020 की भावना के अनुरूप भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश में भाषाई विरासत का जश्न मनाने, उसे सम्मान देने और संरक्षित करने के लिए चहुंमुखी कोशिश कर रही है।
श्री प्रधान ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा कहा है कि देश की सभी भाषाएं भारतीय भाषाएं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत करने और उनमें सीखने की सुविधा प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि वह मातृभाषा में पढ़ाई को सुविधाजनक बनाने, सभी भारतीय भाषाओं पर समान रूप से ध्यान देने के साथ-साथ बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें उनकी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मजबूत करना भी शामिल है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की आत्मा उसकी भाषाओं में बसती है। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय भाषाओं की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।
Post a Comment