नईदिल्ली (पीआईबी)'ब्लैक डायमंड: अनवीलिंग द डेप्थ' नामक स्थायी प्रदर्शनी का उद्घाटन संयुक्त रूप से केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा कोयला और खान राज्य मंत्री श्री सतीश चंद्र दुबे, संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री अरुणीश चावला, कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं एफए सुश्री निरुपमा कोटरू और संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री संजय कौल की गरिमामय उपस्थिति में किया जाएगा।इस गैलरी को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य कोयले की खोज और निष्कर्षण की प्रक्रिया, उसमें उपयोग की जाने वाली तकनीकों, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन और पेचीदगियों, प्रौद्योगिकियों, खनिजों तथा खनन के मूल्य और वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना है, साथ ही इस मिथक को भी दूर करना है कि कोयला खनन एक प्रदूषणकारी गतिविधि है। यह प्रदर्शनी समाज और विशेष रूप से छात्रों में जांच, नवाचार और वैज्ञानिक सोच की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और कोयले के बारे में गहरी समझ पैदा करेगी।इस प्रदर्शनी की परिकल्पना, डिज़ाइन और क्यूरेशन राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, दिल्ली (एनसीएसएम) द्वारा किया गया है। इस प्रदर्शनी में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले दृश्य और इंटरैक्टिव प्रदर्शन प्राचीन दुनिया को जीवंत कर देते हैं, जो लाखों सालों में कोयले के बनने की प्रक्रिया पर एक अनूठा नज़रिया पेश करते हैं। इनके ज़रिए कोई भी व्यक्ति उन भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को देख सकता है, जिन्होंने कई सदियों से गुज़रकर इस मूल्यवान संसाधन को आकार दिया है, जो कोयले के निर्माण पर एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला नज़रिया प्रस्तुत करता है।ओपन-कास्ट खनन की बड़ी गतिशील चित्रावली आगंतुकों को ओपन-कास्ट खनन कार्यों की भव्यता और जटिलता को देखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। बेहद बारीकी से डिज़ाइन की गई ये चित्रावली, एक ज्वलंत और गहन अनुभव प्रदान करते हुए ओपन-कास्ट खनन की जटिलताओं को प्रदर्शित करती है, जो इस उद्योग के पैमाने और गतिशीलता को दर्शाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति कृत्रिम कोयला खदान से गुजरने का अनुभव प्राप्त कर सकता है, जो खनन प्रक्रिया को जीवंत बनाता है। कृत्रिम कोयला खदान में लिफ्ट के साथ कोयला खदान की गहराई में आभासी रूप से उतरने का भी अनुभव किया जा सकता है। एक बार जब ये जादुई लिफ्ट कोयले की गहरी परत में उतरती है, तो आगंतुक बाहर आते हैं और भूमिगत कोयला खदान में यात्रा के अगले चरण के लिए सुरक्षा उपकरणों के साथ तैयार होते हैं। चित्रावली में प्रदर्शित लंबी दीवार वाली खनन मशीनों और खनिकों के निरंतर कामकाज का अन्वेषण किया जा सकता है, जो उनके संचालन की प्रक्रिया को नज़दीकी से दिखाता है। कोयला निष्कर्षण के बाद खदान की छत को सहारा देने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए, विशेष रूप से व्यवस्थित सेटिंग में ट्विन-बोल्ट मशीन को भी देखा जा सकता है। रानीगंज माइनिंग रेस्क्यू ऑपरेशन कैप्सूल का मॉडल मानवीय साहस का प्रमाण है। आगंतुक यहां उस नाटकीय घटनाक्रम का भी अनुभव कर सकते हैं, जहां खनिकों को जान बचाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
ड्रैगलाइन सिम्युलेटर गैलरी का मुख्य आकर्षण है। यहां, आगंतुकों को इस विशाल मशीन को वस्तुतः संचालित करने और नियंत्रित करने की बारीकियों को समझने का अवसर मिलता है। सिम्युलेटर, बूम बार और बकेट के आभासी प्रतिनिधित्व के साथ, वास्तविक दुनिया के ऑपरेशन कंसोल को सहजता से मिलाता करता है, जो एक परस्पर संवादात्मक और शिक्षाप्रद अनुभव प्रदान करता है। "कोयला अन्वेषण" अनुभाग आपको एक आधुनिक अन्वेषण यात्रा पर ले जाएगा, जिसमें छिपे हुए कोयला भंडार को उजागर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली उन्नत तकनीकों को देखा जा सकता है। कोल इंडिया लिमिटेड की एक परिवर्तनकारी पहल, कायाकल्प पर एक डिजिटल चित्रावली, कोयला खनन उद्योग में भूमि सुधार और पर्यावरण प्रबंधन के लिए एक अग्रणी दृष्टिकोण दर्शाती है। "कायाकल्प" शब्द का अर्थ है, दोबारा किसी चीज़ को मूर्त रुप देना और इस कार्यक्रम का मकसद परित्यक्त कोयला खदानों को दोबारा प्राप्त करके उन्हें इको-पार्क या पर्यटन स्थलों में बदलना है।
कोयला मंत्रालय द्वारा समर्थित यह प्रदर्शनी बेहद गर्व के साथ अत्याधुनिक तकनीक, व्यापक अनुभवों और कोयले के भूविज्ञान, अन्वेषण, निष्कर्षण, टिकाऊ प्रथाओं और वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। यहां मनमोहक प्रदर्शनों के ज़रिए, उन भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी ली जा सकती है, जिसके ज़रिए पौधों को काले सोने में बदला गया, और जिस पर हम आज निर्भर हैं।
कुल मिलाकर, यह प्रदर्शनी केवल कोयले की यात्रा को ही विस्तार से नहीं बताती, बल्कि यह नवाचार, स्थिरता और एक उद्योग के विकास की कहानी है, जिसने हमारी दुनिया को आकार दिया है। राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, दिल्ली इस व्यापक अन्वेषण को संभव बनाने के लिए कोयला मंत्रालय का हार्दिक आभार व्यक्त करता है। किसी भी इच्छुक व्यक्ति को इस शैक्षणिक यात्रा का आनंद लेना चाहिए, जहां कोयले का समृद्ध इतिहास और महत्व जीवंत हो उठता है, प्रदर्शनियों की पारंपरिक सीमाओं के परे एक ऐसा अनुभव प्रदान करता है जो वास्तव में अद्वितीय है।
Post a Comment