सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), भारत सरकार ने उद्यमिता संस्कृति को बढ़ावा देने तथा एनएसएसएच योजना और मंत्रालय की अन्य योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आज पंजाब के मोगा में राष्ट्रीय एससी-एसटी हब (एनएसएसएच) सम्मेलन का आयोजन किया। एमएसएमई मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री मर्सी एपाओ, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार उप महानिदेशक डॉ. मंजीत भटोया, एनएसआईसी के सीएमडी डॉ. सुभ्रांशु शेखर आचार्य, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, पंजाब के अतिरिक्त सीईओ श्री एसपी अंगरा, पंजाब सरकार के सहायक आयुक्त श्री हितेश वीर गुप्ता, मोगा के जीएम (डीआईसी) श्री एसएस रेखी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में लगभग 700 मौजूदा और महत्वाकांक्षी एससी/एसटी उद्यमियों ने भाग लिया।एनएसआईसी के सीएमडी डॉ. सुभ्रांशु शेखर आचार्य ने अपने उद्घाटन भाषण में सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को दिन के एजेंडे के बारे में जानकारी दी और भारत सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति के बारे में बताया, जिसके तहत एससी/एसटी उद्यमों से 4 प्रतिशत और महिला उद्यमों से 3 प्रतिशत सार्वजनिक खरीद अनिवार्य की गई है। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के लिए एमएसएमई मंत्रालय एससी/एसटी उद्यमियों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और सार्वजनिक खरीद नीति के अनुसार 4 प्रतिशत अनिवार्य सार्वजनिक खरीद तक पहुंचने के लिए उन्हें सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय एससी-एसटी हब योजना को लागू करता है। उन्होंने एससी/एसटी उद्यमियों के लिए राष्ट्रीय एससी-एसटी हब योजना के तहत कार्यान्वित की गई विभिन्न पहलों पर भी चर्चा की।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए एमएसएमई मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री मर्सी ईपाओ ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एमएसएमई न केवल रोजगार के बड़े अवसर प्रदान करते हैं बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगीकरण में भी मदद करते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एमएसएमई का योगदान सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत और देश से निर्यात में 45 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में 5.21 करोड़ से अधिक इकाइयाँ (उद्यम पंजीकृत इकाइयाँ) हैं जो 22.28 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से उद्यमिता को एक पेशे के रूप में अपनाने और केवल उपभोक्ता नहीं बल्कि उत्पादक बनने का आग्रह किया। उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं की क्षमता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि राज्य के उद्यमी नवीन विचारों और व्यावसायिक अवसरों की खोज करेंगे और इन योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाएँगे। उन्होंने उद्यमिता के द्वारा महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हाल ही में शुरू की गई पहल 'यशविनी' के बारे में भी जानकारी दी।
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