ट्रेडमार्क से जुड़ी एक अदालती लड़ाई में ऐतिहासिक जीत के अंतर्गत नई दिल्ली जिला अदालत ने मध्य प्रदेश के भोपाल में “जन औषधि संघ” के नाम से संचालित संगठन के नाम में समानता को लेकर उसे इस नाम का इस्तेमाल करने पर स्थायी रूप से रोक लगा दी है। यह कम्पनी जानबूझ कर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी), औषध निर्माण विभाग के पंजीकृत ट्रेडमार्क 'जन औषधि' के समान भ्रामक नाम का उपयोग कर रही थी। दिल्ली की अदालत ने उल्लंघनकर्ता और उसके मालिकों, साझेदारों आदि को किसी भी तरह से “जन औषधि” का उपयोग करने से रोकने का आदेश दिया है। यह आदेश पीएमबीआई के ब्रांड की अखंडता की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दरों पर प्रामाणिक उत्पाद प्राप्त हों जो कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है।अदालत ने उल्लंघनकर्ता को भ्रामक “जन औषधि” ट्रेडमार्क वाली सभी सामग्री को नष्ट करने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना को सौंपने का निर्देश जारी करने के अलावा पीएमबीआई के पक्ष में दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।सभी को सस्ते दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषध निर्माण विभाग द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना शुरू की गई थी और यह देश के लगभग सभी जिलों को कवर करने वाले 13,800 जन औषधि केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से किफायती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराती है। इन खुदरा दुकानों से दवाइयां खरीदते समय लोगों को 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक की बचत होती है। पिछले कुछ वर्षों में जन औषधि देश की सबसे बड़ी खुदरा फ़ार्मेसी श्रृंखला बन गई है।
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