वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में भारतीय गुणवत्ता प्रबंधन प्रतिष्ठान (आईएफक्यूएम) संगोष्ठी में दिए अपने समापन भाषण में उद्योग जगत के दिग्गजों और हितधारकों से आग्रह किया कि वे गुणवत्ता को उद्योग जगत का केंद्रबिंदु बनाएं। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे उत्पाद निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने का स्थायी प्रबंध करें और ग्राहकों के लिए इसे विकल्प न बनाएं।
श्री गोयल ने गुणवत्ता को लेकर उद्योग जगत के नेतृत्व में की जा रही पहल के लिए आईएफक्यूएम की प्रशंसा की और कहा कि भारत में लोगों द्वारा गुणवत्ता अपनाने में बदलती मानसिकता सबसे बड़ी बाधा है। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा गुणवत्ता को राष्ट्र निर्माण में सरकार के प्रयासों के मूल में रखा है। उन्होंने कहा कि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पिछले दो कार्यकाल से प्रधानमंत्री का 'शून्य दोष और शून्य प्रभाव' का विजन सबसे आगे रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते हुए विकसित भारत बनने की यात्रा में टिकाऊ विनिर्माण अभ्यास, निर्णायक उत्प्रेरक होंगे। एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) के बारे में उन्होंने कहा कि इस फंड के माध्यम से सरकार, उद्योग के लिए नवाचार का समर्थन करेगी ताकि विकसित भारत के लिए गुणवत्ता के साथ-साथ इसे भी एक आधार बनाया जा सके।
श्री गोयल ने बताया कि 2014 तक 106 उत्पादों को कवर करने वाले केवल 14 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) थे, जबकि पिछले दशक में सरकार ने इनकी संख्या बढ़ाकर 732 उत्पादों को कवर करने वाले 174 क्यूसीओ तक कर दी है। खिलौना निर्माण क्षेत्र में गुणवत्ता के प्रभाव पर जोर देते हुए, मंत्री ने कहा कि गुणवत्ता नियंत्रण शुरू करने से निर्यात में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को विश्व स्तर पर एक ब्रांड के रूप में पहचान दिलाने के लिए गुणवत्ता को सबसे अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। श्री गोयल ने कहा कि अगर उत्पाद भारत से आ रहा है तो उस पर गुणवत्ता की छाप होनी चाहिए और हमारी आकांक्षा इस लक्ष्य को प्राप्त करने की होनी चाहिए।
श्री गोयल ने सरकार के साथ साझेदारी करने और क्यूसीओ इकोसिस्टम के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र में गुणवत्ता लाने के लिए उद्योग जगत के नेताओं को आमंत्रित किया। गुणवत्ता को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उन्होंने उद्योग जगत के दिग्गजों से अपने सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और तकनीकी रूप से दक्ष कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की तकनीकी मानक समितियों की सहायता करने के लिए राजी करने का आग्रह किया। निर्माताओं को अच्छे गुणवत्ता मानकों को अपनाने में आने वाली कठिनाइयों के समाधान के लिए उन्होंने गुणवत्ता नियंत्रण नियामकों के साथ सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत की साझेदारी का भी आह्वान किया।
श्री गोयल ने प्रतिभागियों से विकसित भारत के लिए कर्तव्य की भावना विकसित करने का भी आग्रह किया और कहा कि देश के निर्यात में प्रतिस्पर्धा सब्सिडी से नहीं आएगी बल्कि स्वदेशी उत्पादों के दम पर बने आत्मनिर्भर भारत से आएगी। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता हमारा काम नहीं है, यह हमारा कर्तव्य है।
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