उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने आज नई दिल्ली में एनसीसीएफ, नेफेड और केंद्रीय भंडार की मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर दिल्ली-एनसीआर में भारत चना दाल चरण-II की खुदरा बिक्री का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री बीएल वर्मा और श्रीमती निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया भी उपस्थिति रहे।
भारत चना दाल के दूसरे चरण में मूल्य स्थिरीकरण बफर से 3 लाख टन चना स्टॉक को चना दाल और साबुत चना उपभोक्ताओं को क्रमशः 70 रुपये प्रति किलोग्राम और 58 रुपये प्रति किलोग्राम की खुदरा बिक्री मूल्य पर उपलब्ध कराया जा रहा है। चने के अलावा, सरकार ने भारत ब्रांड में मूंग और मसूर दालों को भी शामिल किया है। भारत मूंग दाल 107 रुपये प्रति किलोग्राम, भारत मूंग साबुत 93 रुपये प्रति किलोग्राम और भारत मसूर दाल 89 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेची जाती है। भारत चना दाल की फिर से शुरुआत होने से इस त्योहारी सीजन में दिल्ली-एनसीआर के उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति बढ़ जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए श्री जोशी ने कहा कि यह पहल उपभोक्ताओं को किफायती मूल्य पर आवश्यक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करती है। चावल, आटा, दाल और प्याज जैसी बुनियादी खाद्य पदार्थों की खुदरा बिक्री के माध्यम से सीधे सरकारी हस्तक्षेप ने भी स्थिर मूल्य व्यवस्था बनाए रखने में मदद की है।
दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने कई नीतिगत कदम उठाए हैं। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हर साल दालों के एमएसपी में बढ़ोतरी की है और 2024-25 सीजन में तुअर, उड़द और मसूर के लिए बिना किसी तय सीमा के खरीद नीति की घोषणा भी की है। खरीफ 2024-25 बुआई सीजन के दौरान एनसीसीएफ और नैफेड ने सुनिश्चित खरीद के लिए जागरूकता अभियान, बीज वितरण और किसानों का पूर्व-पंजीकरण किया था और आगामी रबी बुआई सीजन में भी इन गतिविधियों को जारी रखा जा रहा है। घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और निर्बाध आयात को सुगम बनाने के लिए, सरकार ने 31 मार्च, 2025 तक तुअर, उड़द, मसूर और चना के शुल्क रहित आयात और 31 दिसंबर, 2024 तक पीली मटर के आयात की अनुमति दी है। इस वर्ष खरीफ दालों के बढ़े हुई क्षेत्र कवरेज के साथ-साथ आयात के निरंतर प्रवाह से जुलाई, 2024 से अधिकांश दालों की कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिला है। पिछले तीन महीनों के दौरान तुअर दाल, उड़द दाल, मूंग दाल और मसूर दाल की खुदरा कीमतों में या तो कमी आई है या वे स्थिर रही हैं।
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