नईदिल्ली (पीआईबी)हाल ही में मीडिया में प्रकाशित कुछ रिपोर्टें, जिनमें देश भर में डीएपी की कमी और इसके परिणामस्वरूप रबी फसल की संभावनाओं पर दुष्प्रभाव का दावा किया गया है, बिल्कुल भ्रामक, गलत और तथ्यहीन हैं।यह स्पष्ट किया जाता है कि कोविड काल से डीएपी की एमआरपी 1350 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग बरकरार रखी गई है।इसके अलावा, डीएपी पर सब्सिडी बिल्कुल भी कम नहीं की गई है। इसके बजाय, किसानों के लाभ के लिए, मंत्रिमंडल के दो निर्णयों के माध्यम से रबी 2024 के लिए सब्सिडी में वृद्धि की गई है।सबसे पहले, विशेष पैकेज के रूप में 3500 रुपये प्रति एमटी की लागत पर डीएपी की खरीद के लिए कंपनियों के लिए मूल्य को टिकाऊ बनाने के उद्देश्य से 2625 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं ताकि कंपनी के स्तर पर खरीद क्षमता मूल्य की अस्थिरता से अप्रभावित रहे।दूसरे, मंत्रिमंडल के एक अन्य फैसले में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में समग्र वृद्धि का ध्यान रखा गया है, जिसके तहत सब्सिडी को बाजार कीमतों से जोड़ा गया है। इस प्रकार, यदि वैश्विक बाजार में डीएपी सहित पीएंडके उर्वरक की खरीद कीमत बढ़ती है, तो कंपनियों की खरीद क्षमता प्रभावित नहीं होती है। इसलिए, किसान ही अंतिम लाभार्थी हैं।इसके अलावा, रबी 2024-2025 के लिए कुल बजटीय आवंटन बढ़ाकर 24,475 करोड़ रुपये कर दिया गया।इस तथ्य पर ध्यान दिया जा सकता है कि डीएपी की उपलब्धता कई भू-राजनीतिक कारकों से कुछ हद तक प्रभावित हुई है, जिसमें जहाजों द्वारा लाल सागर के बजाय केप ऑफ गुड होप के रास्ते अपनाए गए लंबे मार्ग भी शामिल हैं। हालांकि, उर्वरक विभाग द्वारा सितंबर-नवंबर, 2024 के दौरान उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि करने हेतु गहन प्रयास किए गए हैं।
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