अंकित सिंह "खड्गधारी "
इस वित्तीय वर्ष में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में उथल-पुथल का रुझान देखा गया है, जिसमें साल के पहले सात महीनों में जीएसटी से तीन महीनों में सबसे अधिक संग्रह दर्ज किया गया है। इस वर्ष की शुरुआत में अप्रैल में जीएसटी राजस्व ने दो लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक आंकड़ा छू लिया, जो अब तक का सबसे ऊंचा मासिक संग्रह था। इस राजस्व में बढ़ोतरी का श्रेय करदाताओं की तरफ से की गई सालाना फाइलिंग को दिया जा सकता है, जिससे सकल और शुद्ध प्राप्तियों में क्रमशः 12.4% और 15.5% की बढ़ोतरी हुई।
उच्चतम संग्रह के क्षण और गिरावट की स्थिति
जुलाई में जीएसटी राजस्व 1.82 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो 10.3% की वृद्धि के साथ उस समय का तीसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा था। वहीं, अक्टूबर के राजस्व ने भी एक मजबूत प्रदर्शन करते हुए पिछले सात वर्षों में दूसरा सबसे अधिक संग्रह दर्ज किया। इसके बावजूद, इस साल कुछ कमजोर महीनों ने इन बढ़ोतरी के रुझानों को कुछ हद तक प्रभावित किया। जून में, सकल राजस्व वृद्धि तीन साल के निचले स्तर 7.3% पर थी, जबकि सितंबर में यह 40 महीने के निचले स्तर 6.5% तक गिर गई। हालांकि, अक्टूबर के राजस्व में दो महीने की क्रमिक गिरावट का सिलसिला टूटा और साल-दर-साल 8.9% की वृद्धि हुई, जो कि आर्थिक मजबूती का संकेत देती है। शुद्ध राजस्व की वृद्धि दर 7.9% रही, जो कि सितंबर की 3.9% की वृद्धि के मुकाबले दोगुनी थी, हालांकि यह कुल मिलाकर गिरकर 9% पर आ गई, जो अगस्त तक लगभग 10.2% थी।
आने वाले महीनों में राजस्व लक्ष्य और सरकार की चुनौतियां
बजट लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आने वाले महीनों में अप्रत्यक्ष करों के राजस्व में तेजी से बढ़ोतरी की जरूरत है, हालांकि घाटे का बड़ा जोखिम फिलहाल टलता दिखाई दे रहा है, क्योंकि प्रत्यक्ष कर और गैर-कर राजस्व अभी भी मजबूत प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, एक महीने का जीएसटी संग्रह पिछले महीने के लेन-देन से संबंधित होता है, इसलिए त्योहारी मौसम में निजी उपभोग के रुझान का यह पहला संकेत है। सितंबर में पितृ पक्ष के कारण खरीदारी में कुछ गिरावट आई थी, जिससे जीएसटी संग्रह पर असर पड़ा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी अक्टूबर बुलेटिन में इस स्थिति पर ध्यान देते हुए कहा कि हाल के जीएसटी रुझान अर्थव्यवस्था की धीमी गति का संकेत दे रहे हैं, लेकिन त्योहारी मांग से इसमें सुधार की उम्मीद जताई गई है।
उपभोक्ता मांग और जीएसटी परिषद की संभावनाएं
इस संदर्भ में, अक्टूबर के जीएसटी संग्रह सकारात्मक संकेत देते हैं, जबकि नवंबर की प्राप्तियां यह स्पष्ट कर सकेंगी कि त्योहारी मांग और उपभोक्ता भावना में वास्तविक सुधार हुआ या नहीं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार दशहरा और दीपावली अक्टूबर में पड़ने के कारण, निजी उपभोग में वृद्धि की उम्मीदें ज्यादा हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी महंगी एसयूवी की बिक्री बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं, जबकि कुल बिक्री दर में मध्यम सुधार देखा जा रहा है।
जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में कर दरों के तर्कसंगत बनाने पर चर्चा हो सकती है, जिसमें सीमेंट और बीमा जैसे क्षेत्रों पर करों में कटौती के सुझाव शामिल हैं। इससे उच्च बिक्री को बढ़ावा मिलने की संभावना है और राजस्व में संभावित नुकसान की भी भरपाई की जा सकती है।
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