भावी पीढ़ी को युद्ध, आतंकवाद से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी: योगी आदित्यनाथ


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर समाज और देश के प्रति अपनी गहरी जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह भावी पीढ़ी को युद्ध और आतंकवाद के भय से मुक्त वातावरण प्रदान करने की दिशा में काम करे। यह बयान उन्होंने एक विशेष कार्यक्रम के दौरान दिया, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक समरसता पर चर्चा हुई।

समानता और शांति पर बल

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज के निर्माण के लिए सभी धर्म, जाति और समुदायों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों के जरिए युवाओं को ऐसी दिशा दी जानी चाहिए, जिससे वे मानवता के प्रति संवेदनशील बनें और किसी भी प्रकार की हिंसा या उग्रवाद से दूर रहें।

युद्ध और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि युद्ध और आतंकवाद न केवल जान-माल का नुकसान करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के विकास को भी अवरुद्ध करते हैं। उन्होंने सभी देशों और संगठनों से अपील की कि वे अपने विवादों को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से हल करें।

शिक्षा और संस्कृति का महत्व

मुख्यमंत्री ने बताया कि एक मजबूत शिक्षा व्यवस्था और सांस्कृतिक जागरूकता भावी पीढ़ी को सही दिशा देने में सहायक होती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को नैतिकता, राष्ट्रीयता और मानवता के पाठ पढ़ाने चाहिए ताकि वे भविष्य में एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

सरकार की पहल

उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करने और राज्य को आतंकवाद मुक्त बनाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसके तहत पुलिस और खुफिया विभाग को मजबूत करने के साथ ही शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

सभी की सामूहिक जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि आतंकवाद और युद्ध से मुक्त समाज का निर्माण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए समाज के हर वर्ग को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि परिवार, स्कूल, धार्मिक संस्थान और सामाजिक संगठन सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी।

योगी आदित्यनाथ का यह वक्तव्य वर्तमान समय में शांति और स्थिरता के महत्व को समझने और अपनाने का संदेश देता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन कैसे कर सकते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य देख सके।


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