पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने तेलंगाना सरकार और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने में मदद की है, साथ ही सीएसआईआर और प्रमुख पुनर्चक्रणकर्ताओं के बीच समझौते भी हुए हैं। ये पहल सतत अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देते हुए देश को एक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाने में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती हैं।तेलंगाना सरकार और सीएसआईआर के बीच एमओयू का उद्देश्य पुनर्चक्रण एवं अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्रों में कुशल कार्यबल विकसित करना है। इस साझेदारी के अंतर्गत, सीएसआईआर की प्रयोगशालाएं और संस्थान तेलंगाना में प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे, जिससे लोगों को सीएसआईआर द्वारा विकसित अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों में विशेषज्ञता प्राप्त होगी। यह सहयोग चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देगा और हरित रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करेगा।इसके साथ ही, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सीएसआईआर की आठ राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और पुनर्चक्रणकर्ताओं के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर को सक्षम बनाया, जिसमें 15 नवीन अपशिष्ट प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, सीएसआईआर-आईआईसीटी, सीएसआईआर-एनएमएल, सीएसआईआर-आईएमएमटी, सीएसआईआर-सीईईआरआई, सीएसआईआर-आईआईपी और सीएसआईआर-सीईसीआरआई शामिल हैं। इन प्रौद्योगिकियों को अत्याधुनिक पुनर्चक्रण अवसंरचना स्थापित करने, घरेलू अपशिष्ट पुनर्चक्रण का समर्थन करने और उन्नत पुनर्चक्रण प्रक्रियाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन समझौतों से नवाचार को भी बढ़ावा मिलता है, नई पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहन मिलता है और पुनर्चक्रण के मौजूदा परिचालन को तकनीकी सहायता प्राप्त होती है। इन समझौतों और एमओयू को सुश्री लीना नंदन, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, डॉ. एन. कलैसेल्वी, सीएसआईआर के महानिदेशक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव, श्रीमती ए. शांति कुमारी, तेलंगाना सरकार की मुख्य सचिव, श्री जयेश रंजन, तेलंगाना सरकार के विशेष मुख्य सचिव, श्री तन्मय कुमार, विशेष सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और सीपीसीबी के अध्यक्ष, श्री नरेश पाल गंगवार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, डॉ. विभा मल्होत्रा साहनी, सीएसआईआर के प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय की प्रमुख और डॉ. के.जे. श्रीराम, मिशन निदेशक, अपशिष्ट से संपदा मिशन, सीएसआईआर की उपस्थिति में औपचारिक रूप प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में सीएसआईआर, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और तेलंगाना सरकार के वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।ये पहल प्रधानमंत्री के मिशन चक्रीय अर्थव्यवस्था के आह्वान के अनुरूप हैं, जिस पर उन्होंने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन के दौरान बल दिया था। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) संरचना सहित नीतियों एवं विनियमों का निर्माण करने में सहायक रहा है, जो पुनर्चक्रणकर्ताओं को प्रोत्साहित करते हैं और अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक पुनर्चक्रण प्रणालियों में एकीकृत करते हैं। इन पहलों का उद्देश्य अपशिष्ट में कमी लाना, मूल्यवान सामग्रियों को पुनः प्राप्त करना और कुंवारी संसाधनों पर निर्भरता को कम करना है। केंद्र सरकार ईपीआर ढांचे के तहत पुनर्चक्रण इकाइयों की स्थापना के लिए पुनर्चक्रणकर्ताओं, नवीनीकरणकर्ताओं और स्टार्ट-अप के साथ सक्रिय रूप से काम कर रही है, जिसका उद्देश्य अपशिष्ट निपटान को कम करना, मूल्यवान सामग्रियों को पुनर्प्राप्त करना और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता में कमी लाना है।इन सहयोगों को स्थापित करके, सीएसआईआर ने भारत को चक्रीय अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है, जिससे सतत विकास एवं स्वच्छ, हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
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