लखनऊ केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान में मरीजों को नहीं देखा गया। वहीं मरीजों को जांच करवाने में भी पसीने छूट गए। निजी नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटर के हड़ताल में शामिल होने की वजह से मरीजों की जांचें भी नहीं हो पाई। सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए लोग परेशान नजर आए।राजधानी में 700 से ज्यादा निजी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं। जहां प्रतिि दन लाखों मरीज देखे जाते हैं। हड़ताल की वजह से कई अस्पतालों के गेट पर ताला लटका रहा। ओपीडी पूरी तरह से ठप रही। यहां केवल पुराने मरीजों को ही देखा गया। जूनियर डॉक्टर भी राउंड पर नहीं आए। केवल इमरजेंसी में ही मरीज देखे गए। यही हाल प्रदेश भर में भी रहा। यहां भी निजी अस्पतालों के बंद होने से मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। रेजिडेंट डॉक्टरों के समर्थन में सरकारी अस्पताल को खोलने के आदेश जारी हुए हैं। राजधानी के बलरामपुर, सिविल, लोहिया, लोकबंधु समेत सभी सीचएचसी और पीएचसी में डॉक्टरों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर काम किया। वहीं हड़ताल को देखते हुए सीएमओ डॉ नरेंद्र अग्रवाल ने सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट पर रहने के लिए कहा है। राजधानी के निजी अस्पतालों में भी मरीजों का बुरा हाल रहा। फातिमा, विवेकानंद पॉलीक्लीनिक, चरक हॉस्पिटल समेत कई बड़े अस्पतालों की ओपीडी बंद रही।सुबह आठ बजे से शुरू होने वाली ओपीडी में हजारों की संख्या में लोग वापस हुए।
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