एक बार फिर से दिल्ली

एक बार फिर से दिल्ली
23 मई 2019 भारतीय लोकतंत्र का ऐतिहासिक दिन और ये इतिहास भी ऐसा जिसने भारतीय लोकतंत्र की असल ताकत दिखा दी , जनता ने फिर से एक बार भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को राजतिलक किया , इस दिन की ऐतिहासिक महत्ता इसलिए और भी बढ़ जाती है क्यूंकि यह आज़ादी के बाद से पहली ही बार था जब कांग्रेस के अलावा किसी और पार्टी ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की हो , और ये करिश्मा भारतीय लोकतंत्र में नरेंद्र की अगुवाई और भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अनुशासनंतक रवैये में संपन्न हुआ उन्होंने पूरे देश में जिस प्रक्जर चुनावी दौरे किये उस से साफ़ स्पष्ट होता है की भाजपा को विजय श्री का स्वाद मिला वह कोई तुक्का नहीं है अपितु बीते ०५ सालो में सरकार के काम और मौजूदा समय में पार्टी के दिगज्जो जैसे राजनाथ सिंह , स्मृति ईरानी , अमित शाह इन बड़े नेताओं का अविस्मरीणय योगदान ही है जिसने पार्टी को आज इस मुकाम तक पहुँचाया है और सिर्फ भाजपा के सजीव कार्यकर्ताओं ने ही नहीं बल्कि सारे देश ने इस जीत का जश्न मनाया है ,और श्री नरेंद्र मोदी ने इस विजय उत्सव में भी अपने गुरुओं(लाल कृष्ण आडवाणी , जोशी जी ) का सम्मान कर के जो सन्देश देश क दिया उसने और सभी देशवासियों का मन मोह लिया , और सभी को ये सन्देश मिला की पुराणी भाजपा और नई भाजपा में कोई दूरी नहीं आयी है , अपितु एक प्रेम भरी डोरी से सम्बन्ध आज भी जुड़ा हुआ है पांच साल पहले जब भाजपा ने आम चुनाव जीता था, तब नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के कौशल को भले ही इसका श्रेय मिला हो, लेकिन उस श्रेय में कुछ और बातें भी कही जा रही थीं। तब उनकी जीत के साथ ही एक और महत्वपूर्ण चीज थी, यूपीए के दस साल के शासन का अंत। तब नरेंद्र मोदी, भाजपा और एनडीए की सफलता के साथ ही गिनाने के लिए यूपीए की असफलताएं भी थीं। इस बार ऐसा कुछ नहीं है, और यहां तक कि खुद भाजपा और एनडीए के तकरीबन सभी घटक नरेंद्र मोदी को माथे पर सजा रहे हैं। एक तरह से इंदिरा गांधी के शासनकाल के बाद यह पहला मौका भी है कि किसी दल ने पूरे बहुमत के साथ पांच साल सरकार चलाई और उसके बाद चुनाव में पार्टी को पहले से ज्यादा अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया। कुछ हद तक यह श्रेय मनमोहन सिंह को भी दिया जा सकता है, लेकिन उनकी पार्टी पहली बार भी अल्पमत में थी और दूसरी बार भी उसकी स्थिति भले ही सुधरी, मगर वह रही अल्पमत में ही। फिर यूपीए-2 की मनमोहन सिंह वाली जीत में वैभव की वह विशालता नहीं थी, जो इस बार नरेंद्र मोदी की जीत में है। भारतीय जनता पार्टी ने अकेले इस चुनाव में ३४२ सीटों पर जीत दर्ज की जो देश के नए मूड और जनता के विशवास को दर्शाता है , जनता ने स्पष्ट कर दिया है वह मिली जुली सरकार नहीं चाहती उसे दिल्ली में अब मजबूत सरकार चाहिए
और अगर अब कांग्रेस को फिर से अपनी वापिसी करनी है , तो उसे भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि , सिर्फ डालो को जोड़ने से काम नहीं चलने वाला अपितु उन्हें अपना कद भी बढ़ाना होगा तभी वे दिल्ली के सल्तनत पा सकेंगे या फिर एक अच्छे विपक्ष के रूप में ही संसद में बैठ सकेंगे , फिलहाल पूरा देश मोदीमय होता नज़र आ रहा है और भाजपा के लगभग सभी प्रत्याशियों ने इस जीत का श्रेय भी श्री नरेंद्र मोदी को ही दिया और इसीलिए एक बार फिर से मोदी जो दिल्ली में सत्ता सँभालने का मौका मिलने को है


Post a Comment

أحدث أقدم

प्रेस विज्ञप्ति व विज्ञापन के लिये ,हमें ईमेल करे editordharasakshi@gmail.com