आनंद पी द्विवेदी
हमारा भारत वर्ष प्राचीन काल से ही विश्व को अनेकों ज्ञान का पाठ पढ़ाता रहा है। भारत ने विश्व को गणित कला संगीत और साहित्य का ज्ञान सिखलाया है। भारत ने समय समय पर नए नए सृजन द्वारा सदैव ही विश्व को ज्ञान देता रहा और स्वयं विश्व गुरु की उपाधि से अलंकृत हुआ।वर्तमान वैश्विक मानचित्र में अपनी विशेष पहचान बना चुके भारत ने अभी पिछले कुछ वर्षों में संसार को एक नया पाठ पढ़ाया है और वो है ^^योग** का पाठ। भारत ने स्वयं योग को अपना कर सम्पूर्ण विश्व को उसे अनुकरण करने के लिए आमंत्रित किया जिसे सम्पूर्ण विश्व धरा ने स्वीकारते हुए योग को अपने आप में समाहित किया। हमारा भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बना।
कुछ विशेषज्ञ योग को सामान्य व्यायाम का ही एक पर्याय मानते हैं किन्तु ये गलत है। व्यायाम तो केवल शारीरिक स्फूर्ति का साधन है तो वही योग में जहाँ शारीरिक सुदृढ़ता मिलती है तो वही मानसिक प्रबलता भी। योग केवल कायिक प्रक्रिया नही अपितु यह तो मानसिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है। योग भक्ति का साधन है। योग मनन का साधन है। योग एकांत का साधन है तो वही योग आत्मज्ञान का भी साधन है।योग अभ्यास है जिसमें योग की विभिन्न शारीरिक मुद्राओं श्वास तकनीक (सांस नियंत्रण और ध्यान शामिल है। योग का निरंतर अभ्यास करने से शांति मिलती है शरीर मजबूत और लचीला बनाता है । यह श्वसन पाचन रक्त प्रवाह और हार्मोनल में सुधार करता है। योग का मुख्य उद्देश्य मनुष्यों को जन्म और मृत्यु के पीड़ा और चक्र से मुक्त करना है। ई॰ पू॰ योग के तीन अंग - तप स्वाध्याय और ईश्वर प्राणिधान - का प्रचलन था। इसे ^^क्रियायोग** कहा जाता है। ऋग्वेद में कहा भी गया है
स घा नो योग आभुवत् स राये स पुरं ध्याम। गमद् वाजेभिरा स न%।।
अर्थात वही परमात्मा हमारी समाधि के निमित्त अभिमुख हो उसकी दया से समाधि विवेक ख्याति तथा ऋतम्भरा प्रज्ञा का हमें लाभ हो अपितु वही परमात्मा अणिमा आदि सिद्धियों के सहित हमारी ओर आगमन करे।
अगर योग के इतिहास में प्रकाश डाले तो पता चलता है की योग के अविष्कारक भगवान शंकर हैं। इन्होंने ही सर्वप्रथम योग किया था और इन्होंने ही योग की शुरुआत की। इसके बाद योग की परंपरा को वैदिक ऋषि मुनियों ने आगे बढ़ाई। समय बिताता गया और उसके साथ योग भी बढ़ता रहा। इसके पश्चात कृष्ण महावीर और बुद्ध को भी योग का विस्तारक और संरक्षक माना जाता है। योग ने हर काल समय में मनुष्य की सहायता की है। तत्पश्चात गुरु पतंजलि ने योग को सुव्यवस्थित और आवश्यक रूप दिया। योग पद्धति में सुधार भी किया। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अनेक पंथो जैसे सिद्ध पंथ नाग पंथ शैव पंथ वैष्णव पंथ शाक्य पंथियों ने योग को अपने अपने तरीके से समृद्ध और विकशित किया।
योग के क्षेत्र में भारत का योगदान अतुलनीय है। इसने योग को संचित करके रखा और आज सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए उसे सबके साथ साझा किया। विश्व के कई देश ऐसे है जो अपनी किसी भी टेक्नोलॉजी या खोज को सबसे साथ बांटने से कतराते हैं उन्हें यह आशंका होती है की मेरी खोज का इस्तेमाल करके दूसरा देश उनसे ज्यादा ताकतवर न हो जाये। भारत के विषय में ये बात बिलकुल बिपरीत है भारत अपनी सभी खोजों और टेक्नोलॉजी को सबके साथ बाँटने में सबसे आगे है। भारत ये नही सोचता की हमें अपनी खोज तक सीमित रखनी चाहिए वरन् भारत वर्ष ने अपनी सभी खोजो और उपलब्धियों को जगत कल्याण के लिए सार्वजनिक कर देता है। इसी का एक अनुपम उदहारण है योग। योग का अविष्कारक और सफल प्रयोगकर्ता भारत है लेकिन सम्पूर्ण विश्व के हित के लिए इसने आगे आकर सभी को योग के बारे में बतलाया और सभी को योग करने के लिए प्रेरित किया।
योग शारीरिक व्यायाम का सबसे उत्तम साधन है। वही योग करने से मन को एकांत की भी प्राप्ति होती है। योग न केवल वृद्ध वरन् सभी आयु के लोगो के लिए सर्वदा फलदायी है। योग करने से चिंतन और मनन करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। योग से उन शरीर के अंगों में भी जान डाली जा सकती है जो किसी कारण से अब काम नही कर रहे। योग बड़े से बड़े असाध्य रोगों और लाइलाज बीमारियों का दो टूक और शर्तिया इलाज है। योग करने से मनुष्य की उम्र भी बढ़ती है। और शारीरिक क्रियाएँ भी सही तरीके से चलती हैं।
इस दोहे में भी योग के सम्बन्ध में बिलकुल सही कहा गया है
दोहा॰ योग निरोग करत सदा। स्वस्थ बनय के कन्द।।
प्रातः निशदिन उठी करय। मिलय बड़ा आनंद।।
योग के क्षेत्र में भारत के योगदान का श्रेय योगगुरु स्वामी रामदेव आचार्य और भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी को जाता है। सम्पूर्ण विश्व में योग का प्रचार करने में स्वामी जी योग गुरू श्री श्री रविशंकर और अंतराष्ट्रीय स्तर पर योग को स्थान दिलाने में प्रधानमंत्री जी का प्रमुख योगदान रहा। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी आज इसी योग को जीवन का आधार मानकर अनेकों लोग सुखद जीवन जी रहे है।
आनंद पी द्विवेदी
युवा लेखक एवं साहित्यकार
ई मेल Anandpdwivedi@gmail.com
إرسال تعليق