चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निजी मेडिकल कॉलेजों की मनमानी पर कड़ा रुख अपनाया
लखनऊ चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निजी मेडिकल कॉलेजों की मनमानी पर कड़ा रुख अपनाया है। मुजफ्फरनगर के मेडिकल कॉलेज के खिलाफ अधिक फीस लेने के मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है तो उन्नाव के एक निजी मेडिकल कॉलेज को अभ्यर्थियों से ज्यादा शुल्क लेने पर नीट यूजी काउंसलिंग से बाहर करने की चेतावनी दी है।
शुल्क की जानकारी न देने वाले अन्य मेडिकल कॉलेजों को 100 रुपये के स्टांप पेपर पर शासन से निर्धारित शुल्क लेने का शपथ पत्र देने के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा ने गुरुवार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल, मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्र ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा कार्यालय को बीते 4 जून को पत्र लिखकर ज्यादा फीस वसूलने की शिकायत की थी। उसने आरोप लगाया था कि निर्धारित छह लाख रुपये फीस के अतिरिक्त मांगा जा रहा है। जब शुल्क नहीं जमा किया तो निलंबित करके हॉस्टल से भी निकाल दिया गया।
इस पर महानिदेशक ने संबंधित कॉलेज के प्रधानाचार्य से जवाब मांगा है और डीएम मुजफ्फर नगर, प्रधानाचार्य मेरठ मेडिकल कॉलेज और सहारनपुर मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्यीय टीम को पूरे मामले की जांच करके तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
सरस्वती मेडिकल कॉलेज उन्नाव के खिलाफ भी एक छात्र ने एमबीबीएस में प्रवेश के लिए 26 लाख रुपये फीस मांगने की शिकायत की है। इस पर महानिदेशालय ने संबंधित प्रधानाचार्य व प्रबंधक से जवाब तलब किया है और अभ्यर्थियों से शासन से निर्धारित शुल्क लेने की हिदायत दी है। साथ ही मेडिकल कॉलेज को अपनी वेबसाइट पर निर्धारित शुल्क प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा न करने पर उसे नीट यूजी काउंसलिंग से बाहर करने की चेतावनी दी है।
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