प्रकृति के प्रति


demo pic



अंकित सिंह "खड्गधारी"


भीषण गर्मी झेल ही रहे थे कि मानसून आएगा मानसून आएगा जैसी खबरों ने कुछ राहत दी ,और मानसून आया भी लेकिन वैसा बिलकुल भी नहीं जैसी खबरे थी ,ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार शुरुआत में ही मानसून आ जायेगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं , मानसून ने आते आते ही बड़ी देर लगा दी और जब मानसून आया तो वह भी देर से आये लेकिन दुरुस्त आये कहावत से एकदम विपरीत ही आया , जिसे आम भाषा में कह सकते है कि
हुजूर देर से तो आये ही मगर दुरुस्त भी नहीं आये कुछ ऐसा हुआ ,जून एकदम खतम हो चुका है और मानसून के हिसाब से जून के अंतिम सप्ताह तक अच्छी खासी बारिश तो ही जानी चाइये थी लेकिन ऐसे किसी माहौल से पूरा देश दूर है सिवाय मुंबई के जो निरंतर बारिश के थपेड़े झेलते हुए बारिश न होने की गुहार लगा रहा है देवताओं के राजा इंद्रदेव से कि हे ईश्वर अब बस कर
किसान आस लगाए बैठा है ,लोग गर्मी में झुलस चुके है और ऐसे में अगर बारिश आकर झटके में हपक के बरस के चली भी जाए तो भी गर्मी कम न होने वाली हुजूर अब तो ऐसा सावन चाहिए जो अपनी रिमझिम फुहारों से हवाओं में शहद घोल दे और लोग उसमे मदमस्त हो जाए क्यूंकि ऐसी बारिश मौसम को नम करेगी और तापमान को भी नीचे करेगी लेकिन अब ऐसी बारिश भी आप किसी अछि वीडियो में देख ले तो वही बेहतर क्यूंकि जैसा हम और हमारा समाज विकास की सीढ़ी चढ़ने के लिए लगातार पर्यावरण को हानि पहुंचा रहा ऐसे तो सारे मौसम के मजे भी डिजिटल तरीके से ही लेने पड़ेंगे
जब बारिश देखने का मन किया तो बारिश देख ली जब ठण्ड देखने का मन किया तो ठंडा देख लिया बस यूट्यूब पे गए और दुनिया मुट्ठी में , और अब तो पिछले कुछ सालो हर एक आदमी अपनी अपनी दुनिया मुट्ठी(अपने निजी मोबाइल फोन )में लिए घूम रहा अब ऐसे वह इतना अधिक व्यस्त है कि उसे अपने घरो वालो दोस्तों और रिश्तेदारों की सुध तक तो है नहीं फिर ऐसे में वह भला पर्यावरण के लिए क्या कर सकता है और कभी कबार अगर भूले से भी उसने कोई ऐसा वीडियो या फिर प्रेरक प्रसंग सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी मोबाइल फ़ोन में देख भी लिया तो भी , हम अकेले क्या कर लेंगे , जैसा क्रांतिकारी विचार उनके हाथ पेअर और सही प्रयासों पर लगाम लगा देता है , ऐसे में बस एक ही एहसान बचता है जो वे कर सकते है और वह है उस प्रेरक प्रसंग को और लोगो को आगे भेज दे (मतलब शेयर कर दे )और जैसा उत्साहित हमसे पहले वाले ने हमें किया हम भी किसी और ठीक उसी प्रकार पर्यावरण के लिए जागृत करे क्यूंकि हमारे पास इतना समय नहीं कि हम कुछ कर सके
और यह भारत वर्ष के लिए बहुत ज्यादा हर्ष की बात नहीं है जैसा आजकल के युवा सिद्ध करना चाहता है कि वे बहुत व्यस्त है जैसा कि वे असल ज़िंदगी में बिलकुल भी नहीं है
क्यूंकि अगर हमारा युवा वर्ग ही ऐसे जरुरी काम जो हर वर्ग या फिर ऐसा कह लीजिये जीवन के लिए सब से ज्यादा अहम् है उन्हें तवज्जो ही नहीं देंगे तो फिर कैसे चलेगा , अरे अगर आज की तारिख में ही हर एक युवा सिर्फ अपने जीवन ०५ पेड़ो को लगाकर उनकी सेवा करे तो भी ये इस पूरी दुनिया पर ये एहसान होगा लेकिन ये एक दिवास्वप्न ही अभी तक मालूम होता है जब तक कि ऐसा कुछ होने न लगे


हम सिर्फ अच्छी बरसात भर के लिए यही तरस रहे है हमारे देश के हर मौसम की नब्ज़ कुछ ठीक नहीं चल रही है , अभी जो गर्मी हम झेल कर आये है उसे ही ले लीजिये , हमने कैसे झेला वह हम ही जानते है और जो लोग इस गर्मी में भगवान् को प्यारे हो गए उनकी तो खैर कोई बात ही नहीं कुकी वे तो अब कुदरत को बता ही रहे होंगे कि हम क्या झेल कर आये है
चाहे ठंडी हो वह भी अब ऐसा भीषण रूप ले लेती है कि हफ्तों तक लोग झेलते चले जाते है , जब भारत तो शुरुआत से ही मौसम के मामले में सरे विश्व से धनड्य रहा है और हर तरह के मौसम समयानुसार आकर हमारे देश की शोभा बढ़ाते आये है लेकिन ये हमारे ही दोष है कि आज भूमिगत जल तक संरक्षण करना पड़ रहा है और लगातार घटते तालाबों और जंगलो से प्राकृतिक जल भण्डारो का तो नाश ही हो चला है और ये बताने लायक तो बिलकुल भी बात नहीं है पर्यावरण का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है , क्यूंकि ये शिक्षा चाहे आपने हरी पट्टी प्राइमरी में पढ़े हो या फिर हाई फाय अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पर्यावरण का महत्व हर जगह विधिवत समझया गया तो अब ये हमारे ऊपर है कि हम एक अच्छा जीवन चुनेंगे या फिर झूठे बहाने ?
जागिये और दुसरो को जगाइए ऐसे नहीं जागते तो ठंडा पानी (जो फ्रिज में अच्छे से ठंडा किया गया हो या फिर कुछ बर्फ के टुकड़े मिला ले ) डालिये ,लड़ना पड़े लड़िये लेकिन अपनी जिम्मेदारी उठाइये क्यूंकि प्रकृति मौका नहीं देगी किसी भी सरकार की और मत ताकिये , ये हमारी निजी समस्या है ऐसा मानकर चलिए तभी हम प्राकृतिक रीपी सम्पदा का उपयोग सही से कर सकेंगे नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब प्रकृति रुपी सम्पदा खली हो चुकी होगी और हम सिर्फ और सिर्फ मानव निर्मित(कृत्रिम उपकरण जैसे , वाटरप्यूरीफायर ,एयर प्यूरीफायर ) माहौल में ही जीने के लिए संघर्ष करते नज़र आएंगे


Post a Comment

أحدث أقدم

प्रेस विज्ञप्ति व विज्ञापन के लिये ,हमें ईमेल करे editordharasakshi@gmail.com