विरोध  के नाम पर 


विरोध  के नाम पर 
विरोध व प्रदर्शन के नाम पर जिस तरह पूरी दिल्ली के साथ साथ पूरे देश को बदनाम किया गया उस से ये तो साफ़ हो जाता है की यहाँ पर दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है ,
महीने होने को आये शाहीनबाग़ में प्रदर्शन कम होने का नाम नहीं ले रहा , सरकार भी इसीलिए सिर्फ और सिर्फ जबरदस्ती धरना प्रदर्शन खत्म नहीं करवा रही है कि भारतीय लोकतंत्र में प्रदर्शन , एक अधिकार है और इसे छीना भी नहीं जा सकता 
लेकिन दिक्कत तब आती है जब मुद्दों को राजनितिक संरक्षण व दिशा प्राप्त होने लगती है , जैसे कि ये अब एकदम साफ़ हो गया है सीएए का विरोध के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है वे सिर्फ सर्कार विरोधी तत्त्व ही नहीं अपितु देश विरोधी तत्त्व भी है क्यूंकि ,जब पूरे विश्व की नज़रे भारत पर थी , खासकर ऐसे मौके पर जब डोनाल्ड ट्रम्प भारत की यात्रा पर हो तो ऐसे में ऐसी अराजतका , तो बिलकुल अचानक से हो ही नहीं सकती दिल्ली में जैसी घटना घाटी वह पूरी तरह से सियासी चाल नज़र आ रही है , हालाँकि इसमें कुछ कमी दिल्ली पुलिस की भी नज़र आती है जिसने ऐसी घटना के पहले कोई एक्शन लेने वाली जिम्मेदारी नहीं दिखाई या फिर पहले ही जिम्मेदार अधिकारियो को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी 
फिलहाल खौफनाक हिंसा से उबर रही दिल्ली के दामन पर जो दाग लगा उसे मिटाने के लिए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि हत्या और आगजनी के लिए जिम्मेदार तत्वों की पहचान कर उन्हें सख्त सजा देना सुनिश्चित किया जाए। चूंकि बड़े पैमाने पर हुई हिंसा यह बता रही है कि उसके पीछे सुनियोजित साजिश और पूरी तैयारी थी इसलिए हर घटना की तह तक भी जाने की जरूरत है।दिल्ली की भीषण हिंसा यह बता रही है कि किसी न किसी स्तर पर दिल्ली पुलिस और साथ ही सरकार से गफलत हुई। वास्तव में इसी कारण वह निंदा और आलोचना के निशाने पर है। दिल्ली पुलिस और साथ ही मोदी सरकार को इस आलोचना का सामना करना ही होगा। आखिर दिल्ली की सुरक्षा सुनिश्चित करना उसकी ही जिम्मेदारी थी।और अब मौजूदा सरकार को चाहिए कि जो भी दोषी हों इस मामले में उन्हें सख्त से  सख्त सज़ा मिले , ऐसी घटनाएं देश की राजधानी में घटित हो इस से ज्यादा शर्म की बात पूरे देश के लिए कोई और नहीं हो सकती है यदि देश की राजधानी सुरक्षित नहीं है तो भला ऐसे कोई और जगह क्या सुरक्षित होगी 
लेकिन बात जब दंगा या फिर हिंसा की आती है तो ऐसे मामलो को सँभालने में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का  नाम स्वतः आता आ जाता है क्यूंकि गुजरे समय में जब लखनऊ में भी ऐसी ही हिंसक घटनाएं हो रही थी मात्रा कुछ घंटो में ही , उसे पुलिस व प्रशासन ने पूरी तरह से अपने कण्ट्रोल में ले लिया था और फिर तुरंत ही शहर में हर तरफ शांति थी 
और सब से अच्छा काम तो तब सरकार का नज़र आया जब ,दोषियों की खोज खबर ली जाने लगी उन्होंने सीसीटीवी के माध्यम से व अन्य फुटेज के माध्यम से जिन लोगो को दंगा करते देखा उन पर ही कार्यवाही कर के आर्थिक दंड लगाने का फैसला सुनाया , जिस से सभी दंगाइयों के इरादे पस्त हुए है और तब से लेकर अभी तक लखनऊ में सकारात्मक माहौल ही है 
ऐसे में दिल्ली की केंद्र सरकार को भी उत्तर प्रदेश से सीख लेकर कुछ ऐसी योजनाए सामने लानी चाहिए , आखिर जो पब्लिक का नुकसान हुआ उसकी भरपाई कैसे और कब तक होगी , यदि सरकार अपने सरकारी खजाने से इसकी भरपाई करती भी है तो भी तो वह , जनता का ही पैसा है न ऐसे में , दिल्ली में भी यही कार्यप्रणाली होनी चाहिए कि दंगे का नुकसान दंगाई ही भरेगा 
और जब ऐसी कार्यवाहियां होंगी तभी समाज के इन अराजकतत्वों को पता चलेगा कि अब विरोध के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी 


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