लॉक डाउन  ही एक इलाज 


अंकित सिंह "खड्गधारी "


लॉक डाउन  ही एक इलाज 
कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी  जिस  तरह  से  पूरे  भारतवर्ष  में  हो  रही  है वह न केवल भारत सरकार व प्रशासन के लिए अपितु अब जनसाधारण के लिए भी चिंताजनक हो चली है क्यूंकि प्रधानमंत्री के 21 दिनों के लॉक डाउन के आदेश के बाद भी ,जिस तरह से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी बढ़ते चले जा रहे है ,उन्होंने कहीं न कहीं सरकार को और ज्यादा मजबूर किया है कड़े कदम उठाने के लिए ,और ये जरुरी भी है क्यूंकि अब बिना सख्ती के कुछ भी नहीं होना है 
वैसे अगर वैश्विक आंकड़ा इस मामले में देखे तो जरूर भारत और से काफी हद तक इस त्रासदी को रोने में सफल रहा है लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है ,या फिर दूसरे शब्दों में हम कह सकते है अभी तो ये अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है 
जी हां अभी आने वाले हफ्ते भारत के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है और खासा लॉक डाउन पर ध्यान केन्द्रित करने वाले है ये बात भी अपनी जगह एकदम सही है कि लॉक डाउन के चलते देश को बहुत ज्यादा नुक्सान भी उठाना पड़ रहा है लेकिन ,अगर हम लॉक डाउन में ज़रा भी पीछे हटे तो शायद देश ही नहीं बचेगा ,काम धंधे की तो बात ही दूर है ,और फिर ऐसे में किसी नुक्सान का आंकलन करना बुद्धिमानी नहीं है फिलहाल तो कोरोना से बचना ही देश के लिए और देशवासियो के लिए सर्वप्रथम होना चाहिए 
और अभी हाल ही में जो प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत के बाद यही स्पष्ट हुआ कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के अलावा और कोई उपाय नहीं। एक तो अधिकांश मुख्यमंत्री लॉकडाउन की समय-सीमा में वृद्धि चाह रहे हैं और दूसरे, कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी भी इस जरूरत को रेखांकित कर रही है कि फिलहाल कोई जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता।और कभी भी एक बार फिर से लॉक डाउन बढ़ने के निर्देश प्रधानमंत्री जी को देने पड़ सकते है और अगर ऐसा नहीं भी किया गया तो आंशिक लॉक डाउन तो रक्खा ही जाना है क्यूंकि इसकी घोषणा पहले ही हो चुकी है



उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लॉक डाउन का एक दृश्य 
जैसे यूपी में मुख्यमंत्री जी पहले ही संकेत दे चुके है कि यदि लॉक डाउन खुलता है तो भी कड़ाई कम नहीं होगी ,एकदम से पब्लिक को ढील नहीं दी जायेगी और ये बहुत ही सराहनीय कदम भी रहेगा अभी फिलहाल में जो हॉटस्पॉट कोरोना के चिन्हित कर कर्फु लगाया जा रहा है वही सब से ज्यादा बेहतर तकनीक है जिसकी मदद से हम इस बढ़ते हुए संक्रमण को काबू कर सकते है एक ओर जहां कोरोना के संक्रमण से बचे हुए इलाकों में कुछ रियायत देने पर विचार होना चाहिए वहीं दूसरी ओर संक्रमण की चपेट वाले इलाकों और खासकर जहां कोरोना के ज्यादा मरीज मिलने के कारण उन्हें हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है वहां लॉकडाउन के पालन में और सख्ती दिखाई जानी चाहिए। ऐसे इलाकों में कर्फ्यू लगाने से भी नहीं हिचका जाना चाहिए।स्वास्थ्य कर्मियों से असहयोग करने और पुलिसकर्मियों की अवहेलना करने वालों को समझाने-बुझाने का समय बीत गया है। ऐसे तत्व कठोर दंड के पात्र बनाए जाने चाहिए जो हालात की गंभीरता समझने को तैयार नहीं। चूंकि एक गलती पूरे देश की मेहनत पर पानी फेरने का काम कर सकती है इसलिए शासन-प्रशासन के साथ आम जनता की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह लॉकडाउन की बंदिशों का उल्लंघन करने वालों पर निगाह रखे।और सब से ज्यादा ध्यान देने वाली बात यही है कि यदि लॉक डाउन खुलता है (जब भी खुले ) ऐसे इंतज़ाम किये जाए कि किसी तरह की भगदड़ न मचे जैसा कि इसी लॉक डाउन के बीच अपने गांवो को जाने वाले लोगो ने किया ,लोगो की भीड़ कैसे बस अड्डों पर जमा थी ये बाते कोई भी नहीं भूल सकता है और कैसे लोग पैदल ही अपने घरो को निकले ये भी बहुत ज्यादा दर्द देने वाला है 
लेकिन फिलहाल सिर्फ सरकार को ही नहीं हमे भी अपनी जिम्मेदारी निभाने आगे आना चाहिए और सामाजिक दुरी जिस पर सब से ज्यादा जोर दिया जा रहा है उसका पालन करने की हमें कसम लेनी होगी तभी हम इस महामारी के बढ़ते संकट को टाल सकते है क्यूंकि आज के समय में लॉक डाउन एक उपाय नहीं अपितु एक तरह से इस संक्रमण का इलाज़ ही है 


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