राजनैतिक चरित्र

राजनैतिक चरित्र
मोदी जी कुछ दिन पहले भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था पर पहुचाने वाला लक्ष्य रखा था?
दोस्तों,टारगेट सेट करना और उस पर काम करना एक बहस का विषय है, वो भी #कोरोना पीरियड के बाद क्या भारत कोई ऐसा रोड मैप बना सकता है जिसमे भारत 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनकर विश्व पटल पर उभर सकता है ,अपनी पहचान बना सकता है ?यहाँ मोदी जी से मेरा प्रश्न यही है कि #मनरेगा, खाद्य सुरक्षा बिल और केंद्र सरकार की गरीबी दूर करने के नाम पर भारी भरकम योजनाएं क्या बिहार और पूरे देश में कोई बदलाव लाने में सफल हुई हैं ??
प्रश्न बड़ा जटिल नहीं है, केवल महसूस करने से ही उत्तर मिल सकता है कि....नहीं, नहीं और कतई भी नहीं।
तो फिर सरकार की भारी भरकम इन योजनाओं को जिनमे देश के टेक्स पेयर का बहुत बड़ा धन खर्च होता है इनको समाप्त करके क्यो न #कुटीर_उद्योग को बढ़ावा दिया जाए जिससे रोजगार सृजित हो और गरीब जनता अपना घर छोड़ कर सुदूर प्रदेशो में रोजगार खोजने जाने पर मजबूर न हो।
पिछले 5 साल से मोदी जी की फ्री टॉयलेट योजना, फ्री आवास, फ्री गैस कनेक्शन, मिड डे मील योजना, #अल्पसंख्यकों पर हुए खर्चे जैसी बड़े बजट की योजनाओं पर सरकार समीक्षा क्यो नहीं कर सकती हैं ?अगर ये योजनाएं एक ऐसा नागरिक नहीं बना सकती हैं जो साल भर में कमाकर अपने घर में एक टॉयलेट भी बना सके....तो इन योजनाओं को जारी रखने का औचित्य क्या है ??ये बहस का मुद्दा है।
यह सही है कि 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है इन्फ्रास्ट्रक्चर जिस पर मोदी सरकार ने बहुत काम किया है, इंटरस्टेट ट्रांसपोर्ट में समय अवधि कम हुई हैं जो अर्थव्यवस्था के लिये बहुत जरूरी था।आज 1000 विदेशी कम्पनियां, जो आज चीन छोड़ने पर विचार कर रही हैं और भारत के तरफ उम्मीद से देख रही हैं, जो भारत के लिए एक शुभ संकेत हैं।
लेकिन क्या भारत और मोदी सरकार इन विदेशी कम्पनियों का स्वागत करने के लिए तैयार है ?!
इस प्रश्न का उत्तर भारत सरकार को देना चाहिए और ये बहस का मुद्दा है।गरीबी और अमीरी एक मनोदशा है।
इस मनोदशा से बाहर निकालने का काम सरकार का है। लेकिन हर सरकार आजादी के बाद से आसान रास्ता बनाती आयी है। सोचने की बात ये है कि ये रास्ता किसके लिए बनाया जाता रहा है ? अपनी सत्ता के लिए या गरीब से गरीबतर होती जाती जनता के लिए ?!!फ्री सेवा शुरू करके केवल और सत्ता में आने की सोचती रही है और मैं निःसंकोच कह सकता हूँ कि मोदी जी भी उन्हीं में से एक हैं।मोदी सरकार भी आज सालाना 15 लाख करोड़ केवल गरीबी दूर करने की योजना पर खर्च कर रही हैं।खर्च के लिए पैसा कम पड़ने पर #RBI से या किसी अन्य संस्था से पैसा लेने की जरूरत पड़ी।सरकार अपने उपक्रमों को बेचने तक पर विचार करने लगी ...क्या ये स्थितियां भारत जैसे देश के लिए अनुकूल हैं ?!ये बहस का मुद्दा है।
अगर हमारी अर्थव्यवस्था अपने 70 प्रतिशत नागरिकों को, ध्यान दीजिये के 70 प्रतिशत नागरिकों को अपने लिए एक टॉयलेट, आवास, गैस कनेक्शन या अपनी सामान्य जरूरतें पूरा करने लायक नहीं बना सकती है,
तो इस पर बहस होनी ही चाहिए।
सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे जैसा प्रयोग बंद होना चाहिए। तभी हम अगले 5 साल में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को प्राप्त कर सकते हैं।
सक्षम नागरिक ही सक्षम भारत का निर्माण करेगा।



मिंकु मुकेश सिंह


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