तकनीक का गलत इस्तेमाल 


अंकित सिंह खड्गधारी 


तकनीक का गलत इस्तेमाल 
इंटरनेट ,तकनीक ,डिजिटल वर्ल्ड ,सोशल ,मीडिया स्मार्ट फ़ोन्स ये सब कुछ ऐसी बाते है जिसने कोई भी अछूता नहीं या फिर ऐसा कह सकते है कि इन सब के बिना हमारे जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती 
शहर तो फिर भी शहर है आजकल के गाँव भी भरी मात्रा में स्मार्ट फ़ोन और उसमे इंटरनेट का प्रयोग कर रहे है कुछ मनोरंजन तो काम के लिया इसका प्रयोग बारी बारी करते है और अपने जीवन को आसान बनाते है और समाज के साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलने के प्रयास करते है 
लेकिन वो कहते है ना कि हर चीज का एक समय होता है और उस समय से पहले यदि किसी को वह वास्तु प्रपात हो जाती है जिसके सभी प्रयोगो की काबिलियत वह व्यक्ति नहीं रखता है तो फिर वही हाल होता है कि जैसे पात्र से ज्यादा पात्रता का होना
अभी हाल ही देश की राजधानी दिल्ली में  स्कूल जानेवाले नाबालिग बच्चे इंस्टाग्राम पर ‘बॉयज लॉकर रूम’ ग्रुप बनाकर गंदी बातें करते थे, नाबालिग लड़कियों नग्न फोटोज शेयर करते और लड़कियों पर गलत कॉमेंट्स और फिर रेप तक करने की बातें होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसमें दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों के 21 छात्रों के शामिल होने की पहचान हुई, ग्रुप का एक लड़का पकड़ा भी गया। पकड़ा गया छात्र नाबालिग है और अभी किसी स्कूल में ही पढ़ता है।जांच में पता चला है कि इस ग्रुप को एक सप्ताह पहले बनाया गया था। जैसे ही इस कथित ग्रुप का स्क्रीनशॉट्स वायरल हुआ इसे डिलीट कर दिया गया और ‘लॉकररूम 2.0’ के नाम से एक अन्य ग्रुप बनाकर फिर अश्लील दुनिया बना ली गई। इस ग्रुप में लड़कियों को भी जोड़ा गया था। समाज के विकृत, नैतिकताविहीन एवं चरित्रहीन होने की यह एक बानगी है। चैंका देने वाला किन्तु कटु सत्य तथ्य है कि सोशल मीडिया पर पनप रही नाबालिग बच्चों में सेक्स एवं अश्लील कृत्य की इस विकृत मानसिकता ने पूरे राष्ट्र को झकझोर दिया है।देश के स्कूली बच्चों में सेक्स एवं अश्लील मानसिकता का बढ़ता प्रचलन गंभीर चिन्ता का विषय है, एक त्रासदी है, विडम्बना है। ऐसे बहुत से बच्चों के ग्रुप सोशल साईट्स पर सक्रिय हैं जो अश्लीलता, अश्लील वेबसाइट्स और पोर्न फिल्मों में डूबे हैं। ज्ञान, नैतिकता एवं चरित्र का पाठ पढ़ने की उम्र में बच्चों का कामुक, अश्लील एवं विकृत सोच की अंधेरी राहों में अग्रसर होना भयावह एवं चिन्ताजनक तस्वीर को प्रस्तुत करता है।
अब इसमें तकनीक को आप दोष किसी भी प्रकार से नहीं दे सकते क्यूंकि उस तकनीक को बच्चे तक पहुंचने वाले उनके अभिभावक ही तो है क्या ये बहुत जरुरी है कि छोटी सी उम्र में जब बच्चे को खेल कूद और पढाई पर ध्यान देना चाहिए ऐसे समय में वे सोशल मीडिया में घंटो लगे रहे ऑनलाइन गेम खेले या फिर ग्रुपिंग करे 
बहुत से अभिभावकों का कहना है कि आजकल बिना इंटरनेट बच्चो की बधाई कैसे हो तो उनके लिए उपाय आसान है पहली बात तो बच्चो को स्मार्टफोन न दे घर में लगे लैंडलाइन फ़ोन को ही इस्तेमाल करने की सलाह दे और बच्चो के रूम में कम्पुयटर न लगाए कंप्यूटर को थोड़ा बाहर के कमरे में या फिर हाल में लगाए जिस से आप भी समय समय पर उन पर नज़र रख सके याद रखिये वो किसी ऑफिस में जॉब नहीं कर रहे है कि उन्हें किसी तरह के अकेलेपन की जरुरत है सिर्फ बच्चो के स्मार्ट बन जाने भर से कुछ नहीं होने वाला मौजूदा समय की मांग रही कि अभिभावक भी स्मार्ट बने और बच्चो पर निगाह रखे ,दिल्ली में बच्चो का ग्रुप जिस तरह से अश्लीलता में लिप्त था यह बहुत ही गंभीर विषय बनकर सभी के सामने आया है कि इतनी छोटी उम्र में इस तरह की कामुक प्रवृत्ति कैसे बच्चो में आ रही है तो यह सब इंटरनेट के गलत इस्तेमाल का नतीजा है और ये नतीजा अभिभावकों की लापरवाही का नतीजा है क्यूंकि इस स्थिति के लिए किसी भी स्कूल या फिर संस्था को जिम्मेदार नहीं बनाया जा सकता है अपने बच्चे हमे खुद ही सँभालने होंगे 


 


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