नवचार से नई शुरुआत


अंकित सिंह खड्गधारी 


नवचार से नई शुरुआत


ये बात सच है कि मौजूदा समय में जिस प्रकार कोरोना संक्रमण ने पूरे विश्व की कमर तोड़ी है भारत भी उस से अछूता नहीं है और यहाँ  पर भी विकास का मार्ग प्रभावित हुआ है  इससे लोगों की मौत हो रही है, उनके रोजगार खत्म हो रहे हैं, और रोजमर्रा के जीवन में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन तमाम परेशानियों के बावजूद, कोविड-19 के घने अंधियारे में उम्मीद की किरण मौजूद है। यह संकट दरअसल विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन यानी नवाचार को बढ़ावा दे सकता है, और बिल्कुल नए तरीके से सोचने वाला समाज गढ़ सकता है।वो नवाचार ही है जो समाज में नकारात्मकता से सकारात्मकता का माहौल जगा सकता है नए विचारों के साथ बदलाव को मुमकिन बनाया है। जैसे, 2002 में चीन और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में फैले सार्स ने दुनिया को बदल दिया था। माना जाता है कि सार्स से वैश्विक अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ था, क्योंकि आज की तरह ही उन दिनों लोगों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था। हालांकि, उस संकट ने उन तमाम राष्ट्रों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ा दी, जहां इसका नेटवर्क काफी कम था। -कॉमर्स यानी ऑनलाइन खरीदारी को लोकप्रियता मिली, जबकि पहले इसका अस्तित्व ही नहीं था। चीनी -कॉमर्स कंपनियां अलीबाबा और जेडी डॉट कॉम ने इसका खूब फायदा उठाया और वे दुनिया की प्रभावशाली कंपनियां बन गईं। इसीलिए, मौजूदा कोविड-19 संकट के दौरान अलीबाबा या जेडी डॉट कॉम से बड़ी किसी भारतीय कंपनी के सृजन का सपना देखना लाजिमी है।भारत में पिछले एक दशक में इटरनेट और स्मार्टफोन ने गहरी पैठ बनाई है। इससे डिजिटल समाधान और नवाचार बढ़ाए जा सकते हैं।लो टच ऑर कॉन्टैक्टलेस यानीकम-स्पर्श या संपर्क-विहीन सेवा पहुंचाना अब अर्थव्यवस्था का नया मानक बनता जा रहा है। इसका मतलब है कि अब हर लेन-देन में उन स्थितियों से बचा जाएगा, जहां स्पर्श की गुंजाइश होती है। मसलन, किसी किराना स्टोर में जाने की बजाय लोग ऑनलाइन खरीदारी करना पसंद करेंगे। डॉक्टर भी मरीज को क्लिनिक में बुलाने से बेहतर ऑनलाइन देखना चाहेंगे। आने-जाने से तौबा करके लोग ऑनलाइन ही भेंट-मुलाकात करेंगे। इसीलिए, ‘लो टच को केंद्र में रखकर कई तरह के नए इनोवेशन हो सकते हैं। ये लंबे समय तक सामाजिक बदलाव के कारक भी बनेंगे। जैसे, ‘पोस्टमैट्स औरइंस्टाकार्ट जैसे स्टार्टअप कूरियर ब्यॉय और ग्राहक के बीच संपर्क कम करने के लिएकॉन्टैक्टलेस डिलीवरी कर रहे हैं।कोविड-19 महामारी ने सामाजिक और व्यावसायिक नियम बदल दिए हैं।वर्किंग फ्रॉम होम यानी घर से काम अब सामान्य बात हो गई है, क्योंकि यह व्यवस्था आर्थिक रूप से किफायती है कामकाज के लिहाज से लचीली भी। चूंकि अचल संपत्ति की कीमतें आसमान छू रही हैं, इसलिए आजकल बडे़ शहरों में ऑफिस रखना महंगा सौदा साबित हो रहा है। इसके अलावा, फर्नीचर, पार्किंग, साज-सज्जा, परिवहन आदि पर भी कंपनियों को बहुत खर्च करना पड़ता है। लिहाजा, अपने कर्मियों को घर से काम करने की अनुमति देकर कंपनियां इस तरह के खर्च कम कर सकती हैं। महानगरों या बड़े शहरों में एक ही स्थान पर आपसी तालमेल करके दो-तीन कंपनियों को चलाने का चलन लोकप्रिय होने ही लगा है। चूंकि इस व्यवस्था में कम संख्या में लोग आना-जाना करेंगे, इसलिए प्रदूषण भी कम होगा, सार्वजनिक परिवहन पर भार घटेगा और ईंधन जैसे बहुमूल्य राष्ट्रीय संसाधन की बचत होगी। फिलहाल सरकार ने भी अब नारा दे ही दिया है कि जान भी और जहां भी


मतलब अब ये दोनों  चीजे ही जरुरी है अब वक़्त गया है कि हम नई आदतों को गंभीरता से ले स्वछता को सर्वोपरि रक्खे सरकारी नियमो का पालन करे ,अनावश्यक तो हमें निकलना ही नहीं है किन्तु काम को बंद नहीं करना है क्यूंकि धन ही सब से ज्यादा महत्वपूर्ण है आज के समय में लिहाजा धन कमाते हुए नवाचार को हमें गंभीरता से लेना चाहिए और इस बुरे वक़्त में भी ,हमें प्रयास करने चाहिए कि हम अपने जीवन को आगे बढ़ाते रहे


 


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